रांची: झारखंड के कोल्हान में सुरक्षा बलों के अभियान से घबराए भाकपा माओवादियों ने 24 घंटे के बंद का एलान किया था, लेकिन सुरक्षा बलों की सतर्कता के कारण कोल्हान में बंद के दौरान नक्सली ज्यादा कुछ नहीं कर पाए. नक्सलियों ने कोल्हान में रेल मार्ग को प्रभावित करने की साजिश रची थी, लेकिन वे उसमें सफल नहीं हो पाए.
अलर्ट पर रही पुलिस
नक्सलियों के 24 घंटे के कोल्हान बंद को देखते हुए झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों ने मंगलवार रात से ही नक्सलियों के सभी संभावित ठिकानों की घेराबंदी कर दी थी. यही कारण है कि चाहकर भी नक्सली बंद के दौरान ज्यादा कुछ नहीं कर पाए. बंद के दौरान एकमात्र घटना रेल मार्ग को बाधित करने की हुई, लेकिन उसमें भी नक्सली ज्यादा सफल नहीं हो पाए. इस दौरान कुछ घंटों के लिए रेल यातायात प्रभावित रहा. जिसे बाद में दुरुस्त भी कर लिया गया.
चाईबासा एसपी आशुतोष शेखर ने बताया कि नक्सलियों द्वारा 24 घंटे के बंद का एलान किया गया था. इसके कारण पुलिस पूरी तरह अलर्ट पर है. वैसे भी कोल्हान और सारंडा में नक्सलियों के खिलाफ पहले से ही जोरदार अभियान चलाया जा रहा है. बंद को देखते हुए सिर्फ अभियान की संख्या बढ़ाई गई थी.
बंद विफल, नक्सलियों की बड़ी रणनीतिक हार
झारखंड पुलिस और केंद्रीय सुरक्षा बलों के अभियान के कारण सारंडा में स्थित नक्सलियों को अपना मुख्यालय भी खोना पड़ा है. स्थिति यह है कि एक करोड़ के इनामी कई नक्सली कमांडर सुरक्षा बलों के घेरे में फंस गए हैं. इनामी नेता चाहकर भी सारंडा से बाहर नहीं आ पा रहे हैं. जब भी वे जंगल से बाहर निकलने की कोशिश कर रहे हैं, मुठभेड़ में मारे जा रहे हैं. शायद इसी वजह से पहली बार भाकपा माओवादियों ने सिर्फ कोल्हान बंद का ऐलान किया.
बंद को सफल बनाने के लिए पोस्टर चिपकाए गए, ग्रामीणों के बीच भाईचारे का माहौल बनाने की कोशिश की गई लेकिन सब बेकार साबित हुआ. कोल्हान बंद का आंशिक असर ही देखने को मिला. कुछ जगहों पर जहां नक्सलियों का प्रभाव ज्यादा है, वहां दुकानें बंद रहीं, यातायात भी रोका गया लेकिन स्थिति सामान्य रही. कुल मिलाकर कोल्हान जैसे इलाके में नक्सलियों के बंद के आह्वान की विफलता उनके लिए बड़ी रणनीतिक हार है.
पुलिस के अनुसार कोल्हान बंद की घोषणा कर नक्सली अपनी ताकत को परखना चाहते थे. जिसमें वे पूरी तरह विफल रहे. चाईबासा एसपी आशुतोष शेखर ने कहा कि नक्सली बंद का आह्वान करें या किसी वारदात को अंजाम देने की कोशिश करें, सुरक्षा बल इन सबके लिए पूरी तरह तैयार हैं.
छत्तीसगढ़, पश्चिम बंगाल और ओडिशा से मदद हुई बंद
छत्तीसगढ़ के नक्सलियों का कोल्हान इलाके में दबदबा रहा है, पश्चिम बंगाल और ओडिशा के नक्सली भी कोल्हान इलाके में सक्रिय रहे हैं. बॉर्डर नजदीक होने के कारण नक्सली जंगल के रास्ते एक जगह से दूसरी जगह आते-जाते रहे हैं. कोल्हान में बाहरी मदद भी इसी वजह से मिलती थी, लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई हैं. छत्तीसगढ़ में भी नक्सलियों के खिलाफ बड़े अभियान चलाए जा रहे हैं, जिसके कारण वहां के नक्सलियों का प्रभाव झारखंड में कम हुआ है. ओडिशा और पश्चिम बंगाल में नक्सली पहले से कमजोर हुए हैं.
सारंडा में बड़े नक्सली नेता मौजूद
फिलहाल भाकपा माओवादियों का सबसे मजबूत समूह सारंडा में डेरा जमाए हुए है. माओवादियों के केंद्रीय कमेटी सदस्य और एक करोड़ के इनामी अनल दा, 25-25 लाख के इनामी सैक सदस्य अनमोल, अजय महतो, चमन उर्फ लंबू, 15 लाख के इनामी एरिया कमांडर अमित मुंडा भी सारंडा में मौजूद है.
झारखंड पुलिस के आईजी अभियान अमोल वी होमकर के अनुसार अब सारंडा में बड़े नक्सलियों को टारगेट करके अभियान चलाए जा रहे हैं, नक्सली कमांडर चाहे वे एक करोड़ के इनामी हों या 25 लाख के, सभी को मैन टू मैन टारगेट किया जा रहा है. हर बड़े नक्सली नेता की गिरफ्तारी या एनकाउंटर के लिए स्मॉल एक्शन टीम को लगाया गया है. इसी रणनीति के तहत झारखंड पुलिस और केंद्रीय बलों ने 17 जून 2024 को सारंडा में मुठभेड़ में 10 लाख के इनामी खतरनाक कांडे होनहागा सिंहराय उर्फ मनोज समेत पांच नक्सलियों को मार गिराया, दो को जिंदा भी पकड़ा गया.
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