ETV Bharat / bharat

18 साल बाद हत्यारों को हुई सजा, सस्पेंस हॉरर है देहरादून के पुष्पेंद्र दुग्गल मर्डर की कहानी - Pushpendra Duggal murder case

Verdict in Dehradun Pushpendra Duggal murder case देहरादून के बुजुर्ग पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल के हत्यारों को सजा सुना दी गई है. 18 साल तक चली अदालती कार्रवाई के बाद हत्या के दोषी महमूद अली को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई. नईम को कोर्ट ने 7 साल की सजा दी है. रंगाई पुताई करने वाले इन लोगों ने संपत्ति के लिए पुष्पेंद्र दुग्गल की हत्या करके फर्जी दस्तावेज तक बना लिए थे. ये हत्यारे पुलिस के हत्थे कैसे चढ़े, पढ़ें सस्पेंस, थ्रिल और रहस्यों से भरी ये पूरी स्टोरी.

Pushpendra Duggal murder case
देहरादून अपराध समाचार (Photo- ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Sep 24, 2024, 12:45 PM IST

Updated : Sep 24, 2024, 4:48 PM IST

देहरादून: द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश महेश चंद्र की अदालत ने 18 साल पहले शहर कोतवाली क्षेत्र में हुई बुजुर्ग की हत्या के एक दोषी को उम्रकैद और दूसरे को सात साल की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों दोषियों पर अर्थदंड भी लगाया गया. अर्थदंड अदा न करने पर दोषियों को अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी. वहीं इस मामले में एक आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया. एक आरोपी की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है.

पुष्पेंद्र दुग्गल के हत्यारों को सजा: मंजीत चावला ने डालनवाला कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके मामा पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल म्युनिसिपल रोड क्षेत्र में अकेले रहते थे. उनकी कर्जन रोड पर संपत्ति थी. 13 फरवरी 2006 को उन्हें फोन पर सूचना मिली कि मामा पुष्पेंद्र सिंह का कहीं पता नहीं चल रहा है. मनजीत चावला उनके घर पहुंचे तो पता चला कि वह कार सहित लापता हैं. मंजीत ने अपने रिश्तेदारों से पता किया, लेकिन उनका पता नहीं लग पाया. इस आधार पर डालनवाला कोतवाली में पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज किया गया था.

महमूद अली को आजीवन कारावास: उसके बाद 25 अप्रैल 2007 को जालंधर कैंट में हुए रेल हादसे में रेलवे लाइन के किनारे एक शव मिला था. नईम राहत ने मृतक की पहचान पुष्पेंद्र सिंह के रूप में की. इसके बाद आरोपी ने पुष्पेंद्र सिंह का चंडीगढ़ से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर देहरादून और दिल्ली में उनके संपत्ति की वसीयत बना ली. पुलिस ने शक के आधार पर नईम को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि कुतुबुद्दीन, महमूद, नईम और तेजपाल सिंह ने बुजुर्ग पुष्पेंद्र सिंह की हत्या की थी. अदालत में करीब 18 साल तक केस चलता रहा. इस दौरान कुतुबुद्दीन की 4 सितंबर 2022 को मृत्यु हो गई. आरोपी तेजपाल को दोष मुक्त कर दिया गया था.

ऐसे किया था पुष्पेंद्र दुग्गल का कत्ल: पुलिस जांच में जानकारी मिली थी कि सरदार पुष्पेंद्र सिंह कर्जन रोड पर अकेले अपने मकान में रहते थे. पत्नी अलग मकान में रहती थी. पुष्पेंद्र सिंह अचानक गायब हो गए. परिजनों ने थाना डालनवाला में गुमशुदगी दर्ज कराई. इसी दौरान पता चला कि पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की एक वसीयत जिला जज न्यायालय में दाखिल की गई. यहां पुष्पेंद्र सिंह के वकीलों ने इसे देखते ही पहचान लिया कि वसीयत पर जो साइन हैं, वह पुष्पेंद्र सिंह के नहीं हैं. जो लोग संपत्ति पर हक जता रहे हैं, वह भी संदिग्ध हैं.

पुताई करने वालों ने कर दी हत्या: पुलिस को पता चला कि संपत्ति पर हक जताने वाले सभी पुताई का काम करते हैं. चारों ने पुष्पेंद्र सिंह के घर पर पुताई का काम किया था. बातों बातों में आरोपियों ने बुजुर्ग से सारी जानकारी हासिल कर ली थी. घटना के समय पुष्पेंद्र सिंह के दोनों बेटे विदेश में रह रहे थे. ऐसे में वह अकेले ही घर पर रहते थे. चारों आरोपियों ने सुनियोजित ढंग से गैराज में बुजुर्ग की हत्या की. इसके बाद शव को ड्रम में डालकर चंद्रमणि फायरिंग रेंज में ले गए. वहां उन्होंने शव जला दिया और आरोपी महमूद ने दुग्गल की कार बेच दी.

ऐसे तैयार किए जाली दस्तावेज: कोर्ट में जो फर्जी वसीयत जमा की उसमें कुतुबुद्दीन के साइन थे. पुलिस जांच में महमूद के घर से कई दस्तावेज बरामद किए गए. नईम ने चंडीगढ़ से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार करवाया और जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए. तेजपाल सिंह का कोई रोल सामने नहीं आया.

नईम को 7 साल की सजा: जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने बताया है कि अदालत ने महमूद अली को हत्या आईपीसी 302 में आजीवन कारावास और 10,000 रुपए अर्थ दंड, आपराधिक षड्यंत्र आईपीसी 120 भी में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थ दंड, जालसाजी आईपीसी 468 में 5 साल कारावास और 3000 रुपए का अर्थ दंड और सरकारी दस्तावेज में छेड़छाड़ आईपीसी 471 में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थ दंड की सजा सुनाई है. दूसरे दोषी नईम राहत को अपराधिक षड्यंत्र में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थदंड, जालसाजी आईपीसी 467 में 7 साल कारावास और 5000 रुपए का अर्थदंड, सरकारी दस्तावेज में छेड़छाड़ में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थ दंड की सजा सुनाई है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी और दोनों दोषियों को न्यायालय परिसर से हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया.
ये भी पढ़ें:

देहरादून: द्वितीय अपर सत्र न्यायाधीश महेश चंद्र की अदालत ने 18 साल पहले शहर कोतवाली क्षेत्र में हुई बुजुर्ग की हत्या के एक दोषी को उम्रकैद और दूसरे को सात साल की सजा सुनाई है. साथ ही दोनों दोषियों पर अर्थदंड भी लगाया गया. अर्थदंड अदा न करने पर दोषियों को अतिरिक्त सजा भुगतनी पड़ेगी. वहीं इस मामले में एक आरोपी को दोषमुक्त करार दिया गया. एक आरोपी की ट्रायल के दौरान मौत हो चुकी है.

पुष्पेंद्र दुग्गल के हत्यारों को सजा: मंजीत चावला ने डालनवाला कोतवाली में शिकायत दर्ज कराई थी कि उनके मामा पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल म्युनिसिपल रोड क्षेत्र में अकेले रहते थे. उनकी कर्जन रोड पर संपत्ति थी. 13 फरवरी 2006 को उन्हें फोन पर सूचना मिली कि मामा पुष्पेंद्र सिंह का कहीं पता नहीं चल रहा है. मनजीत चावला उनके घर पहुंचे तो पता चला कि वह कार सहित लापता हैं. मंजीत ने अपने रिश्तेदारों से पता किया, लेकिन उनका पता नहीं लग पाया. इस आधार पर डालनवाला कोतवाली में पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की गुमशुदगी का मुकदमा दर्ज किया गया था.

महमूद अली को आजीवन कारावास: उसके बाद 25 अप्रैल 2007 को जालंधर कैंट में हुए रेल हादसे में रेलवे लाइन के किनारे एक शव मिला था. नईम राहत ने मृतक की पहचान पुष्पेंद्र सिंह के रूप में की. इसके बाद आरोपी ने पुष्पेंद्र सिंह का चंडीगढ़ से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र बनाकर देहरादून और दिल्ली में उनके संपत्ति की वसीयत बना ली. पुलिस ने शक के आधार पर नईम को हिरासत में लेकर उससे पूछताछ की तो उसने बताया कि कुतुबुद्दीन, महमूद, नईम और तेजपाल सिंह ने बुजुर्ग पुष्पेंद्र सिंह की हत्या की थी. अदालत में करीब 18 साल तक केस चलता रहा. इस दौरान कुतुबुद्दीन की 4 सितंबर 2022 को मृत्यु हो गई. आरोपी तेजपाल को दोष मुक्त कर दिया गया था.

ऐसे किया था पुष्पेंद्र दुग्गल का कत्ल: पुलिस जांच में जानकारी मिली थी कि सरदार पुष्पेंद्र सिंह कर्जन रोड पर अकेले अपने मकान में रहते थे. पत्नी अलग मकान में रहती थी. पुष्पेंद्र सिंह अचानक गायब हो गए. परिजनों ने थाना डालनवाला में गुमशुदगी दर्ज कराई. इसी दौरान पता चला कि पुष्पेंद्र सिंह दुग्गल की एक वसीयत जिला जज न्यायालय में दाखिल की गई. यहां पुष्पेंद्र सिंह के वकीलों ने इसे देखते ही पहचान लिया कि वसीयत पर जो साइन हैं, वह पुष्पेंद्र सिंह के नहीं हैं. जो लोग संपत्ति पर हक जता रहे हैं, वह भी संदिग्ध हैं.

पुताई करने वालों ने कर दी हत्या: पुलिस को पता चला कि संपत्ति पर हक जताने वाले सभी पुताई का काम करते हैं. चारों ने पुष्पेंद्र सिंह के घर पर पुताई का काम किया था. बातों बातों में आरोपियों ने बुजुर्ग से सारी जानकारी हासिल कर ली थी. घटना के समय पुष्पेंद्र सिंह के दोनों बेटे विदेश में रह रहे थे. ऐसे में वह अकेले ही घर पर रहते थे. चारों आरोपियों ने सुनियोजित ढंग से गैराज में बुजुर्ग की हत्या की. इसके बाद शव को ड्रम में डालकर चंद्रमणि फायरिंग रेंज में ले गए. वहां उन्होंने शव जला दिया और आरोपी महमूद ने दुग्गल की कार बेच दी.

ऐसे तैयार किए जाली दस्तावेज: कोर्ट में जो फर्जी वसीयत जमा की उसमें कुतुबुद्दीन के साइन थे. पुलिस जांच में महमूद के घर से कई दस्तावेज बरामद किए गए. नईम ने चंडीगढ़ से फर्जी मृत्यु प्रमाण पत्र तैयार करवाया और जमीनों के फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए. तेजपाल सिंह का कोई रोल सामने नहीं आया.

नईम को 7 साल की सजा: जिला शासकीय अधिवक्ता जया ठाकुर ने बताया है कि अदालत ने महमूद अली को हत्या आईपीसी 302 में आजीवन कारावास और 10,000 रुपए अर्थ दंड, आपराधिक षड्यंत्र आईपीसी 120 भी में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थ दंड, जालसाजी आईपीसी 468 में 5 साल कारावास और 3000 रुपए का अर्थ दंड और सरकारी दस्तावेज में छेड़छाड़ आईपीसी 471 में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थ दंड की सजा सुनाई है. दूसरे दोषी नईम राहत को अपराधिक षड्यंत्र में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थदंड, जालसाजी आईपीसी 467 में 7 साल कारावास और 5000 रुपए का अर्थदंड, सरकारी दस्तावेज में छेड़छाड़ में 7 साल कैद और 5000 रुपए का अर्थ दंड की सजा सुनाई है. सभी सजाएं साथ-साथ चलेंगी और दोनों दोषियों को न्यायालय परिसर से हिरासत में लेकर जेल भेज दिया गया.
ये भी पढ़ें:

Last Updated : Sep 24, 2024, 4:48 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.