चंडीगढ़: 25 मई को हरियाणा की सभी दस सीटों पर लोकसभा चुनाव के लिए मतदान होना है. लोकसभा चुनाव के छठे चरण के लिए चुनाव प्रचार थम गया है. ऐसे में एक-एक करके सभी दस लोकसभा सीटों का हाल जानते हैं कि कौन आगे है और कौन पीछे.
अंबाला लोकसभा सीट: अंबाला लोकसभा सीट पर मुख्य मुकाबला बीजेपी की उम्मीदवार पूर्व सांसद स्वर्गीय रतनलाल कटारिया की धर्मपत्नी बंतो कटारिया और कांग्रेस के उम्मीदवार मौजूदा विधायक वरुण चौधरी के बीच है. एक तरफ बंतो कटारिया के लिए प्रचार करने के लिए पीएम मोदी खुद आए. वहीं पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, महिला विंग की राष्ट्रीय अध्यक्ष और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी भी आए. प्रदेश की स्थानीय लीडरशिप का भी उन्हें पूरा साथ मिला. जबकि कांग्रेस के उम्मीदवार वरुण चौधरी के लिए राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे पहुंचे. उनके प्रचार में नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी सैलजा भी पहुंची, लेकिन उनको पार्टी नेताओं का उतना साथ मिलता नहीं दिखा जीतना मिलना चाहिए था. लेकिन वे बीजेपी उम्मीदवार को कांटे की टक्कर देते नजर आ रहे हैं. जमीनी स्तर पर बीजेपी उम्मीदवार को किसानों के विरोध से नुकसान होता तो दिखाई देता है. लेकिन बीजेपी ने जिस तरह से प्रचार किया है वह उसका प्लस पॉइंट दिखाई देता है.
इस क्षेत्र में किसानों की बीजेपी से नाराजगी के साथ ही एंटी इनकंबेंसी फैक्टर दिखाई देता है. महंगाई और बेरोजगारी के साथ ही स्थानीय मुद्दे भी बीजेपी के लिए चुनौती हैं. वहीं कांग्रेस दस साल से केंद्र और राज्य में सत्ता से बाहर है, जिसके चलते उसके खिलाफ मतदाता के होने की कोई बड़ी वजह दिखती नहीं है. ऐसे में कांग्रेस और बीजेपी के बीच इस सीट पर कड़ा मुकाबला होना तय है.
कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट: कुरुक्षेत्र लोकसभा सीट पर सीधा मुकाबला बीजेपी के उम्मीदवार नवीन जिंदल और इंडी गठबंधन के डॉ. सुशील गुप्ता के बीच देखने को मिल रहा है. वहीं इनेलो नेता अभय चौटाला इन दोनों उम्मीदवारों के लिए चुनौती पेश कर रहे हैं. बीजेपी और इंडी गठबंधन के उम्मीदवार की हार जीत में अभय चौटाला अहम भूमिका निभाएंगे यह तय माना जा रहा है. इस सीट पर बीजेपी से जहां हरियाणा की पूरी लीडरशिप अपने उम्मीदवार की जीत के लिए दमखम लगाती दिखी. बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, केंद्रीय मंत्री राजनाथ, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ और उत्तराखंड के सीएम भी आए थे. इंडी गठबंधन के उम्मीदवार डॉ सुशील गुप्ता को हरियाणा कांग्रेस के दिग्गज नेताओं का साथ मिला वहीं पंजाब और दिल्ली के सीएम भी उनके प्रचार के लिए पहुंचे.
इस सीट पर राष्ट्रीय मुद्दे प्रमुख रहे जिसमें किसानों की नाराजगी के साथ ही केंद्र और राज्य के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी काम कर रहा है. सरपंचों का मुद्दा भी बीजेपी के लिए चुनौती है. सुशील गुप्ता के लिए सबसे बड़ी चुनौती उनका बाहरी उम्मीदवार होना है. साथ ही एसवाईएल (सतलुज यमुना लिंक) का मुद्दा भी लोगों से जुड़ा हुआ है. बावजूद इसके इस सीट पर भी कड़ी टक्कर होने की उम्मीद है.
करनाल लोकसभा सीट: करनाल लोकसभा सीट पर बीजेपी के उम्मीदवार के तौर पर हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री मनोहर लाल के सामने कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार दिव्यांशु बुद्धिराजा मैदान में हैं. एनसीपी के उम्मीदवार वीरेंद्र मराठा इन दोनों उम्मीदवारों के सामने अपनी चुनौती पेश कर रहे हैं. हालांकि यहां मुख्य मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही दिख रहा है. यहां जातीय समीकरण का असर भी साफ तौर पर देखने को मिल रहा है. इस सीट पर बीजेपी की तरफ से खुद पूर्व सीएम मनोहर लाल के साथ वर्तमान सीएम नायब सैनी सबसे ज्यादा प्रचार करते दिखाई दिए. क्योंकि नायब सैनी करनाल विधानसभा सीट पर उप चुनाव भी लड़ रहे हैं. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री राजनाथ सिंह और उत्तराखंड के सीएम ने इस लोकसभा सीट पर प्रचार किया.वहीं कांग्रेस की तरफ से दिव्यांशु बुद्धिराजा को हरियाणा के दिग्गज नेताओं का साथ उतना नहीं मिला जितना हो सकता था. हालांकि चुनाव प्रचार के अंतिम दौर में उनके प्रचार के लिए प्रियंका गांधी जरूर पहुंची थी. वहीं वीरेंद्र मराठा के लिए एनसीपी अध्यक्ष शरद पावर, इनेलो नेता अभय चौटाला और सुखबीर बादल ने जरूर एक दिन प्रचार किया.
करनाल लोकसभा सीट पर भी केंद्र और राज्य सरकार की एंटी इनकंबेंसी फैक्टर बीजेपी को नुकसान पहुंचता दिख रहा है. वहीं जातीय समीकरण को लेकर भी स्थिति परेशान करने वाली रही. विपक्ष किसानों को लेकर भी सरकार को घेरता नजर आया. इस सीट पर स्थानीय मुद्दे ज्यादा प्रभावी दिखाई दिए. बावजूद इसके मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच है, जिसमें बीजेपी बढ़त बनाए हुए दिखाई दे रही है.
सोनीपत लोकसभा सीट: सोनीपत लोकसभा सीट पर भी मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस में है. बीजेपी के उम्मीदवार मौजूदा विधायक मोहनलाल बड़ौली के सामने कांग्रेस के सतपाल ब्रह्मचारी हैं. सतपाल ब्रह्मचारी की पहचान एक संत के तौर होने के चलते क्षेत्र में उनका प्रभाव भी दिखाई देता है. इस कारण वह यहां पर बीजेपी उम्मीदवार को कड़ी टक्कर देते दिखाई देते हैं. इस सीट पर जाट और ब्राह्मण समीकरण जीत और हार में अहम योगदान निभाने वाला है. इस सीट पर खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा ने प्रचार किया. हरियाणा की लोकल लीडरशिप ने भी जमकर प्रचार किया. जबकि कांग्रेस की तरफ से यहां भी लोकल लीडरशिप का प्रचार में योगदान कम देखने को मिला. हालांकि राहुल गांधी चुनाव ने प्रचार के आखिरी दिनों में एक जनसभा को सम्बोधित किया.
सोनीपत लोकसभा सीट पर भी किसानों और जवानों का मुद्दा अहम भूमिका निभाता दिखाई दे सकता है. साथ ही एंटी कैंबैंसी फैक्टर भी काम कर सकता है. इससे कांग्रेस के पक्ष में माहौल बनता दिखाई देता है. वहीं जाट और नॉन जाट की सियासत भी प्रभाव डाल रही है. हालांकि दोनों नेता ब्राह्मण है, ऐसे में जाट मतदाता यहां अहम भूमिका निभाएंगे.
रोहतक लोकसभा क्षेत्र: हरियाणा की रोहतक सीट पर भी मुकाबला कड़ा है. हालांकि इस सीट पर कांग्रेस को बढ़त दिखाई दे रही है. इस सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद अरविंद शर्मा और नेता प्रतिपक्ष और पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा के बीच मुकाबला है. 2019 में अरविंद शर्मा ने दीपेंद्र हुड्डा को इसी सीट पर हराया था. इस बार दीपेंद्र हुड्डा जीत की तरफ बढ़ते दिखाई देते हैं, लेकिन चुनावी नतीजे इस सीट पर भी दिलचस्प देखने को मिल सकते हैं. बीजेपी ने इस सीट पर जीत को सुनिश्चित करने के लिए आखिरी वक्त में पूरा दमखम लगाया. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और केंद्रीय परिवहन मंत्री नितिन गडकरी के साथ- साथ उत्तराखंड और मध्य प्रदेश के सीएम ने भी यहां प्रचार किया. जबकि दीपेंद्र हुड्डा के प्रचार के लिए यहां कोई बड़ा चेहरा प्रचार करते नहीं दिखा. हालांकि उनके पिता पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा और उनका परिवार यहां पर प्रचार करता दिखाई दिया.
रोहतक सीट पर भी बीजेपी के लिए एंटी इनकंबेंसी फैक्टर से पार पाना चुनौती है. इस सीट पर जाट और नॉन जाट की लड़ाई भारी दिखाई देती है. यानी यहां पर जातीय समीकरण खेल को बनाने और बिगाड़ने में अहम फैक्टर हो सकते हैं.
फरीदाबाद लोकसभा क्षेत्र: इस सीट पर बीजेपी के मौजूदा सांसद और केंद्रीय राज्य मंत्री कृष्ण पाल गुर्जर को चुनौती देने के लिए कांग्रेस ने इस बार गुर्जर कार्ड खेला है. कांग्रेस ने गुर्जर समाज के बड़े नेता चौधरी महेंद्र प्रताप को चुनावी दंगल में उतारा है. इसलिए इस बार इस सीट पर भी कांटे की टक्कर दिखाई देती है. महेंद्र प्रताप ने कड़ी टक्कर देते हुए कृष्णपाल गुर्जर की मुश्किल बढ़ाई हुई है. इस सीट पर बीजेपी प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार के लिए केन्द्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा और उत्तराखंड के सीएम पुष्कर सिंह धामी पहुंचे. हरियाणा की लोकल लीडरशिप का भी उन्हें साथ मिला. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के पक्ष में प्रचार करने कोई राष्ट्रीय नेता नहीं पहुंचा. वे अपने दम पर चुनाव को निकालने में जुटे रहे. यहां पर थोड़ा बहुत असर बीजेपी के खिलाफ एंटी इनकंबेंसी का हो सकता है. स्थानीय मुद्दे भी थोड़ा परेशानी खड़ा कर सकते हैं. लेकिन राम मंदिर और धारा 370 जैसे मुद्दे बीजेपी को फायदा पहुंचा सकते हैं. हालांकि माना जा रहा है कि यहां पर भी बीजेपी और कांग्रेस में सीधी टक्कर है. लेकिन इस सीट पर अंतिम वक्त तक भाजपा कुछ आगे दिखाई दे रही है.
गुरुग्राम लोकसभा सीट: बीजेपी के वर्तमान सांसद और केंद्रीय मंत्री राव इंद्रजीत सिंह जो कि अहीरवाल इलाके में राव साहब के नाम से मशहूर हैं, उनका मुकाबला कांग्रेस पार्टी के राज बब्बर है. इस सीट पर राव इंद्रजीत सिंह की जीत सुनिश्चित मानी जा रही है. लेकिन राज बब्बर भी उनको टक्कर देते हुए नजर आते हैं. राव इंद्रजीत लगातार पांच बार सांसद रह चुके हैं, और अगर वे इस बार जीते तो छठी बार सांसद बनने का रिकॉर्ड बनाएंगे. राव इंद्रजीत के प्रचार में बीजेपी की तरफ से केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड के सीएम पहुंचे. वहीं कांग्रेस प्रत्याशी के लिए शशि थरूर और सचिन पायलट प्रचार के लिए पहुंचे. हुड्डा और उदयभान का भी साथ मिला. लेकिन क्या इतने से ही कांग्रेस गुरुग्राम सीट को अपने खाते में डाल पाएगी यह देखना दिलचस्प रहेगा.
भिवानी महेंद्रगढ़ लोकसभा सीट: भिवानी महेंद्रगढ़ सीट पर मौजूदा सांसद चौधरी धर्मवीर के सामने कांग्रेस पार्टी के विधायक राव दान सिंह हैं. इस सीट पर कांग्रेस और बीजेपी में सीधी टक्कर देखने को मिल रही है. धर्मबीर मोदी सरकार के कामों के आधार पर जीत की उम्मीद कर रहे हैं. वहीं कांग्रेस के उम्मीदवार किसान और जवान के मुद्दे के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हुए हैं. यहां पर भी दोनों उम्मीदवारों में कड़ी टक्कर देखने को मिल रही है. बीजेपी ने इस सीट पर जीत के लिए अपनी पूरी ताकत लगाई है. खुद पीएम नरेंद्र मोदी प्रचार के लिए पहुंचे. इसके साथ ही केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने भी यहां प्रचार किया. वहीं राव दान सिंह के प्रचार के लिए राहुल गांधी के साथ ही नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा और दीपेंद्र हुड्डा पहुंचे. भिवानी महेंद्रगढ़ सीट का इलाका जवानों का इलाका है. भारतीय सेना में यहां के युवा सबसे ज्यादा जाते हैं इसलिए अन्य मुद्दों से ज्यादा इस इलाके में अग्निवीर का मुद्दा अहम बन जाता है. वही अहीर रेजिमेंट का मुद्दा भी अहम है. हालांकि इन मुद्दों का कितना असर चुनाव पर होगा यह इस क्षेत्र के चुनावी नतीजे बताएंगे.
सिरसा लोकसभा क्षेत्र: सिरसा लोकसभा सीट पर कांग्रेस की कुमारी सैलजा का मुकाबला बीजेपी की टिकट पर मैदान में उतरे डॉ. अशोक तंवर से है. दोनों नेता की छवि इस क्षेत्र में अच्छी है. लेकिन यहां पर कुमारी सैलजा, अशोक तंवर पर भारी पड़ती दिखाई देती हैं. हालांकि बीजेपी के उम्मीदवार भी पार्टी की रणनीति के सहारे जीत की उम्मीद कर रहे हैं. इस सीट पर हरियाणा की लीडरशिप के साथ साथ उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने अशोक तंवर के लिए प्रचार किया. वहीं उनको हिलोपा के विधायक गोपाल कांडा और उनके भाई का भी पूरा साथ मिल रहा है. दूसरी तरफ कुमारी सैलजा के लिए प्रियंका गांधी चुनाव प्रचार के लिए पहुंची. उनको बीरेंद्र सिंह, किरण चौधरी और सुरजेवाला का साथ भी मिला. हालांकि हुड्डा गुट ने उनके प्रचार से दूरी बनाए रखी. इस सीट पर किसानों, जवानों के मुद्दों के साथ- साथ एंटी कैंबेसी फैक्टर भी काम कर रहा है. इसका फायदा कुमारी सैलजा को मिलता दिखाई दे रहा है. जबकि अशोक तंवर केंद्र और राज्य सरकार के कामों के सहारे जीत की उम्मीद लगाए हैं.
हिसार लोकसभा क्षेत्र: हिसार लोकसभा सीट पर मुकाबला कड़ा है. यहां पर बीजेपी के उम्मीदवार रणजीत चौटाला की टक्कर कांग्रेस के जय प्रकाश से हो रही है. हालांकि रणजीत चौटाला को उनकी दो बहुएं नैना चौटाला और सुनैना चौटाला भी चुनौती दे रही हैं. ऐसे में इस सीट कड़ा मुकाबला देखने को मिल सकता है. यहां पर बीजेपी और कांग्रेस की जीत हार को लेकर कुछ भी कहना संभव दिखाई नही देता है. हिसार में बीजेपी की तरफ से हरियाणा की लीडरशिप ने अपनी पूरी ताकत प्रचार में झोंकी. इस सीट पर कुलदीप बिश्नोई परिवार की भी अहम भूमिका रहेगी. वहीं कांग्रेस के जय प्रकाश हुड्डा के भरोसे इस चुनावी रण में लड़ते दिखाई दिए. इस सीट पर सबसे ज्यादा असर किसानों के मुद्दे का है. वहीं केंद्र और राज्य सरकार के खिलाफ चल रहे एंटी इनकंबेंसी फैक्टर का भी सामना यहां बीजेपी को करना पड़ रहा है. जबकि कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ उनके बाहरी उम्मीदवार होने का फैक्टर काम कर सकता है. वहीं वे इस क्षेत्र से लंबे वक्त से दूर रहे इसका भी उनको नुकसान हो सकता है.
क्या है वो फैक्टर जो बीजेपी कांग्रेस के लिए बन सकते हैं मुसीबत? हरियाणा में बीजेपी के लिए सबसे बड़ी मुश्किल किसानों के मुद्दे की है. यह ऐसा मुद्दा है जो बीजेपी के लिए लगभग पूरे हरियाणा में एक सी परेशानी पैदा कर रहा है. बीजेपी के उम्मीदवारों को कई जगह पर किसानों के विरोध का सामना करना पड़ा है. यह बात बताती है कि किसान किस कदर बीजेपी से खफा हैं. अगर किसान और जाट फैक्टर काम कर गया तो यह बीजेपी के लिए परेशानी खड़ा कर सकता है. राज्य और केंद्र में 10 सालों से बीजेपी की सरकार है तो ऐसे में एंटी इनकंबेंसी फैक्टर भी बीजेपी के खिलाफ जा रहा है. इसके अलावा अग्निवीर स्कीम का मुद्दा भी बीजेपी के लिए चुनौती बना हुआ है. हालांकि राम मंदिर, धारा 370 जैसे मुद्दे बीजेपी को मुकाबले में खड़ा कर रहे हैं.
अगर हम कांग्रेस की बात करें तो कांग्रेस के लिए सबसे बड़ी मुसीबत उसके अपने नेता ही बन सकते हैं. पूरे चुनाव में कांग्रेस के नेता कहीं भी एक साथ एक मंच पर दिखाई नहीं दिए. यह चुनाव पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के आसपास ही घूमता नजर आया है. पार्टी के अन्य नेता कुमारी शैलजा ,किरण चौधरी, रणदीप सुरजेवाला, वीरेंद्र चौधरी , कैप्टन अजय यादव चुनाव में ज्यादा मुखर नजर नहीं आए. कांग्रेस खुद की गुटबाजी की वजह से हरियाणा में कमजोर दिखाई देती है.
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