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मणिपुर: विधायकों ने कुकी उग्रवादियों के खिलाफ बड़े पैमाने पर अभियान चलाने का संकल्प लिया - MANIPUR VIOLENCE

मणिपुर हिंसा को लेकर तनाव के बीच विधायकों ने सरकार से कुकी उग्रवादियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग को लेकर प्रस्ताव पारित किया.

manipur violence
मणिपुर हिंसा के बाद का दृश्य (PTI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 19, 2024, 9:37 AM IST

गुवाहाटी: मणिपुर के सत्तारूढ़ विधायकों ने जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों समेत छह लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सात दिनों के अभियान चलाने का फैसला किया है. यह फैसला मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार देर शाम मुख्यमंत्री सचिवालय में हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में सत्तारूढ़ विधायकों ने लिया.

बैठक में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सात दिनों के भीतर बड़े पैमाने पर अभियान चलाने का संकल्प लेने के अलावा, केंद्र सरकार से राज्य के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) लगाने के 14 नवंबर के आदेश की समीक्षा करने की अपील करने का प्रस्ताव पास किया.

सत्तारूढ़ विधायकों ने जिरीबाम में छह लोगों की हत्या, 7 नवंबर को जैरवान गांव में एक हमार महिला की हत्या और बिष्णुपुर जिले के सैटन में एक मैतेई किसान महिला की हत्या से संबंधित मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने का भी संकल्प लिया.

बैठक में यह भी संकल्प लिया गया कि यदि उपर्युक्त संकल्प को निर्धारित समय के भीतर लागू नहीं किया जाता है, तो एनडीए विधायक राज्य के लोगों के साथ विचार-विमर्श करके भविष्य की रणनीति पर चर्चा करेंगे. बैठक में यह भी संकल्प लिया गया कि केंद्र और राज्य सरकार राज्य में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे.

बैठक में विधायकों और मंत्रियों के घरों और संपत्तियों पर हमला करने वाले लोगों के एक वर्ग द्वारा बर्बर कृत्य की भी निंदा की गई और उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया गया. उल्लेखनीय है कि सोमवार को हुई आपात बैठक में राज्य के 27 सत्तारूढ़ विधायकों और मंत्रियों ने भाग लिया, जबकि सात अन्य फोन से संपर्क में रहे. वे चिकित्सा कारणों से अनुपस्थित रहे.

सत्तारूढ़ भाजपा नीत गठबंधन के ग्यारह सदस्य बिना कोई कारण बताए बैठक से अनुपस्थित रहे. राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सत्तारूढ़ विधायकों और मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई गई, जिसने राज्य सरकार को इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, कांगपोकपी और चुराचांदपुर सहित सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं के अस्थायी निलंबन को सोमवार से 20 नवंबर तक दो दिनों के लिए बढ़ाने के लिए मजबूर किया है.

सोमवार को मणिपुर में हिंसा को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रहा, खासकर राज्य की राजधानी इंफाल में जहां मणिपुर एकीकरण समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने सोमवार को जीएसटी कार्यालय, राज्य चुनाव अधिकारी कार्यालय आदि सहित केंद्र सरकार के कार्यालयों को बंद कर दिया. मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी सोमवार को इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के पुतले जलाए और संघर्ष के तत्काल समाधान और लोगों को सुरक्षा की मांग की. रविवार रात जिरीबाम से भी हिंसा की खबरें आई.

ये भी पढ़ें- जातीय संघर्ष से जूझ रहा मणिपुर! केंद्र इस हफ्ते भेजेगा CAPF की 50 और कंपनियां

गुवाहाटी: मणिपुर के सत्तारूढ़ विधायकों ने जिरीबाम में महिलाओं और बच्चों समेत छह लोगों की हत्या के लिए जिम्मेदार कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सात दिनों के अभियान चलाने का फैसला किया है. यह फैसला मणिपुर के मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अध्यक्षता में सोमवार देर शाम मुख्यमंत्री सचिवालय में हुई उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक में सत्तारूढ़ विधायकों ने लिया.

बैठक में कुकी उग्रवादियों के खिलाफ सात दिनों के भीतर बड़े पैमाने पर अभियान चलाने का संकल्प लेने के अलावा, केंद्र सरकार से राज्य के छह पुलिस थाना क्षेत्रों में सशस्त्र बल विशेषाधिकार अधिनियम (AFSPA) लगाने के 14 नवंबर के आदेश की समीक्षा करने की अपील करने का प्रस्ताव पास किया.

सत्तारूढ़ विधायकों ने जिरीबाम में छह लोगों की हत्या, 7 नवंबर को जैरवान गांव में एक हमार महिला की हत्या और बिष्णुपुर जिले के सैटन में एक मैतेई किसान महिला की हत्या से संबंधित मामलों को राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को सौंपने का भी संकल्प लिया.

बैठक में यह भी संकल्प लिया गया कि यदि उपर्युक्त संकल्प को निर्धारित समय के भीतर लागू नहीं किया जाता है, तो एनडीए विधायक राज्य के लोगों के साथ विचार-विमर्श करके भविष्य की रणनीति पर चर्चा करेंगे. बैठक में यह भी संकल्प लिया गया कि केंद्र और राज्य सरकार राज्य में शांति और सामान्य स्थिति सुनिश्चित करने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाएंगे.

बैठक में विधायकों और मंत्रियों के घरों और संपत्तियों पर हमला करने वाले लोगों के एक वर्ग द्वारा बर्बर कृत्य की भी निंदा की गई और उच्चाधिकार प्राप्त समिति की रिपोर्ट के आधार पर ऐसे उपद्रवियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई शुरू करने का निर्णय लिया गया. उल्लेखनीय है कि सोमवार को हुई आपात बैठक में राज्य के 27 सत्तारूढ़ विधायकों और मंत्रियों ने भाग लिया, जबकि सात अन्य फोन से संपर्क में रहे. वे चिकित्सा कारणों से अनुपस्थित रहे.

सत्तारूढ़ भाजपा नीत गठबंधन के ग्यारह सदस्य बिना कोई कारण बताए बैठक से अनुपस्थित रहे. राज्य में बिगड़ती कानून व्यवस्था की स्थिति को देखते हुए सत्तारूढ़ विधायकों और मंत्रियों की आपात बैठक बुलाई गई, जिसने राज्य सरकार को इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, बिष्णुपुर, थौबल, काकचिंग, कांगपोकपी और चुराचांदपुर सहित सात जिलों में इंटरनेट सेवाओं के अस्थायी निलंबन को सोमवार से 20 नवंबर तक दो दिनों के लिए बढ़ाने के लिए मजबूर किया है.

सोमवार को मणिपुर में हिंसा को लेकर विरोध प्रदर्शन जारी रहा, खासकर राज्य की राजधानी इंफाल में जहां मणिपुर एकीकरण समन्वय समिति (सीओसीओएमआई) ने सोमवार को जीएसटी कार्यालय, राज्य चुनाव अधिकारी कार्यालय आदि सहित केंद्र सरकार के कार्यालयों को बंद कर दिया. मणिपुर विश्वविद्यालय के छात्रों ने भी सोमवार को इंफाल में विरोध प्रदर्शन किया और मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह और राज्यपाल लक्ष्मण प्रसाद आचार्य के पुतले जलाए और संघर्ष के तत्काल समाधान और लोगों को सुरक्षा की मांग की. रविवार रात जिरीबाम से भी हिंसा की खबरें आई.

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