नई दिल्ली: दिल्ली के केशवपुर मंडी के पास रविवार तड़के बड़ा हादसा हुआ. दिल्ली जल बोर्ड के प्लांट के अंदर बने 40 फीट गहरे बोरवेल में एक व्यक्ति गिर गया था. सूचना पाकर आनन-फानन में दमकल, एनडीआरएफ और दिल्ली पुलिस की टीम घटनास्थल पर पहुंची. और बोरवेल में फंसे युवक को निकालने के लिए जुट गई. करीब 15 घंटे तक चले रेस्क्यू ऑपरेशन के बाद बोरवेल से शख्स को एनडीआरफ ने बाहर निकाला. उसे इलाज के लिए दीनदयाल उपाध्याय हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां उसकी मौत हो गई.
मंत्री आतिशी ने एक्स पर पोस्ट में लिखा, 'बड़े दुख के साथ मैं यह खबर साझा कर रही हूं कि 40 फुट गहरे बोरवेल में गिरे व्यक्ति का शव रविवार को लगभग 15 घंटे के लंबे ऑपरेशन के बाद बाहर निकाला गया. करीब 30 साल की उम्र वाले इस व्यक्ति की अभी तक पहचान नहीं हो पाई है. मैं एनडीआरएफ टीम को धन्यवाद देती हूं, जिन्होंने कई घंटों तक बचाव अभियान में हर संभव प्रयास किया."
इससे पहले, मंत्री आतिशी ने केशवपुर में दिल्ली जल बोर्ड के जल उपचार संयंत्र का दौरा किया, जहां व्यक्ति 40 फुट गहरे बोरवेल में गिर गया था. उन्होंने कहा, ''अगले 48 घंटों में दिल्ली के सभी बोरवेलों का निरीक्षण करने का आदेश दिया है. उस अधिकारी के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी, जो इस एसटीपी (सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट) के लिए जिम्मेदार है. जब बचाव दल घटनास्थल पर पहुंचा तो आसपास का बोरवेल पूरी तरह से बंद था."
पुलिस उपायुक्त (पश्चिम) विचित्र वीर ने कहा, "रात में विकासपुरी पुलिस स्टेशन में एक पीसीआर कॉल प्राप्त हुई थी. बताया गया कि केशोपुर जल बोर्ड कार्यालय में एक व्यक्ति बोरवेल में गिर गया है. जिसके बाद रेस्क्यू ऑपरेशन में एनडीआरएफ की टीम रात से जुटी थी. अभी तक व्यक्ति की शिनाख्त नहीं हो सकी है. वह व्यक्ति यहां पर क्यों आया था. कैसे वह होल में गिरा. दिल्ली पुलिस इस पूरे मामले की जांच करेगी.
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प्रमुख सचिव को दिया जांच का आदेश: मंत्री आतिशी ने कहा कि मुख्य सचिव को भी पत्र लिखकर घटना की समयबद्ध जांच करने और जिम्मेदार पाए जाने वाले अधिकारी के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. उन्होंने 48 घंटे के भीतर इस मामले में अनुपालन रिपोर्ट भी मांगी है.
बता दें, जिस बोरवेल में व्यक्ति गिरा, उसके आसपास का क्षेत्र पूरी तरह से बंद था. किसी को भी इस क्षेत्र में प्रवेश की अनुमति नहीं थी. रेस्क्यू टीम ताला तोड़कर अंदर घुसे थे. यह बोरवेल उस जमीन पर था जिसे 2020 में दिल्ली मेट्रो को सौंप दिया गया था.