जमुई: बिहार के जमुई लोकसभा सीट पर पहले चरण में 19 अप्रैल को मतदान होना है. ऐसे में मतदाता अपने मत का प्रयोग करे इसको लेकर चुनाव आयोग गंभीर है. शहरों में मतदान करना कोई बड़ी बात नहीं लेकिन गांव में मतदान करने के लिए मतदाताओं को खासी मेहनत और जद्दोजहद करनी पड़ती है. ऐसा ही गांव जमुई में है, जहां के वोटर्स के लिए बूथ का रास्ता कठिनाइयों से भरा होगा.
जमुई के इन गांवों में बूथ की राह है कठिन: जमुई मुख्यालय से लगभग 16 किलोमीटर दूर वरहट प्रखंड में कोयवा गांव है. यहां सरकारी स्कूल उत्क्रमित मध्य विद्यालय कोयवा में दो मतदान केंद्र बनाये गए हैं. पहला मतदान केंद्र संख्या 178 पर 1111 मतदाता जो नजदीक के है वो मतदान करेंगे. वहीं दूसरा मतदान केंद्र संख्या 173 है. इस केंद्र पर 1058 मतदाता अपने मत का प्रयोग करेंगे. इस केंद्र में दूर के गांव गुरमाहा , चोरमारा , कुमरतरी आदि के मतदाता पहुंचेंगे.
"कोई बूढ़ा हो गया तो कोई बच्चे से जवान हो गया, लेकिन सब कुछ यूं ही चलता आ रहा है. मतदान के लिए गांवों से निकलकर दूर बनाऐ गए मतदान केंद्रों तक पहुंचना पड़ता है."- ग्रामीण मतदाता
पहाड़, नदी, जंगल और दुर्गम रास्तों को करना होगा पार: इन गांवों के मतदाताओं को लगभग 30-35 किलोमीटर का सफर तय करना होगा. इस सफर को इन्हें पैदल ही पूरा करना होगा और इसमें 4 से 5 घंटे का समय लगना तय है. सुबह 7 से शाम 4 तक मतदान होगा. घर वापसी के लिए मतदान के बाद मतदाताओं को फिर से 4-5 घंटे का पैदल सफर तय करना होगा.
28 मतदान केंद्रों का स्थल परिवर्तन: जमुई लोकसभा क्षेत्र अंतर्गत पड़ने वाले चार विधानसभा क्षेत्र जमुई , सिकंदरा , झाझा और चकाई में कुल 28 मतदान केंद्रों का स्थल परिवर्तन नक्सल प्रभावित रहने के कारणों से की गई है. भारत निर्वाचन आयोग के निर्देश के आलोक में परिवर्तित मतदान केंद्र पर अपने मताधिकार का प्रयोग करने की अपील की गई है. जमुई लोकसभा अंतर्गत ही शेखपुरा जिला का शेखपुरा और मुंगेर जिला का तारापुर विधानसभा क्षेत्र भी आता है.
घंटों करना होगा पैदल यात्रा: जमुई जिले के चार विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो अधिकतर इलाका पहाड़ जंगल नदियों से घिरा है. मतदान केंद्र परिवर्तन के कारण जंगल पहाड़ के पास बसे गांवो के मतदाताओं को बाहर निकलकर नए मतदान केंद्र तक पहुंचना पड़ेगा. पहाड़ जंगल कच्चे पथरीले रास्ते से होकर पक्की सड़कें नहीं पहुंच पाई हैं.
इस कारण मतदाता होंगे परेशान: जमुई का अधिकतर इलाका नक्सल प्रभावित रहा है. कई स्थानों पर सीआरपीएफ और एसएसबी के कैंप लगाए गए हैं तो कई नए थाने भी खोले गए हैं. पुलिस लगातार अभियान चला रही है. नक्सल के विरुद्ध कई बड़े नक्सलियों ने सरेंडर कर दिया है. कई मुठभेड़ में मारे जा चुके हैं. बावजूद इसके नक्सल प्रभावित इलाकों से बाहर बनाया गया मतदान केंद्र वापस अपने स्थान पर उन गांवों में नहीं पहुंच पाया है, जहां से निकाला गया था.
प्रखंड विकास पदाधिकारी का बयान: इन गांवों अधिकतर लोग अपने जन प्रतिनिधि को भी ठीक से नहीं पहचान पाते. बस जो थोड़ी मदद कर दे उसी के हो जाते हैं. इस संबंध में प्रखंड विकास पदाधिकारी एसके पांडेय ने बताया कि "जिला निर्वाचन पदाधिकारी के निर्देशानुसार मतदान केंद्र में बदलाव किया गया है."
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