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व्यास जी के तहखाने में पूजा शुरू होने पर मसाजिद कमेटी के संयुक्त सचिव का पोस्ट, न्यायालय की भूमिका पर उठाए सवाल

वाराणसी के ज्ञानवापी व्यास जी तहखाने में वर्षों बाद पूजा की शुरुआत हो चुकी है. मुस्लिम समाज में इसे लेकर नाराजगी साफ तौर पर नजर आने लगी है. अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी (Dr Ajay Krishna Vishwesh MS Yasin) ने भी इसे लेकर पोस्ट किया है.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Feb 2, 2024, 12:07 PM IST

वाराणसी : ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में 30 साल के बाद बुधवार की रात फिर से पूजा शुरू करा दी गई. इसके बाद से लगातार पुलिस-प्रशासन की ओर से अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. वहीं मुस्लिम समुदाय की नाराजगी भी सोशल मीडिया पर विभिन्न पोस्ट के जरिए सामने आने लगी है. ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एमएस यासीन का एक मैसेज कुछ देर पहले से ही सोशल मीडिया पर सामने आया है. मैसेज में अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के फैसले से लेकर ज्ञानवापी को लेकर हो रही कवायद में न्यायालय की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं. 31 जनवरी को जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत की तरफ से तहखाने में दी गई पूजा की अनुमति पर न्यायाधीश को भी कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई है.

सबसे पहले जानिए संयुक्त सचिव ने पोस्ट में क्या लिखा है : अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एमएस यासीन की ओर से सोशल मीडिया पर किए पोस्ट में लिखा गया है कि बाबरी मस्जिद के मुकदमात का फैसला देते समय पांच लोग जिन्हें माई लार्ड कह कर पुकारते हैं, उन्होंने न्याय की गरिमा को सबसे निम्न स्तर पर लाने की शुरुआत कर इनामात हासिल किए. उस मुल्क में जहां अदले जहांगीरी मशहूर हुआ करती थी, इस पतन का सिलसिला शुरू हो गया. हमारी मस्जिद ज्ञानवापी का मौजूदा संकट भी इसी न्याय तंत्र की देन है. एएसआई सर्वे का आदेश पहला कदम था. इसे हमने ज्यूडीशियल कारसेवा का नाम दिया था. 31 जनवरी को रिटायरमेंट से चंद घंटे पूर्व ज्यूडीशियल डाका का आदेश पारित हो ही गया. रात के अंधेरे में बैरिकेडिंग हट गई. रात के अंधेरे में ही मूर्तियों को मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में संवैधानिक अधिकारियों के दिशा-निर्देश पर दाखिला मिला. भारतीय न्याय तंत्र के इतिहास का बदतरीन दिन भी इन बूढ़ी आंखों ने देखा. संविधान और संविधान पर विश्वास रखने वालों का बहुत बड़ा इम्तिहान है. हम न्याय की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट भेजकर इतने महत्वपूर्ण विषय पर अपना पल्ला झाड़ लिया.

डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश.
डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश.

अब जानिए पूजा शुरू कराने का ऐतिहासिक आदेश देने वाले जज के बारे में : ज्ञानवापी मामले को लेकर जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश प्रतिवादी यानी मुस्लिम पक्ष के निशाने पर बने हुए हैं. लगातार उन्हें लेकर मैसेज भी सामने आ रहे हैं. जिला जज रहते हुए अजय कृष्‍ण विश्वेश ने ही ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था. डॉ अजय कृष्‍ण विश्वेश मूलरूप से हरिद्वार के रहने वाले हैं. उनका जन्‍म सात जनवरी 1964 को हुआ था. उन्‍होंने कुरुक्षेत्र के सीनियर मॉडल स्‍कूल से 1981 में बीएससी, 1984 में एलएलबी और 1986 में एलएलएम किया. 20 जून, 1990 को उनकी न्‍यायिक सेवा की शुरुआत हुई. उत्‍तराखंड के कोटद्वार में उनकी पहली पोस्टिंग मुंसिफ मजिस्‍ट्रेट के रूप में हुई. 1991 में उनका ट्रांसफर सहारनपुर हो गया. इसके बाद वह देहरादून के न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट बने.

जिला जज के रूप संभल में हुई पहली पोस्टिंग : 1995 में डॉ. अजय कृष्‍ण विश्वेश एडिशनल सिविल जज रहे. 1999 में मेरठ में एसीजेएम के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई. जिला जज के रूप में पहली बार उनकी पोस्टिंग वर्ष 2018 में संभल जिले में हुई. इसके बाद वह बदायूं, सीतापुर, बुलंदशहर और वाराणसी में भी जिला जज के रूप में नियुक्‍त हुए. बनारस में उन्‍होंने 21 अगस्‍त, 2022 को कार्यभार ग्रहण किया था. कुल 34 सालों की न्‍यायिक सेवा के बाद वह 31 जनवरी 2024 को रिटायर हो गए. डॉ विश्वेश की अदालत में ही ज्ञानवापी को लेकर एक के बाद एक नौ मुकदमों की सुनवाई शुरू हुई. इसमें बहुत जल्दी-जल्दी फैसले हुए.

यह भी पढ़ें : ज्ञानवापी के व्यास जी तहखाने में 30 साल बाद पूजा शुरू, कमिश्नर-डीएम की मौजूदगी में उतारी गई आरती

वाराणसी : ज्ञानवापी के व्यास जी के तहखाने में 30 साल के बाद बुधवार की रात फिर से पूजा शुरू करा दी गई. इसके बाद से लगातार पुलिस-प्रशासन की ओर से अतिरिक्त सतर्कता बरती जा रही है. वहीं मुस्लिम समुदाय की नाराजगी भी सोशल मीडिया पर विभिन्न पोस्ट के जरिए सामने आने लगी है. ज्ञानवापी मस्जिद की देखरेख करने वाली अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एमएस यासीन का एक मैसेज कुछ देर पहले से ही सोशल मीडिया पर सामने आया है. मैसेज में अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि के फैसले से लेकर ज्ञानवापी को लेकर हो रही कवायद में न्यायालय की भूमिका पर सवाल खड़े किए गए हैं. 31 जनवरी को जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत की तरफ से तहखाने में दी गई पूजा की अनुमति पर न्यायाधीश को भी कटघरे में खड़ा करने की कोशिश की गई है.

सबसे पहले जानिए संयुक्त सचिव ने पोस्ट में क्या लिखा है : अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी के ज्वाइंट सेक्रेटरी एमएस यासीन की ओर से सोशल मीडिया पर किए पोस्ट में लिखा गया है कि बाबरी मस्जिद के मुकदमात का फैसला देते समय पांच लोग जिन्हें माई लार्ड कह कर पुकारते हैं, उन्होंने न्याय की गरिमा को सबसे निम्न स्तर पर लाने की शुरुआत कर इनामात हासिल किए. उस मुल्क में जहां अदले जहांगीरी मशहूर हुआ करती थी, इस पतन का सिलसिला शुरू हो गया. हमारी मस्जिद ज्ञानवापी का मौजूदा संकट भी इसी न्याय तंत्र की देन है. एएसआई सर्वे का आदेश पहला कदम था. इसे हमने ज्यूडीशियल कारसेवा का नाम दिया था. 31 जनवरी को रिटायरमेंट से चंद घंटे पूर्व ज्यूडीशियल डाका का आदेश पारित हो ही गया. रात के अंधेरे में बैरिकेडिंग हट गई. रात के अंधेरे में ही मूर्तियों को मस्जिद के दक्षिणी तहखाने में संवैधानिक अधिकारियों के दिशा-निर्देश पर दाखिला मिला. भारतीय न्याय तंत्र के इतिहास का बदतरीन दिन भी इन बूढ़ी आंखों ने देखा. संविधान और संविधान पर विश्वास रखने वालों का बहुत बड़ा इम्तिहान है. हम न्याय की तलाश में दर-दर की ठोकरें खा रहे हैं. सर्वोच्च न्यायालय ने हाईकोर्ट भेजकर इतने महत्वपूर्ण विषय पर अपना पल्ला झाड़ लिया.

डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश.
डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश.

अब जानिए पूजा शुरू कराने का ऐतिहासिक आदेश देने वाले जज के बारे में : ज्ञानवापी मामले को लेकर जिला जज डॉक्टर अजय कृष्ण विश्वेश प्रतिवादी यानी मुस्लिम पक्ष के निशाने पर बने हुए हैं. लगातार उन्हें लेकर मैसेज भी सामने आ रहे हैं. जिला जज रहते हुए अजय कृष्‍ण विश्वेश ने ही ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे का आदेश दिया था. डॉ अजय कृष्‍ण विश्वेश मूलरूप से हरिद्वार के रहने वाले हैं. उनका जन्‍म सात जनवरी 1964 को हुआ था. उन्‍होंने कुरुक्षेत्र के सीनियर मॉडल स्‍कूल से 1981 में बीएससी, 1984 में एलएलबी और 1986 में एलएलएम किया. 20 जून, 1990 को उनकी न्‍यायिक सेवा की शुरुआत हुई. उत्‍तराखंड के कोटद्वार में उनकी पहली पोस्टिंग मुंसिफ मजिस्‍ट्रेट के रूप में हुई. 1991 में उनका ट्रांसफर सहारनपुर हो गया. इसके बाद वह देहरादून के न्‍यायिक मजिस्‍ट्रेट बने.

जिला जज के रूप संभल में हुई पहली पोस्टिंग : 1995 में डॉ. अजय कृष्‍ण विश्वेश एडिशनल सिविल जज रहे. 1999 में मेरठ में एसीजेएम के तौर पर उनकी नियुक्ति हुई. जिला जज के रूप में पहली बार उनकी पोस्टिंग वर्ष 2018 में संभल जिले में हुई. इसके बाद वह बदायूं, सीतापुर, बुलंदशहर और वाराणसी में भी जिला जज के रूप में नियुक्‍त हुए. बनारस में उन्‍होंने 21 अगस्‍त, 2022 को कार्यभार ग्रहण किया था. कुल 34 सालों की न्‍यायिक सेवा के बाद वह 31 जनवरी 2024 को रिटायर हो गए. डॉ विश्वेश की अदालत में ही ज्ञानवापी को लेकर एक के बाद एक नौ मुकदमों की सुनवाई शुरू हुई. इसमें बहुत जल्दी-जल्दी फैसले हुए.

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