गुवाहाटी: मणिपुर के कुकी ज़ो (Kuki Zo) समुदाय के आदिवासी नेताओं ने 10 'ग्रामीण स्वयंसेवकों' की मौत की विस्तृत जांच की मांग की, जिन्हें मणिपुर के जिरिबाम में हाल ही में हुई हिंसा के दौरान सीआरपीएफ जवानों द्वारा गोली मार दी गई थी. कुकी समुदाय के लोगों गुरुवार को चुराचांदपुर के लामका में शोक कार्यक्रम आयोजित किया, जिसमें हजारों लोग शामिल हुए और हिंसा के दौरान मारे गए 12 नागरिकों को अंतिम श्रद्धांजलि दी.
इन 12 लोगों में वे 10 युवा शामिल हैं जो 11 नवंबर को सीआरपीएफ के साथ मुठभेड़ के दौरान मारे गए थे. दो अन्य अज्ञात बंदूकधारियों द्वारा मारे गए थे. मुठभेड़ के बाद इनके शव मुर्दाघर में रखे थे. बुधवार की शाम मुर्दाघर से शवों को उनके घरों तक ले जाया गया. इसके बाद लामका में अंतिम संस्कार कार्यक्रम में लाया गया. सभी जनजाति नेताओं ने पारंपरिक शॉल से उनके ताबूतों को ढककर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
इस कार्यक्रम में पड़ोसी राज्य मिजोरम के युवा मिजो एसोसिएशन (सीवाईएमए) के नेताओं और मिजोरम के मुख्यमंत्री के सलाहकार पु गिनजालाल हौजेल सहित मिजोरम का एक प्रतिनिधिमंडल भी शामिल हुआ. उन्होंने मृतकों के ताबूत पर पारंपरिक शॉल डालकर उन्हें श्रद्धांजलि दी.
इसके बाद दोपहर में शवों को कब्रिस्तान में दफनाया गया. श्रद्धांजलि कार्यक्रम में मृतकों के परिवारों ने भाषण दिए और गांव के स्वयंसेवकों द्वारा बंदूकों की सलामी दी गई.
इस बीच, स्वदेशी जनजातीय नेताओं के मंच (आईटीएलएफ) ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को लिखे एक पत्र में 10 कुकी युवकों की हत्या की न्यायिक जांच की मांग की. साथ ही आईटीएलएफ ने मणिपुर में कुकी ज़ो लोगों के लिए अलग प्रशासन की नींव रखने का आग्रह किया है.
आईटीएलएफ ने केंद्र सरकार को याद दिलाया कि मणिपुर में पिछले 19 महीने से जातीय संघर्ष जारी है. सामान्य स्थिति लौटने के कोई संकेत नहीं हैं और अल्पसंख्यक कुकी समुदाय मैतेई उग्रवादियों, सांप्रदायिक राज्य सरकार और अब केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) के हाथों लगातार पीड़ित है.
यह भी पढ़ें- भाजपा के आरोप गलत, विपक्षी एकता में कोई दरार नहीं, बोले सपा सांसद अफजाल अंसारी