नई दिल्ली: लोकसभा चुनाव के लिए पांच चरणों का मतदान पूरा हो चुका है. अब छठे फेज के लिए 25 मई को वोटिंग होगी. छठे चरण में 8 राज्यों/केन्द्र-शासित प्रदेशों के 889 उम्मीदवार चुनाव लड़ेंगे. इनमें जम्मू कश्मीर के अनंतनाग राजौरी संसदीय क्षेत्र में स्थगित हुए चुनाव के लिए लड़ने वाले 20 उम्मीदवार भी शामिल है.
इस चरण में 8 राज्यों/केंद्र-शासित प्रदेशों की 58 संसदीय क्षेत्रों के लिए होने वाले मतदान के लिए कुल 1996 नामांकन-पत्र दाखिल किए गए थे. इसमें जम्मू-कश्मीर अनंतनाग-राजौरी में स्थगित हुए नामांकन पत्र भी शामिल हैं. दाखिल किए गए सभी नामांकनों की जांच के बाद, 921 नामांकन वैध पाए गए थे. ऐसे में सवाल यह है कि आखिर इतनी बड़ी संख्या में नामांकन क्यों रद्द होते हैं और उसमें ऐसी क्या जानकारी देनी होती है, जिसके न देने पर नामांकन रद्द हो जाता है.
प्रत्याशी को क्या देनी होती हैं जानकारियां
बता दें कि नामांकन पत्र भरते समय सभी उम्मीदवारों को एक एफिडेविट देना होता है. इसमें अपनी इनकम की सही जानकारी सार्वजनिक करनी होती है. इसके अलावा इलसमें उम्मीदवार को अपनी शैक्षिक योग्यता, पासपोर्ट साइज की फोटो, आधार कार्ड, पैन कार्ड, मूल निवास और जाति प्रमाण पत्र की फोटोकॉपी जमा करनी होती है.
इतना ही प्रत्याशी को इस हलफनामे में अपनी चल-अचल संपत्ति, जैसे गहने और जमीन, कर्ज की जानकारी भी बतानी होती है. अगर कोई प्रत्याशी शादीशुदा है तो उसे अपनी पत्नी और अगर बच्चे हैं तो उनकी भी आय, उनकी अचल प्रॉपर्टी आदि की सभी जानकारी देनी होती है.
इसके अलावा कैंडिडेट को इसमें अपने और अपनी पत्नी और बच्चों के पास मौजूद हथियारों और दर्ज आपराधिक मामलों की जानकारी भी देना अनिवार्य होता है. अगर उसके खिलाफ कोर्ट में कोई केस चल रहा है और या किसी केस में सजा हुई है, तो शपथ पत्र में इसके बारे में बताना होता है.
नामांकन पत्र की जांच करता है चुनाव आयोग
जब उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल कर देते हैं तो उसके बाद चुनाव आयोग उनके सभी दस्तावेजों की जांच करता है. इस दौरान आयोग उम्मीदवारों की ओर से दी गई सभी जानकारी की बारीकी से जांत पड़ताल की जाती है और अगर इलेक्शन नामांकन पत्र में कोई गलत जानकारी पाता है तो वह उम्मीदवार का नामांकन रद्द कर देता है.
इसके अलावा नामांकन पत्र के साथ जमा किए गए दस्तावेज भी सही होने चाहिए. अगर चुनाव आयोग को लगता है कि उनमें दी गई कोई जानकारी संदिग्ध या गलत है तो वह नामांकन कैंसिल कर देता है.
अहम होती है प्रस्तावक की भूमिका
अगर कोई कैंडिडेट किसी मान्यता प्राप्त राजनीतिक दल के उम्मीदवार तौर पर चुनाव लड़ रहा है तो उसे निर्वाचन क्षेत्र के एक वोटर को अपनी उम्मीदवारी का प्रस्ताव के रूप में पेश करना होगा. अगर कोई स्वतंत्र उम्मीदवार के रूप चुनाव लड़ रहा है, तो निर्वाचन क्षेत्र के दस वोटर्स को प्रस्तावक बनाकर नामांकन पत्र पर हस्ताक्षर करवाने होंगे.
इसके बाद रिटर्निंग ऑफिसर प्रस्तावकों के साइन वेरिफाई करेगा और उनसे कुछ पूछताछ करेगा. रिटर्निंग ऑफिसर यह तय करेगा का नामांकन पत्र पर किए गए हस्ताक्षर सही या नहीं. अगर किसी उम्मीदवार के प्रयाप्त प्रस्तावक नहीं हैं तो उसका नामांकन पत्र खारिज कर दिया जाता है.
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