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जानें यूपी-महाराष्ट्र में 'इंडिया' के शानदार प्रदर्शन के पांच कारण, राहुल की इस रणनीति का मिला फायदा - Lok Sabha Election Results 2024

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 4, 2024, 4:38 PM IST

Congress India Bloc: लोकसभा चुनाव 2024 में कांग्रेस और इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा रहा है. एनडीए को 295 और इंडिया गठबंधन 230 के आसपास सीटों मिलती दिख रही हैं. अब लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के अच्छे प्रदर्शन के पीछे की वजह पर चर्चा हो रही है. आइये जानते हैं कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार के कुछ प्रमुख कारण-

reasons behind congress india bloc good performance
राहुल गांधी (ANI)

हैदराबाद: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में भाजपा-एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है. वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा रहा है. एनडीए को 295 और इंडिया गठबंधन 230 के आसपास सीटों मिलती दिख रही हैं. हालांकि, अभी भी अंतिम चुनाव नतीजे आने बाकी हैं. इस बीच लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन पर चर्चा भी शुरू हो गई है. कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार के कुछ प्रमुख कारण-

समान विचारधारा के दलों को एक मंच पर लाना
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के गठंबधन 'इंडिया' का गठन किया गया था. वैसे तो नीतीश कुमार को इसका सूत्रधार बताया गया था, तब जेडीयू अध्यक्ष विपक्ष के साथ थे. लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गए थे. नीतीश के अलग होने से 'इंडिया' का कारवां रुका नहीं. कांग्रेस ने बड़ा दिल दिखाते हुए विपक्षी दलों को एक साथ लाने की पूरी कोशिश की और काफी हद तक भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खड़ा करने में कामयाब हुई.

'इंडिया' गठबंधन में शामिल दलों के नेता
'इंडिया' गठबंधन में शामिल दलों के नेता (ANI)

आरक्षण और संविधान का मुद्दा
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने अपने प्रचार अभियान के दौरान आरक्षण और संविधान को बड़ा मुद्दा बनाया. राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने अपनी जनसभाओं में जोरशोर से यह मुद्दा उठाया और लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि अगर भाजपा आरक्षण खत्म करने और संविधान को बदलने के लिए 400 सीटें जीतना चाहती है. ऐसा लगता है कि भाजपा 'अबकी बार 400 पार' के नारे के खिलाफ कांग्रेस की यह रणनीति कारगर साबित हुई.

काम आया क्षेत्रीय दलों का वोट बैंक
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, झारखंड, बिहार समेत कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. बिहार को छोड़ दे, तो ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला. इसकी बड़ी वजह क्षेत्रीय दलों का वोट बैंक या जनाधार बताया जा रहा है. कांग्रेस और क्षेत्रीय दल अपने वोटों को एक साथ जोड़ने में कामयाब हुए.

गरीब परिवारों को सालाना एक लाख देने का वादा
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में देश के तीन करोड़ गरीब परिवारों की महिलाओं को प्रतिवर्ष एक लाख रुपये देने का वादा किया था. राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रैलियों में इस वादे को बार-बार दोहराया कि कि हर गरीब परिवार की एक महिला के बैंक खाते में महीने के 8,500 रुपये और साल के एक लाख रुपये साधे डाले जाएंगे. कांग्रेस और राहुल गांधी की यह चुनावी रणनीति कारगर साबित हुई.

युवाओं को 30 लाख नौकरी देने का वादा
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के दलों ने प्रचार अभियान में युवाओं को फोकस करते हुए 30 लाख नौकरी देने का वादा किया. कांग्रेस देश में बेरोजगारी और सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को लेकर मोदी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की.

मुस्लिम मतदाताओं की एक-तरफा वोटिंग
लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ही मुस्लिम मतदाताओं का रुझान इंडिया गठबंधन की तरफ दिख रहा था. एग्जिट पोल समेत कई सर्वे में भी इस बात का अनुमान लगाया गया था. इसलिए कहा जा सकता है कि मुसलमानों का सबसे ज्यादा वोट इंडिया गठबंधन के पक्ष में गया.

ये भी पढ़ें- महाराष्ट्र: अमरावती लोकसभा सीट से नवनीत राणा की हार

हैदराबाद: लोकसभा चुनाव 2024 के नतीजों में भाजपा-एनडीए को बहुमत मिलता दिख रहा है. वहीं, कांग्रेस के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन का प्रदर्शन अच्छा रहा है. एनडीए को 295 और इंडिया गठबंधन 230 के आसपास सीटों मिलती दिख रही हैं. हालांकि, अभी भी अंतिम चुनाव नतीजे आने बाकी हैं. इस बीच लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रदर्शन पर चर्चा भी शुरू हो गई है. कांग्रेस के प्रदर्शन में सुधार के कुछ प्रमुख कारण-

समान विचारधारा के दलों को एक मंच पर लाना
लोकसभा चुनाव से कुछ महीने कांग्रेस के नेतृत्व में विपक्षी दलों के गठंबधन 'इंडिया' का गठन किया गया था. वैसे तो नीतीश कुमार को इसका सूत्रधार बताया गया था, तब जेडीयू अध्यक्ष विपक्ष के साथ थे. लेकिन लोकसभा चुनाव से ठीक पहले वह भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए में शामिल हो गए थे. नीतीश के अलग होने से 'इंडिया' का कारवां रुका नहीं. कांग्रेस ने बड़ा दिल दिखाते हुए विपक्षी दलों को एक साथ लाने की पूरी कोशिश की और काफी हद तक भाजपा के खिलाफ एक बड़ा मोर्चा खड़ा करने में कामयाब हुई.

'इंडिया' गठबंधन में शामिल दलों के नेता
'इंडिया' गठबंधन में शामिल दलों के नेता (ANI)

आरक्षण और संविधान का मुद्दा
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन ने अपने प्रचार अभियान के दौरान आरक्षण और संविधान को बड़ा मुद्दा बनाया. राहुल गांधी और अन्य कांग्रेस नेताओं ने अपनी जनसभाओं में जोरशोर से यह मुद्दा उठाया और लोगों को यह समझाने की कोशिश की कि अगर भाजपा आरक्षण खत्म करने और संविधान को बदलने के लिए 400 सीटें जीतना चाहती है. ऐसा लगता है कि भाजपा 'अबकी बार 400 पार' के नारे के खिलाफ कांग्रेस की यह रणनीति कारगर साबित हुई.

काम आया क्षेत्रीय दलों का वोट बैंक
कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान, तमिलनाडु, केरल, झारखंड, बिहार समेत कई राज्यों में क्षेत्रीय दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ा. बिहार को छोड़ दे, तो ज्यादातर राज्यों में कांग्रेस को इसका फायदा भी मिला. इसकी बड़ी वजह क्षेत्रीय दलों का वोट बैंक या जनाधार बताया जा रहा है. कांग्रेस और क्षेत्रीय दल अपने वोटों को एक साथ जोड़ने में कामयाब हुए.

गरीब परिवारों को सालाना एक लाख देने का वादा
कांग्रेस ने अपने चुनावी घोषणा पत्र में देश के तीन करोड़ गरीब परिवारों की महिलाओं को प्रतिवर्ष एक लाख रुपये देने का वादा किया था. राहुल गांधी ने अपनी चुनावी रैलियों में इस वादे को बार-बार दोहराया कि कि हर गरीब परिवार की एक महिला के बैंक खाते में महीने के 8,500 रुपये और साल के एक लाख रुपये साधे डाले जाएंगे. कांग्रेस और राहुल गांधी की यह चुनावी रणनीति कारगर साबित हुई.

युवाओं को 30 लाख नौकरी देने का वादा
कांग्रेस और इंडिया गठबंधन के दलों ने प्रचार अभियान में युवाओं को फोकस करते हुए 30 लाख नौकरी देने का वादा किया. कांग्रेस देश में बेरोजगारी और सेना में भर्ती के लिए अग्निपथ योजना को लेकर मोदी सरकार को घेरने की पूरी कोशिश की.

मुस्लिम मतदाताओं की एक-तरफा वोटिंग
लोकसभा चुनाव की शुरुआत से ही मुस्लिम मतदाताओं का रुझान इंडिया गठबंधन की तरफ दिख रहा था. एग्जिट पोल समेत कई सर्वे में भी इस बात का अनुमान लगाया गया था. इसलिए कहा जा सकता है कि मुसलमानों का सबसे ज्यादा वोट इंडिया गठबंधन के पक्ष में गया.

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