अहमदनगर : महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित शिरडी साईं मंदिर में भक्त निवास, प्रसादालय, साईंबाबा अस्पताल, शैक्षणिक परिसर जैसी विभिन्न इमारतों का निर्माण किया गया है और श्री साईंबाबा संस्थान ट्रस्ट बिजली बिल के लिए सालाना करीब 20 करोड़ रुपये खर्च करता है. बहुत जल्द साईंबाबा संस्थान बिजली उत्पादन में आत्मनिर्भर होगा और पर्यावरण के अनुकूल सौर यूनिट और पवन चक्कियों के जरिये आठ मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाएगा.
इससे साईंबाबा संस्थान प्रति वर्ष लगभग 20 करोड़ रुपये बचाएगा और संभावना है कि साईंबाबा संस्थान बिजली के मामले में आत्मनिर्भर होने वाला राज्य का पहला तीर्थ स्थल बन जाएगा.
देश का दूसरा सबसे अमीर मंदिर
देश-विदेश के भक्त साईंबाबा के दर्शन करने और उनका आशीर्वाद लेने के लिए शिरडी आते हैं. शिरडी साईं मंदिर को देश का दूसरा सबसे अमीर मंदिर भी कहा जाता है. साईंबाबा संस्थान में साईं मंदिर, मंदिर परिसर, विभिन्न भक्तों के निवास, अस्पताल और प्रसादालय जैसी विभिन्न इमारतें शामिल हैं. इन इमारतों में आवश्यक बिजली महावितरण (महाराष्ट्र राज्य विद्युत वितरण कंपनी लिमिटेड) से ली जाती है.
हालांकि, कुछ वर्ष पूर्व साईंबाबा संस्थान के माध्यम से पारनेर तालुका के सुपा में दो पवन चक्की परियोजनाएं स्थापित की गई थीं. उसके बाद प्रसादालय की इमारत पूरी तरह सौर ऊर्जा आधारित थी. साईं आश्रम भक्त निवास में भी सौर पैनल लगाए गए हैं.
साईंबाबा संस्थान पूरी तरह आत्मनिर्भर होगा
साईंबाबा संस्थान को आठ मेगावाट बिजली की आवश्यकता है. वर्तमान में पवन चक्की और छत पर लगे सौर ऊर्जा से चार मेगावाट बिजली का उत्पादन किया जाता है. जबकि अन्य स्थानों पर आवश्यक बिजली महावितरण से ली जाती है, जिसके लिए साईंबाबा संस्थान को प्रति वर्ष लगभग 20 करोड़ रुपये का खर्च आता है.
हालांकि, कुछ दिनों पहले महावितरण और साईंबाबा संस्थान की बैठक में साईंबाबा संस्थान को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनाने का निर्णय लिया गया. इसके अनुसार पवन चक्की की क्षमता बढ़ाने, भक्तों और अस्पताल की इमारतों पर सौर पैनल स्थापित कर बिजली उत्पादन करने का निर्णय लिया गया है.
साईंबाबा संस्थान की 20 करोड़ रुपये की बचत
नई दर्शन रेंज पर सोलर यूनिट लगाने का काम दरअसल आने वाले सप्ताह में शुरू हो जाएगा. इससे साईंबाबा संस्थान को सालाना करीब 20 करोड़ रुपये की बचत होगी. बिजली के मामले में साईंबाबा संस्थान आठ मेगावाट बिजली पैदा करके आत्मनिर्भर तीर्थस्थल बनने वाला राज्य का पहला तीर्थस्थल होगा.
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