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मणिपुर हिंसा के एक साल बाद मैतेई समुदाय ने केंद्र से लगाई गुहार - Meitei people knocks Delhi darbar

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : May 2, 2024, 9:26 PM IST

Updated : May 2, 2024, 9:52 PM IST

Meitei in Manipur: पिछले साल 3 मई से शुरू हुई कुकी-मैतेई हिंसा को शुक्रवार को एक साल पूरा होने जा रहा है. हिंसा में अब तक 200 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं, हजारों लोग विस्थापित हो गए. हाल ही में, अस्थिर राज्य में अज्ञात हमलावरों द्वारा सीआरपीएफ के भी दो जवानों की हत्या कर दी गई थी. इस बीच, मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों ने 37 लापता लोगों की वापस लाने के लिए सरकार से अपील की है. पढ़ें ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट...

one year of manipur violence
मणिपुर हिंसा का एक साल, केंद्र से मैतेई समुदाय ने लगाई गुहार (Etv Bharat)

नई दिल्ली: लगभग एक साल होने को है, मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच लगातार संघर्ष जारी है. इस स्थिति के बीच, मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार के साथ-साथ कुकी समुदाय से पिछले साल मई से लापता हुए 31 मैतेई लोगों की वापसी की सुविधा प्रदान करने की अपील की.

सोल्स ऑफरेड यूनाइटेडली फॉर ए लस्ट्रेटेड सोसाइटी (SOULS) के अध्यक्ष आरके बिजयलक्ष्मी ने कहा, 'उन परिवारों की पीड़ा को कम करने के लिए जो लापता व्यक्तियों के माता-पिता, पत्नी या परिजन हैं, लापता व्यक्तियों के ठिकाने का पता लगाना जरूरी है. इससे उन्हें अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिलती है, जिससे लापता घटनाओं का पटाक्षेप हो जाता है. अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सकता है. इसके अलावा, यदि शवों का पता नहीं चल पाता है, तो संबंधित अधिकारियों के लिए तत्काल आवश्यकता है कि वे लापता व्यक्तियों को अप्राप्य घोषित करें और तदनुसार प्रमाण पत्र जारी करें'.

one year of manipur violence
मणिपुर हिंसा का एक साल (ETV Bharat)

गुरुवार को कई परिवार के सदस्यों ने अपने लापता परिजनों को वापस लाने के लिए कदम उठाने की अपील की है. बता दें कि SOULS मणिपुर की एक सामाजिक संस्था है जो लापता लोगों को ढूंढने का काम करती है. बिजयलक्ष्मी ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हमारी आवाज जरूर सुनेंगे. हम केंद्र सरकार से लापता लोगों का पता लगाने में मदद करने की अपील करते हैं'.

अपने परिवार के सदस्यों के अस्तित्व के बारे में अनभिज्ञ, अस्थिर राज्य में पीड़ितों के कई परिजन पहले ही पैंगोंग पेड़ के पत्तों का उपयोग करके मैतेई परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुके हैं. युमखैबम किरण कुमार के साथ 6 मई, 2023 से लापता पत्रकार एटम समरेंद्र की 47 वर्षीय पत्नी एटम कविता कहती हैं, 'मेरे पति लापता होने वाले पहले व्यक्तियों में से थे. मैंने उनके शव के स्थान पर पैंगोंग पेड़ के पत्तों का उपयोग करके हमारी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया है'.

कविता (जबकि उसके गालों पर आंसू बह रहे थे) ने कहा, 'कड़वी सच्चाई यह है कि कोई समापन नहीं है और मुझे शांति नहीं मिल रही है. मेरे दिल के कोने में, मुझे अभी भी विश्वास है कि मेरे पति कहीं जीवित हैं. मैं अभी भी उनकी वापसी के लिए उत्सुक हूं, क्योंकि उन्होंने कोविड-19 (COVID-19) महामारी के दौरान कुकी समुदाय की मदद की थी. कुकी गांव वालों के मन में उनके लिए गहरा सम्मान और प्यार है. मैं विश्वास नहीं कर सकती कि वे उस व्यक्ति को मार देंगे, जिसने सख्त जरूरतों में उनकी मदद की'.

मैतेई समुदाय के कुल लापता 31 लोगों में से दो नाबालिग थे. कुकी समुदाय में स्थिति लगभग वैसी ही है, पिछले एक साल में कुकी समुदाय के कई लोग लापता भी हुए हैं. इस बीच, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) समिति ने जारी हिंसा के विरोध में 3 मई को बंद का आह्वान किया है. आईटीएलएफ सचिव एनजे हाओनेओ ने कहा, 'इस महत्वपूर्ण अवसर के हिस्से के रूप में, हम कुकी-जो समुदाय के सभी सदस्यों से स्मरण और एकजुटता के प्रतीक के रूप में हर घर पर एक काला झंडा फहराने का आग्रह करते हैं. इसके अतिरिक्त, सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, संस्थानों और बाजारों से अनुरोध किया जाता है कि वे हमारे शहीद नायकों के सम्मान और श्रद्धांजलि के संकेत के रूप में इस दिन बंद रहें'.

हालांकि, राज्य में शांति लाने के सरकारी प्रयास कोई उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने में विफल रहे. जबकि कुकी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि कुकी-जोमी-हमर-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक 'अलग प्रशासन' का निर्माण शांति स्थापित करने का एकमात्र तरीका है. मैतेई का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन मणिपुर को अलग करने का विरोध करते रहे हैं.

पढ़ें: मणिपुर: असम राइफल्स की पहल पर कुकी-मैतेई समुदाय आए साथ, 37 छात्राओं को मुफ्त शिक्षा

नई दिल्ली: लगभग एक साल होने को है, मणिपुर में कुकी और मैतेई के बीच लगातार संघर्ष जारी है. इस स्थिति के बीच, मैतेई समुदाय के प्रतिनिधियों ने गुरुवार को केंद्र सरकार, मणिपुर सरकार के साथ-साथ कुकी समुदाय से पिछले साल मई से लापता हुए 31 मैतेई लोगों की वापसी की सुविधा प्रदान करने की अपील की.

सोल्स ऑफरेड यूनाइटेडली फॉर ए लस्ट्रेटेड सोसाइटी (SOULS) के अध्यक्ष आरके बिजयलक्ष्मी ने कहा, 'उन परिवारों की पीड़ा को कम करने के लिए जो लापता व्यक्तियों के माता-पिता, पत्नी या परिजन हैं, लापता व्यक्तियों के ठिकाने का पता लगाना जरूरी है. इससे उन्हें अंतिम संस्कार करने की अनुमति मिलती है, जिससे लापता घटनाओं का पटाक्षेप हो जाता है. अपराधियों को न्याय के कटघरे में लाया जा सकता है. इसके अलावा, यदि शवों का पता नहीं चल पाता है, तो संबंधित अधिकारियों के लिए तत्काल आवश्यकता है कि वे लापता व्यक्तियों को अप्राप्य घोषित करें और तदनुसार प्रमाण पत्र जारी करें'.

one year of manipur violence
मणिपुर हिंसा का एक साल (ETV Bharat)

गुरुवार को कई परिवार के सदस्यों ने अपने लापता परिजनों को वापस लाने के लिए कदम उठाने की अपील की है. बता दें कि SOULS मणिपुर की एक सामाजिक संस्था है जो लापता लोगों को ढूंढने का काम करती है. बिजयलक्ष्मी ने कहा, 'हमें उम्मीद है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह हमारी आवाज जरूर सुनेंगे. हम केंद्र सरकार से लापता लोगों का पता लगाने में मदद करने की अपील करते हैं'.

अपने परिवार के सदस्यों के अस्तित्व के बारे में अनभिज्ञ, अस्थिर राज्य में पीड़ितों के कई परिजन पहले ही पैंगोंग पेड़ के पत्तों का उपयोग करके मैतेई परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार कर चुके हैं. युमखैबम किरण कुमार के साथ 6 मई, 2023 से लापता पत्रकार एटम समरेंद्र की 47 वर्षीय पत्नी एटम कविता कहती हैं, 'मेरे पति लापता होने वाले पहले व्यक्तियों में से थे. मैंने उनके शव के स्थान पर पैंगोंग पेड़ के पत्तों का उपयोग करके हमारी परंपरा के अनुसार अंतिम संस्कार किया है'.

कविता (जबकि उसके गालों पर आंसू बह रहे थे) ने कहा, 'कड़वी सच्चाई यह है कि कोई समापन नहीं है और मुझे शांति नहीं मिल रही है. मेरे दिल के कोने में, मुझे अभी भी विश्वास है कि मेरे पति कहीं जीवित हैं. मैं अभी भी उनकी वापसी के लिए उत्सुक हूं, क्योंकि उन्होंने कोविड-19 (COVID-19) महामारी के दौरान कुकी समुदाय की मदद की थी. कुकी गांव वालों के मन में उनके लिए गहरा सम्मान और प्यार है. मैं विश्वास नहीं कर सकती कि वे उस व्यक्ति को मार देंगे, जिसने सख्त जरूरतों में उनकी मदद की'.

मैतेई समुदाय के कुल लापता 31 लोगों में से दो नाबालिग थे. कुकी समुदाय में स्थिति लगभग वैसी ही है, पिछले एक साल में कुकी समुदाय के कई लोग लापता भी हुए हैं. इस बीच, इंडिजिनस ट्राइबल लीडर्स फोरम (ITLF) समिति ने जारी हिंसा के विरोध में 3 मई को बंद का आह्वान किया है. आईटीएलएफ सचिव एनजे हाओनेओ ने कहा, 'इस महत्वपूर्ण अवसर के हिस्से के रूप में, हम कुकी-जो समुदाय के सभी सदस्यों से स्मरण और एकजुटता के प्रतीक के रूप में हर घर पर एक काला झंडा फहराने का आग्रह करते हैं. इसके अतिरिक्त, सभी व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, संस्थानों और बाजारों से अनुरोध किया जाता है कि वे हमारे शहीद नायकों के सम्मान और श्रद्धांजलि के संकेत के रूप में इस दिन बंद रहें'.

हालांकि, राज्य में शांति लाने के सरकारी प्रयास कोई उल्लेखनीय उपलब्धि हासिल करने में विफल रहे. जबकि कुकी ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है कि कुकी-जोमी-हमर-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों को शामिल करते हुए एक 'अलग प्रशासन' का निर्माण शांति स्थापित करने का एकमात्र तरीका है. मैतेई का प्रतिनिधित्व करने वाले संगठन मणिपुर को अलग करने का विरोध करते रहे हैं.

पढ़ें: मणिपुर: असम राइफल्स की पहल पर कुकी-मैतेई समुदाय आए साथ, 37 छात्राओं को मुफ्त शिक्षा

Last Updated : May 2, 2024, 9:52 PM IST
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