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34 साल पुराने आर्म्स एक्ट मामले में माफिया मुख्तार अंसारी दोषी करार, आज सुनाई जा सकती है सजा

माफिया मुख्तार अंसारी को बड़ा झटका लगा है. मुख्तार अंसारी को 34 साल पुराने (Mukhtar Ansari found guilty) एक मामले में आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया गया है. मुख्तार के खिलाफ वर्ष 1990 में मुकदमा दर्ज किया गया था.

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 12, 2024, 4:20 PM IST

Updated : Mar 13, 2024, 10:30 AM IST

वाराणसी : बांदा कारागार से मुख़्तार अंसारी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत में पेश किया गया. मुख्तार अंसारी को आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया गया. सजा के बिंदु पर बुधवार को 12 बजे सुनवाई होगी.

मंगलवार को मुख्तार अंसारी के एक मामले में न्यायालय विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए अवनीश गौतम द्वारा निर्णय पारित किया गया है. धारा 428, 467, 468, 120B भारतीय दंड संहिता व धारा 30 आर्म्स एक्ट मे दोष सिद्ध किया गया और धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में दोषमुक्त किया गया. उक्त मामले में मुख्तार अंसारी पर आरोप है कि तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट आलोक रंजन व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गाजीपुर देवराज नगर के फर्जी कूटरचित हस्ताक्षर बनवाकर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था. उक्त मामला सन् 1990 में पंजीकृत किया गया था. जिसकी विवेचना सीबीसीआईडी द्वारा की गई. बाद उक्त मामले में विवेचना कर मुख्तार अंसारी व तत्कालीन शस्त्र लिपिक गौरीशंकर लाल के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया. अभियुक्तों पर आरोप पत्र में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा का भी आरोप होने के कारण उक्त मामले का विचारण विशेष क्षेत्राधिकार प्राप्त न्यायालय वाराणसी में प्रचलित रहा. इसी बीच अश्वनी उपाध्याय बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश से उक्त मामला विशेष न्यायालय एमपी/एमएलए के न्यायालय में विचाराधीन रहा, जिसमें मंगलवार को निर्णय आया है.

बता दें मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप है कि 10 जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था. इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा 4 दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. जांचोपरांत तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया था. वहीं, मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध वाद 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया.

इन दस गवाहों ने दर्ज कराए थे बयान

यह भी पढ़ें : गैंगस्टर मामले में मुख्तार अंसारी दोषी करार, एमपी-एमएलए कोर्ट कल सुनाएगी सजा, 14 साल पहले दर्ज हुआ था मुकदमा

वाराणसी : बांदा कारागार से मुख़्तार अंसारी को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिये विशेष न्यायाधीश (एमपी-एमएलए) अवनीश गौतम की अदालत में पेश किया गया. मुख्तार अंसारी को आर्म्स एक्ट के तहत दोषी पाया गया. सजा के बिंदु पर बुधवार को 12 बजे सुनवाई होगी.

मंगलवार को मुख्तार अंसारी के एक मामले में न्यायालय विशेष न्यायाधीश एमपी/एमएलए अवनीश गौतम द्वारा निर्णय पारित किया गया है. धारा 428, 467, 468, 120B भारतीय दंड संहिता व धारा 30 आर्म्स एक्ट मे दोष सिद्ध किया गया और धारा 13 (2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम में दोषमुक्त किया गया. उक्त मामले में मुख्तार अंसारी पर आरोप है कि तत्कालीन जिला मजिस्ट्रेट आलोक रंजन व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक गाजीपुर देवराज नगर के फर्जी कूटरचित हस्ताक्षर बनवाकर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त किया था. उक्त मामला सन् 1990 में पंजीकृत किया गया था. जिसकी विवेचना सीबीसीआईडी द्वारा की गई. बाद उक्त मामले में विवेचना कर मुख्तार अंसारी व तत्कालीन शस्त्र लिपिक गौरीशंकर लाल के विरुद्ध आरोप पत्र न्यायालय में प्रेषित किया गया. अभियुक्तों पर आरोप पत्र में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा का भी आरोप होने के कारण उक्त मामले का विचारण विशेष क्षेत्राधिकार प्राप्त न्यायालय वाराणसी में प्रचलित रहा. इसी बीच अश्वनी उपाध्याय बनाम भारत संघ के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेश से उक्त मामला विशेष न्यायालय एमपी/एमएलए के न्यायालय में विचाराधीन रहा, जिसमें मंगलवार को निर्णय आया है.

बता दें मुख्तार अंसारी के खिलाफ आरोप है कि 10 जून 1987 को दोनाली कारतूसी बंदूक के लाइसेंस के लिए जिला मजिस्ट्रेट के यहां प्रार्थना पत्र दिया था. जिलाधिकारी एवं पुलिस अधीक्षक के फर्जी हस्ताक्षर से संस्तुति प्राप्त कर शस्त्र लाइसेंस प्राप्त कर लिया गया था. इस फर्जीवाड़ा का उजागर होने पर सीबीसीआईडी द्वारा 4 दिसंबर 1990 को मुहम्मदाबाद थाना में मुख्तार अंसारी, तत्कालीन डिप्टी कलेक्टर समेत पांच नामजद एवं अन्य अज्ञात के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. जांचोपरांत तत्कालीन आयुध लिपिक गौरीशंकर श्रीवास्तव और मुख्तार अंसारी के विरुद्ध 1997 में अदालत में आरोप पत्र प्रेषित किया गया था. वहीं, मुकदमे की सुनवाई के दौरान गौरीशंकर श्रीवास्तव की मृत्यु हो जाने के कारण उनके विरुद्ध वाद 18 अगस्त 2021 को समाप्त कर दिया गया.

इन दस गवाहों ने दर्ज कराए थे बयान

यह भी पढ़ें : गैंगस्टर मामले में मुख्तार अंसारी दोषी करार, एमपी-एमएलए कोर्ट कल सुनाएगी सजा, 14 साल पहले दर्ज हुआ था मुकदमा

Last Updated : Mar 13, 2024, 10:30 AM IST
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