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महाराष्ट्र राज्यसभा उपचुनाव 2024: महायुति अपने मराठा उम्मीदवार उतार सकती है मैदान में - Maharashtra Rajya Sabha By Election

महाराष्ट्र में होने वाले उपचुनाव में मराठा आरक्षण आंदोलन का सहारा लेते हुए महायुति मराठा समुदाय को अपने पक्ष में करने का प्रयास कर सकती है. इसके लिए वह अपने तीन मराठा चेहरों विनोद तावड़े, रावसाहेब दानवे और नितिन पाटिल को मैदान में उतार सकती है.

Maharashtra Rajya Sabha By-election 2024
महाराष्ट्र राज्यसभा उपचुनाव 2024 (फोटो - IANS Photo)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Aug 12, 2024, 5:58 PM IST

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में, महायुति मराठा समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए राज्यसभा उपचुनाव में मराठा कार्ड खेल सकती है. इस कारण, कहा जा रहा है कि उपचुनाव में विनोद तावड़े, रावसाहेब दानवे और नितिन पाटिल जैसे मराठा चेहरों को मौका दिया जाना लगभग तय है.

हालांकि इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महायुति ने स्पष्ट किया कि वे उन्हें मराठा नहीं, बल्कि एक सक्षम नेता के रूप में देख रहे हैं. हाल ही में राज्य में 12 विधान परिषद सीटों के लिए हुए चुनाव में महागठबंधन 9 सीटें जीतने में सफल रहा. उससे अब महागठबंधन का मनोबल राज्यसभा उपचुनाव की तैयारी में बढ़ता दिख रहा है.

राज्यसभा सदस्यों के लोकसभा में निर्वाचित होने के बाद 10 सीटें रिक्त हो गई हैं. साथ ही, रिक्त 10 सीटों में से 7 सीटें भाजपा की, 2 सीटें कांग्रेस की और 1 सीट राजद की है. इन सीटों पर महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए निर्वाचित पीयूष गोयल और छत्रपति उदयनराजे भोसले का नाम है.

इन सीटों के लिए उपचुनाव 3 सितंबर को होंगे और महाराष्ट्र की एक सीट पर महागठबंधन की ओर से भाजपा का एक उम्मीदवार और दूसरी सीट पर राकांपा का एक उम्मीदवार मैदान में होगा. विधानमंडल में महागठबंधन की ताकत पर नजर डालें तो महागठबंधन के पास कुल 196 विधायकों की ताकत है, जिसमें भाजपा के 106, सहयोगी दलों के 80 और 10 निर्दलीय विधायक हैं.

साथ ही, यह भी देखा जा सकता है कि महाविकास आघाड़ी को इन सीटों पर चुनाव लड़ने का कोई विचार नहीं है. इसलिए, संभावना है कि ये दोनों सीटें महायुति द्वारा निर्विरोध चुनी जाएंगी. चूंकि राज्यसभा सांसद छत्रपति उदयनराजे भोसले का कार्यकाल 5 अप्रैल, 2026 को समाप्त हो जाएगा, इसलिए उनके स्थान पर चुने गए उम्मीदवार को केवल बावन वर्ष का कार्यकाल मिलेगा.

चूंकि राज्यसभा सांसद पीयूष गोयल का कार्यकाल 4 जुलाई 2028 तक है, इसलिए उनकी जगह चुने गए उम्मीदवार को चार साल का कार्यकाल मिलेगा. इस उपचुनाव के लिए किसे नामित करना है, इसका फैसला संसदीय दल लेगा. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने बताया कि भले ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सतारा में इस संबंध में घोषणा की है, लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी की बैठक में ही लिया जाएगा.

उपाध्याय ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक स्थिति के अनुसार ही उम्मीदवार दिया जाएगा. इस बारे में एनसीपी प्रवक्ता संजय तटकरे ने कहा कि "बीजेपी ने जोर दिया था कि सतारा से लोकसभा उम्मीदवार उनका होना चाहिए. तब एनसीपी ने भी उनका समर्थन किया था. इसलिए, जैसा कि तब तय हुआ था, अब एनसीपी को राज्यसभा का मौका मिलना तय है."

उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी. पिछले साल से ही हम देख रहे हैं कि राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समुदाय में उबाल है. इससे लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को तगड़ा झटका लगा था. इसलिए संभावना है कि महायुति आगामी चुनाव में मराठा समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए मराठा कार्ड खेलेगी.

इसके लिए लंबे अनुभव वाले पूर्व सांसद रावसाहेब दानवे और संघ नेता विनोद तावड़े की उम्मीदवारी तय हो सकती है. दूसरी ओर, एनसीपी की ओर से सतारा जिले के नेता नितिन पाटिल की उम्मीदवारी तय होने की संभावना है. क्या इस चुनाव के बाद मराठा समुदाय का गुस्सा कम होता है? यह देखना महत्वपूर्ण होगा.

मुंबई: महाराष्ट्र राज्य में चल रहे मराठा आरक्षण आंदोलन की पृष्ठभूमि में, महायुति मराठा समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए राज्यसभा उपचुनाव में मराठा कार्ड खेल सकती है. इस कारण, कहा जा रहा है कि उपचुनाव में विनोद तावड़े, रावसाहेब दानवे और नितिन पाटिल जैसे मराठा चेहरों को मौका दिया जाना लगभग तय है.

हालांकि इस पर प्रतिक्रिया देते हुए महायुति ने स्पष्ट किया कि वे उन्हें मराठा नहीं, बल्कि एक सक्षम नेता के रूप में देख रहे हैं. हाल ही में राज्य में 12 विधान परिषद सीटों के लिए हुए चुनाव में महागठबंधन 9 सीटें जीतने में सफल रहा. उससे अब महागठबंधन का मनोबल राज्यसभा उपचुनाव की तैयारी में बढ़ता दिख रहा है.

राज्यसभा सदस्यों के लोकसभा में निर्वाचित होने के बाद 10 सीटें रिक्त हो गई हैं. साथ ही, रिक्त 10 सीटों में से 7 सीटें भाजपा की, 2 सीटें कांग्रेस की और 1 सीट राजद की है. इन सीटों पर महाराष्ट्र से राज्यसभा के लिए निर्वाचित पीयूष गोयल और छत्रपति उदयनराजे भोसले का नाम है.

इन सीटों के लिए उपचुनाव 3 सितंबर को होंगे और महाराष्ट्र की एक सीट पर महागठबंधन की ओर से भाजपा का एक उम्मीदवार और दूसरी सीट पर राकांपा का एक उम्मीदवार मैदान में होगा. विधानमंडल में महागठबंधन की ताकत पर नजर डालें तो महागठबंधन के पास कुल 196 विधायकों की ताकत है, जिसमें भाजपा के 106, सहयोगी दलों के 80 और 10 निर्दलीय विधायक हैं.

साथ ही, यह भी देखा जा सकता है कि महाविकास आघाड़ी को इन सीटों पर चुनाव लड़ने का कोई विचार नहीं है. इसलिए, संभावना है कि ये दोनों सीटें महायुति द्वारा निर्विरोध चुनी जाएंगी. चूंकि राज्यसभा सांसद छत्रपति उदयनराजे भोसले का कार्यकाल 5 अप्रैल, 2026 को समाप्त हो जाएगा, इसलिए उनके स्थान पर चुने गए उम्मीदवार को केवल बावन वर्ष का कार्यकाल मिलेगा.

चूंकि राज्यसभा सांसद पीयूष गोयल का कार्यकाल 4 जुलाई 2028 तक है, इसलिए उनकी जगह चुने गए उम्मीदवार को चार साल का कार्यकाल मिलेगा. इस उपचुनाव के लिए किसे नामित करना है, इसका फैसला संसदीय दल लेगा. भाजपा के मुख्य प्रवक्ता केशव उपाध्याय ने बताया कि भले ही उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने सतारा में इस संबंध में घोषणा की है, लेकिन अंतिम निर्णय पार्टी की बैठक में ही लिया जाएगा.

उपाध्याय ने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक स्थिति के अनुसार ही उम्मीदवार दिया जाएगा. इस बारे में एनसीपी प्रवक्ता संजय तटकरे ने कहा कि "बीजेपी ने जोर दिया था कि सतारा से लोकसभा उम्मीदवार उनका होना चाहिए. तब एनसीपी ने भी उनका समर्थन किया था. इसलिए, जैसा कि तब तय हुआ था, अब एनसीपी को राज्यसभा का मौका मिलना तय है."

उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही इस बारे में स्थिति स्पष्ट कर दी जाएगी. पिछले साल से ही हम देख रहे हैं कि राज्य में मराठा आरक्षण के मुद्दे पर मराठा समुदाय में उबाल है. इससे लोकसभा चुनाव में महागठबंधन को तगड़ा झटका लगा था. इसलिए संभावना है कि महायुति आगामी चुनाव में मराठा समुदाय को अपने पक्ष में करने के लिए मराठा कार्ड खेलेगी.

इसके लिए लंबे अनुभव वाले पूर्व सांसद रावसाहेब दानवे और संघ नेता विनोद तावड़े की उम्मीदवारी तय हो सकती है. दूसरी ओर, एनसीपी की ओर से सतारा जिले के नेता नितिन पाटिल की उम्मीदवारी तय होने की संभावना है. क्या इस चुनाव के बाद मराठा समुदाय का गुस्सा कम होता है? यह देखना महत्वपूर्ण होगा.

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