हैदराबाद: लोकसभा चुनाव के छह चरणों की वोटिंग हो चुकी है. अब बाकी है केवल 1 जून का आखिरी रण. इसके बाद 4 जून की तारीख, जिसका सबको बड़ी बेसब्री से इंतजार है. 4 जून को ईवीएम का पिटारा खुलेगा और तय हो जाएगा कि जनता की अदालत ने लोकतंत्र की सबसे ऊंची कुर्सी के लिए किसको चुना है. 4 जून को वोटों की गिनती के बाद 2024 लोकसभा चुनावों में जीत हासिल करने वाले विजेताओं की तरफ सरफ से जून के मध्य तक नई सरकार बनाए जाने की उम्मीद है.
क्या कहते हैं चुनावी विश्लेषक
वैसे नतीजों से पहले चुनावी विश्लेषकों की राय बंटी हुई है. अधिकांश चुनावी विश्लेषकों की राय है कि पीएम मोदी को तीसरी बार मौका मिल सकता है. चुनाव विश्लेषकों की यह राय वोटिंग शुरू होने से पहले जनमत सर्वेक्षणों में भविष्यवाणी के आधार पर की गई थी.
वोटों की गिनती कैसे होती है और उसके बाद क्या होता है?
इलेक्शन कमीशन के मुताबिक वोटों की गिनती चार जून को सुबह 8 बजे से शुरू होगी. हालांकि, किसी भी विशेष परिस्थिति में समय में बदलाव संभव है. जानकारी के मुताबिक, वोटों की गिनती डिसेंट्रलाइज्ड (विकेंद्रीकृत) है और भारत भर के 543 निर्वाचन क्षेत्रों में से प्रत्येक में मतगणना केंद्रों पर एक साथ की जाती है. इलेक्शन कमीशन के मुताबिक, वोटों की गिनती 4 जून को सुबह 8 बजे डाक मतपत्रों के मिलान के साथ शुरू होगी, जिसका उपयोग केवल चुनिंदा समूह ही कर सकते हैं, जिनमें विकलांग लोग, या सुरक्षा बलों और कुछ सरकारी अधिकारियों सहित आवश्यक सेवाओं में शामिल लोग होते हैं. कागजी मतपत्रों के बाद, इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीनों (ईवीएम) में दर्ज वोटों की गिनती की जाती है, जिसका उपयोग भारत ने 2000 से राष्ट्रीय और राज्य चुनावों के लिए कागजी मतपत्रों से हटकर किया है.
ईवीएम के माध्यम से डाले गए प्रत्येक वोट के इलेक्ट्रॉनिक रिकॉर्ड के साथ, एक संबंधित कागज की पर्ची भी तैयार की जाती है, जो मतदाता को दिखाई देती है, और फिर एक सीलबंद बॉक्स में स्टोर (संग्रहीत) की जाती है. चुनाव निगरानी संस्था, भारतीय चुनाव आयोग (ECI), प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के विभिन्न खंडों में पांच रैंडमली ढंग से चुने गए मतदान केंद्रों पर इलेक्ट्रॉनिक वोटों के अगैनस्ट इन पेपर पर्चियों की गिनती और सत्यापन करता है. जबकि आलोचक और कुछ राजनीतिक दलों सहित नागरिक समाज के कुछ सदस्य चाहते हैं कि पारदर्शिता बढ़ाने के लिए अधिक बूथों पर सत्यापन किया जाए, सुप्रीम कोर्ट ने मतगणना प्रक्रिया में किसी भी बदलाव का आदेश देने से इनकार कर दिया है. ईसीआई ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है कि ईवीएम से छेड़छाड़ की जा सकती है और इसे फुलप्रूफ बताया गया है.
किसकी बनेगी सरकार
मतगणना पूरी होते ही प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र के लिए परिणाम घोषित किए जाते हैं. भारत फर्स्ट-पास्ट-द-पोस्ट प्रणाली का पालन करता है, जिसके तहत सबसे अधिक वोट पाने वाला उम्मीदवार जीतता है, भले ही उसे बहुमत मिले या नहीं. परिणाम के रुझान आम तौर पर मतगणना के दिन दोपहर तक स्पष्ट हो जाते हैं और टेलीविजन समाचार नेटवर्क पर दिखाए जाते हैं. ईसीआई की ओर से आधिकारिक गिनती कुछ घंटों बाद आ सकती है.
कैसे होता है नई सरकार का गठन?
चुनाव आयोग की तरफ से सभी 543 सीटों के नतीजे घोषित करने के बाद, राष्ट्रपति उस पार्टी या गठबंधन के नेता को सरकार बनाने के लिए आमंत्रित करते हैं, जिसके पास आधी से अधिक सीटें हों. 272 या अधिक सीटों वाली पार्टी या गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने के लिए एक प्रधान मंत्री चुनता है. 2019 के चुनावों में, पीएम मोदी की भारतीय जनता पार्टी ने 303 सीटें जीतीं और उसके राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के सहयोगियों ने लगभग 50 सीटें हासिल कीं. मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने सिर्फ 52 सीटें जीतीं, जबकि अन्य 91 सीटें उनके सहयोगियों के पास गईं.
त्रिशंकु सदन किसे कहते हैं
किसी भी राजनीतिक दल या गठबंधन को पूर्ण बहुमत नहीं मिलने को 'त्रिशंकु सदन' कहा जाता है, तो राष्ट्रपति सबसे अधिक सीटों वाली पार्टी को सरकार बनाने और बाद में सदन के पटल पर बहुमत साबित करने के लिए कहता है. बता दें कि, सरकार की द्वि-दलीय संसदीय प्रणाली में एक त्रिशंकु सदन तब बनती है जब किसी भी प्रमुख राजनीतिक दल या सहयोगी पार्टियों के समूह को सीटों की संख्या के मुताबिक संसद में पूर्ण बहुमत प्राप्त नहीं होता. नई लोकसभा, संसद का निचला सदन, का मौजूदा कार्यकाल 16 जून को समाप्त होने से पहले बनना होगा.
आखिरी चरण में वाराणसी में कड़ा मुकाबला
लोकसभा चुनाव के आखिरी चरण में यूपी की 13 सीटों पर मुकाबला है. पीएम मोदी की वाराणसी सीट पर भी मुकाबला है. जिस पर देश और दुनिया की नजरें टिकी हुई हैं. सभी सीटों पर बीजेपी की स्थिति मजबूत बताई जा रही है. उसके बावजूद बीजेपी पसीने बहाने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. कहा जाए तो पार्टी ने पूरी ताकत झोंक दी है. यूपी की 13 सीटों में से 11 सीटें एनडीए के पास थी. बात बिहार की करें तो 2019 में एनडीए को यहां से 8 सीटों पर जीत मिली थी. हिमाचल की 4 सीटें एनडीए के खाते में गई थी. बात पंजाब की करें तो यहां 11 की 11 सीटें विपक्षी पार्टियों के पास है. ओडिशा की 6 में से 4 सीटें विपक्ष के पास है.
क्या पीएम मोदी जीत की हैट्रिक लगाएंगे?
19 अप्रैल को मतदान शुरू होने से पहले किए गए जनमत सर्वेक्षणों में पीएम मोदी के लिए लगातार तीसरी बार आसान जीत का अनुमान लगाया गया था, लेकिन 2019 की तुलना में कम मतदान और अधिक एकीकृत विपक्ष उनके लिए आश्चर्यजनक चुनौतियों के रूप में उभरा है. हालांकि अधिकांश विश्लेषकों का कहना है कि उनके (नरेंद्र मोदी) अभी भी जीतने की संभावना है.
7वें चरण में कुल 57 सीटों पर होनी है वोटिंग
1 जून को सातवें चरण के साथ मतदान संपन्न हो जाएगा. सातवें चरण की कुल 57 सीटों में बिहार की 8 सीटें, हिमाचल की 4 सीटें, झारखंड की 3 सीटें, ओडिशा की 6 सीटें, पंजाब की सभी 13 सीटें, यूपी की 13 सीटें, बंगाल की 9, चंडीगढ़ की एक सीट पर वोटिंग होगी. एक जून के बाद अबकी बार क्या होगा, ये 4 जून को पता चल जाएगा.
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