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जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का निधन, चीन, पाकिस्तान के खिलाफ 3 युद्धों में निभाई थी फाइटर पायलट की भूमिका - Pilot Baba passed away - PILOT BABA PASSED AWAY

Mahamandleshwar Pilot Baba passed away: देश के जाने माने संत और जूना अखाड़ा के महामंडलेश्वर पायलट बाबा का आज मुंबई में निधन हो गया है. पायलट बाबा ने पाकिस्तान से हुए 2 युद्धों में फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी. उसके बाद उन्होंने संन्यास ले लिया था. पायलट बाबा को बुधवार को हरिद्वार में समाधि दी जाएगी.

Mahamandleshwar Pilot Baba passed away
पायलट बाबा नहीं रहे (File photo)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : Aug 20, 2024, 4:59 PM IST

Updated : Aug 20, 2024, 5:30 PM IST

देहरादून: पाकिस्तान को 2 युद्धों में धूल चटाने वाली भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहे पायलट बाबा अब नहीं रहे. पायलट बाबा का आज निधन हो गया है. पायलट बाबा देश के बड़े संतों में एक थे. वो श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर भी थे. आज मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन होने से जूना अखाड़े सहित समस्त संत समाज व अखाड़े में शोक की लहर व्याप्त है.

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है. जूना अखाड़े द्वारा तीन दिन का शोक घोषित किया गया है. इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी.

श्री महंत हरी गिरी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी थे व समाज की देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी सन्यास यात्रा प्रारंभ की. उन्होंने कहा पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे.

Mahamandleshwar Pilot Baba passed away
पायलट बाबा (File Photo) (ETV Bharat)

भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे संत: संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे. पायलट बाबा को वायु सेना का पायलट होने के कारण संन्यास लेने पर इसी नाम से प्रसिद्धि मिली. उन्होंने 1962, 1965, 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए भाग लिया था. इन युद्धों में उन्होंने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी. उन्होंने पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 में हुए दो युद्धों में हिस्सा लिया था. दोनों युद्धों के सफल अभियान के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए.

साल 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया था. श्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी.

वहीं, हरिद्वार के पायलट बाबा आश्रम का संचालन देखने वाले उनके शिष्य स्वामी मुक्तानंद से हुई वार्तालाप में उन्होंने बताया कि फिलहाल अभी कब उन्हें समाधि दी जाएगी ये तय नहीं हुआ है, लेकिन हरिद्वार में उनके शरीर को सभी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन के लिए रखा जाएगा.

हरिद्वार में दी जाएगी समाधि: पायलट बाबा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर उनकी महासमाधि की जानकारी दी गई है. सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर लिखा गया है- ओम नमो नारायण, भारी मन से और अपने प्रिय गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ, दुनिया भर के सभी शिष्यों, भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी ने आज महासमाधि ले ली है. उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया है. यह समय हम सभी के लिए अपने घरों में रह कर प्रार्थना करने का है. कृपया परेशान न हों. यह समय शांत रहने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का है. आगे की जानकारी साझा की जाएगी.

पालयट बाबा के निधन से उनके अनुयायियों में शोक की लहर है. लोग उन्हें अश्रुपूर्ण आखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं. बुधवार को हरिद्वार में पायलट बाबा को समाधि दी जाएगी.

Mahamandleshwar Pilot Baba passed away
जूना अखाड़े, हरिद्वार. (ETV Bharat)

पायलट बाबा की कहानी: पायलट बाबा मूल रूप से बिहार के रोहतास के रहने वाले थे. उनका जन्म वाला नाम कपिल सिंह था. उन्होंने बनारस से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. इसके बाद उनका सलेक्शन इंडियन एयरफोर्स में हो गया.

उन्होंने 1962 में चीन के खिलाफ युद्ध में भाग लिया था. इसके बाद 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ दो युद्धों में फाइटल पायलट उड़ाए थे. दिलचस्प बात ये है कि संन्यास लेने से पहले पालयट बाबा ने कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया था. 1972 में हरि गिरि जी महाराज से हुई मुलाकात ने उन्हें संन्यास की ओर मोड़ दिया. संन्यास लेने के बाद वो पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए.

ये भी पढ़ें: पायलट बाबा ने PM केयर्स फंड में दिए 1.42 करोड़

देहरादून: पाकिस्तान को 2 युद्धों में धूल चटाने वाली भारतीय वायु सेना का हिस्सा रहे पायलट बाबा अब नहीं रहे. पायलट बाबा का आज निधन हो गया है. पायलट बाबा देश के बड़े संतों में एक थे. वो श्री पंचदश नाम जूना अखाड़े के वरिष्ठतम महामंडलेश्वर भी थे. आज मुंबई के एक अस्पताल में उनका निधन होने से जूना अखाड़े सहित समस्त संत समाज व अखाड़े में शोक की लहर व्याप्त है.

जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक श्री महंत हरी गिरी महाराज के निर्देश पर जूना अखाड़े की पूरे प्रदेश में स्थित सभी शाखाओं, आश्रमों और मुख्य पीठों पर शोक सभा व शांति पाठ का आयोजन किया जा रहा है. जूना अखाड़े द्वारा तीन दिन का शोक घोषित किया गया है. इन तीन दिनों में पायलट बाबा की आत्मा की शांति के लिए शांति पाठ हवन तथा विशेष पूजा अर्चना की जाएगी.

श्री महंत हरी गिरी महाराज ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा कि पायलट बाबा एक सच्चे योगी थे व समाज की देश की सेवा के लिए हमेशा तत्पर रहते थे. वह 1974 में विधिवत दीक्षा लेकर जूना अखाड़े में शामिल हुए और अपनी सन्यास यात्रा प्रारंभ की. उन्होंने कहा पायलट बाबा जूना अखाड़े के विभिन्न पदों पर रहते हुए अखाड़े की उन्नति प्रगति विकास के लिए हमेशा कार्यरत रहे.

Mahamandleshwar Pilot Baba passed away
पायलट बाबा (File Photo) (ETV Bharat)

भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे संत: संन्यास लेने से पहले पायलट बाबा भारतीय वायु सेना में विंग कमांडर थे. पायलट बाबा को वायु सेना का पायलट होने के कारण संन्यास लेने पर इसी नाम से प्रसिद्धि मिली. उन्होंने 1962, 1965, 1971 के युद्ध में भारतीय वायुसेना के विंग कमांडर के पद पर रहते हुए भाग लिया था. इन युद्धों में उन्होंने फाइटर पायलट की भूमिका निभाई थी. उन्होंने पाकिस्तान के साथ 1965 और 1971 में हुए दो युद्धों में हिस्सा लिया था. दोनों युद्धों के सफल अभियान के बाद उन्होंने संन्यास ले लिया और पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हुए.

साल 1998 में महामंडलेश्वर पद पर आसीन होने के बाद उन्हें 2010 में उज्जैन में प्राचीन जूना अखाड़ा शिवगिरी आश्रम नीलकंठ मंदिर में जूना अखाड़े के पीठाधीश्वर पद पर अभिषिक्त किया गया था. श्री महंत हरी गिरी महाराज ने कहा कि पायलट बाबा की अंतिम इच्छा के अनुसार उन्हें उत्तराखंड की पावन भूमि में समाधि दी जाएगी.

वहीं, हरिद्वार के पायलट बाबा आश्रम का संचालन देखने वाले उनके शिष्य स्वामी मुक्तानंद से हुई वार्तालाप में उन्होंने बताया कि फिलहाल अभी कब उन्हें समाधि दी जाएगी ये तय नहीं हुआ है, लेकिन हरिद्वार में उनके शरीर को सभी श्रद्धालुओं के लिए दर्शन के लिए रखा जाएगा.

हरिद्वार में दी जाएगी समाधि: पायलट बाबा के इंस्टाग्राम अकाउंट पर उनकी महासमाधि की जानकारी दी गई है. सोशल मीडिया साइट इंस्टाग्राम पर लिखा गया है- ओम नमो नारायण, भारी मन से और अपने प्रिय गुरुदेव के प्रति गहरी श्रद्धा के साथ, दुनिया भर के सभी शिष्यों, भक्तों को सूचित किया जाता है कि हमारे पूज्य गुरुदेव महायोगी पायलट बाबाजी ने आज महासमाधि ले ली है. उन्होंने अपना नश्वर शरीर त्याग दिया है. यह समय हम सभी के लिए अपने घरों में रह कर प्रार्थना करने का है. कृपया परेशान न हों. यह समय शांत रहने और उनके प्रति आभार व्यक्त करने का है. आगे की जानकारी साझा की जाएगी.

पालयट बाबा के निधन से उनके अनुयायियों में शोक की लहर है. लोग उन्हें अश्रुपूर्ण आखों से श्रद्धांजलि दे रहे हैं. बुधवार को हरिद्वार में पायलट बाबा को समाधि दी जाएगी.

Mahamandleshwar Pilot Baba passed away
जूना अखाड़े, हरिद्वार. (ETV Bharat)

पायलट बाबा की कहानी: पायलट बाबा मूल रूप से बिहार के रोहतास के रहने वाले थे. उनका जन्म वाला नाम कपिल सिंह था. उन्होंने बनारस से उच्च शिक्षा प्राप्त की थी. इसके बाद उनका सलेक्शन इंडियन एयरफोर्स में हो गया.

उन्होंने 1962 में चीन के खिलाफ युद्ध में भाग लिया था. इसके बाद 1965 और 1971 में पाकिस्तान के खिलाफ दो युद्धों में फाइटल पायलट उड़ाए थे. दिलचस्प बात ये है कि संन्यास लेने से पहले पालयट बाबा ने कुछ हिंदी फिल्मों में भी काम किया था. 1972 में हरि गिरि जी महाराज से हुई मुलाकात ने उन्हें संन्यास की ओर मोड़ दिया. संन्यास लेने के बाद वो पायलट बाबा के नाम से प्रसिद्ध हो गए.

ये भी पढ़ें: पायलट बाबा ने PM केयर्स फंड में दिए 1.42 करोड़

Last Updated : Aug 20, 2024, 5:30 PM IST
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