बस्तर: प्राकृतिक सुंदरताओं से भरपूर कांगेर घाटी राष्ट्रीय उद्यान में दो दिवसीय पक्षियों की गणना हुई है, जिसमें 210 पक्षियों की प्रजातियां पाई गई है. इस सर्वे के अनुसार मलाबार पाइल्ड हॉर्नबिल, ब्लैक केट किंग फिशर, ब्लैक ईगल, जेडेन बाजा, ब्लैक बाजा ये सभी पक्षी पहली बार बस्तर में देखे गए हैं. 25 फरवरी से बर्ड्स की काउंटिंग शुरू हुई और पक्षियों के सर्वे का यह काम 27 फरवरी तक चला. इस सर्वे में पहली बार पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले पक्षी की पहचान कांगेर वैली नेशनल पार्क में हुई है.
15 से अधिक गांवों में पहाड़ी मैना की है प्रजाति: इस बारे में कांगेर घाटी राष्ट्रीय पार्क के निदेशक गणवीर धम्मशील ने बताया कि, "दूसरे फेज की गणना हो चुकी है. इसमें 210 पक्षियों की प्रजातियां देखी गई है. बर्ड काउंटिंग के लिए 10 राज्यों के 70 से अधिक विशेषज्ञ बस्तर पहुंचे हुए हैं. कांगेर वैली नेशनल पार्क में छत्तीसगढ़ की राजकीय पक्षी पहाड़ी मैना की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है. 15 से अधिक गांवों में पहाड़ी मैना को देखा गया है. साथ ही अन्य पक्षियों के विषय मे भी जानकारी जुटाई जा रही है. उम्मीद है कि और भी पक्षियों की पुष्टि होगी. फिलहाल पश्चिमी घाट में पाए जाने वाले पक्षी की पुष्टि होना बस्तर के लिए एक उपलब्धि है."
70 से अधिक पक्षी विशेषज्ञ बर्ड काउंटिंग में शामिल: बताया जा रहा है कि साल 2023 में इसी तरह का एक सर्वेक्षण किया गया था, जिसमें 201 पक्षी प्रजातियों की पहचान की गई थी. इनमें पहाड़ी मैना, ब्लैक-हुडेड ओरिओल, रैकेट-टेल्ड ड्रोंगो, जंगल फाउल और कठफोड़वा पक्षी शामिल थे. पिछले साल हुए अध्ययन से यह स्पष्ट हो गया है कि राष्ट्रीय उद्यान पक्षियों के लिए एक प्रमुख केंद्र है. देश में पक्षी प्रेमियों के लिए हॉटस्पॉट के रूप में यह उभर रहा है. इस सर्वेक्षण से पार्क में अधिक पक्षी प्रजातियों की पहचान करने और उनकी आदतों और आबादी का पता लगाने में मदद मिलेगी. साथ ही इको-टूरिज्म के तहत इसमें नए आयाम जुड़ेंगे. बर्ड काउंट इंडिया के सहयोग से आयोजित इस सर्वे में छत्तीसगढ़ के अलावा पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, गुजरात और राजस्थान के 70 से अधिक पक्षी विशेषज्ञ और शोधकर्ता शामिल हैं.