रांची: झारखंड में सीजीएल परीक्षा को लेकर राज्य में इंटरनेट बंद करने फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर हुई है. झारखंड हाई कोर्ट के जस्टिस आनंद सेन और जस्टिस अनुभा रावत चौधरी की अदालत में सुनवाई हुई है. अदालत ने फिलहाल इंटरनेट सेवा को प्रभावित किए जाने वाले आदेश पर रोक लगाने से इनकार किया है और राज्य सरकार से चार सप्ताह में शपथ पत्र के माध्यम से विस्तृत और बिंदुवार जवाब पेश करने को कहा है.
अदालत ने यह जानना चाहा है कि क्या सभी परीक्षाओं में इसी तरह से इंटरनेट बंद कर दिए जाएंगे. इंटरनेट बंद करने की सरकार की क्या नीति है और किस-किस समय में इंटरनेट बंद किया जाएगा. इसके लिए क्या कुछ नीति बनाई गई है. मामले की अगली सुनवाई चार सप्ताह बाद होगी. यह जानकारी हाईकोर्ट के अधिवक्ता धीरज कुमार ने दी है.
अधिवक्ता राजेंद्र कृष्ण ने झारखंड हाई कोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस सुजीत नारायण प्रसाद को रजिस्ट्रार जनरल के माध्यम से पत्र के जरिए इंटरनेट बंद किए जाने की सूचना दी और इस पर बेंच गठित करने की मांग की. उनके पत्र के आलोक में हाई कोर्ट ने उसे जनहित याचिका में बदल कर बेंच गठित कर मामले की सुनवाई को कहा.
इस आधार पर मामले की सुनवाई की गई. प्रार्थी की ओर से बताया गया कि यह लोगों का फंडामेंटल राइट है. इसका हनन नहीं किया जा सकता है. राज्य सरकार का यह निर्णय गलत है. इसलिए इसे रद्द कर दिया जाना चाहिए. यह आवश्यक सेवा है. इसे बंद नहीं किया जा सकता है. इसे बहाल करने का आदेश दिया जाना चाहिए.
राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता राजीव रंजन और अधिवक्ता पीयूष चित्रेश ने पक्ष रखा. उन्होंने कहा कि यह पूर्ण या आंशिक बंदी है. दरअसल, इंटरनेट के जरिए जो चीटिंग होती है, उसे रोकने के लिए कुछ वक्त के लिए सेवा को बंद किया गया है. परीक्षा को निष्पक्ष और कदाचारमुक्त संपन्न कराने के लिए छात्र हित में ऐसा आदेश जारी किया गया है. आपको बता दें कि 21 और 22 सितंबर को सीजीएल की परीक्षा हो रही है. बंद इंटरनेट सेवा के बीच 21 सितंबर की परीक्षा संपन्न हो चुकी है. अब रविवार यानी 22 सितंबर को भी सुबह 8 बजे से दोपहर 1.30 बजे तक सेवा बंद रहेगी.
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