श्रीनगर (उत्तराखंड): लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में श्योक नदी में टी-72 टैंक हादसे में शहीद हुए भूपेंद्र नेगी का पार्थिव शरीर उनके घर पहुंचा. जैसे ही शहीद का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव पहुंचा लोगों की आंखें नम हो गई. शहीद भूपेंद्र नेगी को क्षेत्रवासियों ने नम आंखों से श्रद्धांजलि दी. वहीं परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल है और शहीद की पत्नी बेसुध हो गई. जिन्हें कैबिनेट मंत्री धन सिंह ने ढांढस बंधाया. जिसके बाद सैन्य सम्मान के साथ शहीद को पाबौ ब्लॉक के बोडोली घाट पर अंतिम विदाई दी गई.
पाबौ ब्लॉक के बिशल्ड गांव में शहीद का पार्थिव शरीर पहुंचते ही माहौल गमगीन हो गया. पति का पार्थिव शरीर देख कर पत्नी, परिजन और ग्रामीण जोर-जोर से बिलख पड़े. इस दौरान उनकी पत्नी बेसुध हो गई.भूपेंद्र बीते 18 सालों से भारतीय सेना में कार्यरत थे. शहीद भूपेंद्र नेगी के बेटे ने रोते बिलखते उन्हे श्रद्धांजलि देकर उन्हें अंतिम विदाई दी. इस दौरान कैबिनेट मंत्री व क्षेत्रीय विधायक धन सिंह रावत और कांग्रेस के पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल समेत सेना के अधिकारियों और क्षेत्रीय जनता ने नम आंखों से शहीद को श्रद्धांजलि दी.भूपेंद्र सिंह नेगी अपने पीछे 3 बच्चों,पत्नी और पिता को छोड़ गए हैं.
उनकी तीन बहनें हैं, जिनका विवाह हो चुका है. वहीं कैबिनेट मंत्री धन सिंह रावत ने कहा देश के लिए ये भावुक पल है, लेकिन देश के लिए भूपेंद्र की शहादत गर्व की बात है. धन सिंह रावत ने कहा की पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेयी के प्रयासों से ही देश के शहीद हुए जवानों के पार्थिव शरीर उनके गांव उनके घर लाए जाते हैं. उन्होंने कहा कि देश के लिए भूपेंद्र द्वारा दी गई शहादत को देश याद रखेगा और शहीद के परिवार की हर संभव मदद की जाएगी.
बता दें कि लद्दाख के दौलत बेग ओल्डी इलाके में श्योक नदी में टी-72 टैंक हादसे में पांच जवान शहीद हो गए थे. जिसमें से एक पौड़ी जिले के पाबौ ब्लॉक के बिशल्ड गांव के रहने वाले भूपेंद्र नेगी भी थे.
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