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लोक सभा चुनाव 2024: राहुल गांधी और प्रियंका असम में करेंगे प्रचार, बढ़ाएंगे जीत की संभावना - Congress Assam campaign - CONGRESS ASSAM CAMPAIGN

Rahul gandhi- Priyanka campaign in Assam: कांग्रेस उत्तर-पूर्वी राज्य में भाजपा से मुकाबला करने के लिए पार्टियों के एक समूह के रूप में संयुक्त विपक्ष मंच पर भरोसा कर रही है. पार्टी प्रबंधकों का कहना है कि एआईयूडीएफ सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी के रूप में काम करता है और धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करता है.

Rahul Gandhi and Priyanka will campaign in Assam ( photo IANS)
राहुल गांधी और प्रियंका असम में करेंगे प्रचार(फोटो आईएएनएस)
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By Amit Agnihotri

Published : Apr 11, 2024, 2:12 PM IST

नई दिल्ली: पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी पूर्वोत्तर असम में प्रचार करने के लिए तैयार हैं. यहां सबसे पुरानी पार्टी भाजपा से मुकाबला करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'राहुल गांधी 17 अप्रैल को असम के जोरहाट और डिब्रूगढ़ में प्रचार करेंगे. प्रियंका गांधी 16 अप्रैल को जोरहाट और त्रिपुरा में प्रचार करेंगी.'

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार दोनों वरिष्ठ नेताओं की यात्रा से पता चलता है कि कांग्रेस उत्तर-पूर्वी राज्यों खासकर भाजपा शासित असम को कितना महत्व दे रही है. 2019 के राष्ट्रीय चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 35.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ केवल तीन सीटें कलियाबोर, नौगोंग और बारपेटा जीत सकी. भाजपा ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और 36 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 9 सीटें जीतीं. बीजेपी की सहयोगी एजीपी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन कोई भी सीट नहीं जीत सकी.

2019 के राष्ट्रीय चुनावों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कालियाबोर सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन विरासत पर दावा करने के लिए 2024 में जोरहाट चले गए. कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री और उनके दिवंगत पिता तरुण गोगोई पर भरोसा कर रही है, जिन्होंने इस क्षेत्र से कई बार जीत हासिल की थी. 2019 में भाजपा के टोपोन गोगोई ने 51 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करके जोरहाट सीट जीती थी, जबकि कांग्रेस के सुशांत बोरगोहेन को 43 प्रतिशत वोट शेयर मिले थे. 2024 में टोपोन कुमार गोगोई का मुकाबला गौरव गोगोई से है. डिब्रूगढ़ सीट पर कांग्रेस की सहयोगी असम जातीय परिषद के नेता लुरिनज्योति गोगोई का मुकाबला भाजपा के सर्बानंद सोनोवाल और आप के मनोज धनोवर से है.

असम के प्रभारी एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया,' प्रदेश की जनता भाजपा से तंग आ चुकी है. इस बार जीतेगा इंडिया गठबंधन. मैंने हाल ही में डिब्रूगढ़ में गठबंधन उम्मीदवार और काजीरंगा और जोरहाट सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया और लोगों से भारी समर्थन देखा.'

असम कांग्रेस प्रमुख भूपेन कुमार बोरा ने ईटीवी भारत से कहा,'पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हाल ही में कुछ विधायकों के बाहर जाने से कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. राज्य में और बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि के मुद्दों के अलावा सीएए विरोधी भावना जैसे वास्तविक मुद्दों को पार्टी उठा रही है. ये आजीविका के मुद्दे हैं और मतदाताओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. हमारा संदेश राज्य की समस्याओं का समाधान करना है. लोगों की प्रतिक्रिया स्वतःस्फूर्त है. हम एक मजबूत अभियान चला रहे हैं.' भूपेन कुमार बोरा राज्य भर में पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे हैं.

कांग्रेस उत्तर-पूर्वी राज्य में भाजपा से मुकाबला करने के लिए पार्टियों के एक समूह के रूप में संयुक्त विपक्ष मंच पर भरोसा कर रही है और जानबूझकर पूर्व सहयोगी एआईयूडीएफ से दूरी बना रही है जो मुस्लिम मतदाताओं के बीच एक प्रमुख आकर्षण है. पार्टी प्रबंधकों का कहना है कि एआईयूडीएफ सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी के रूप में कार्य करता है और धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करता है.

सिंह ने कहा,'हमें विश्वास है कि गठबंधन सत्तारूढ़ भाजपा और बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ का मुकाबला कर सकता है. एआईयूडीएफ पिछले विधानसभा चुनाव तक हमारे साथ रहा लेकिन हमने अलग होने का फैसला किया क्योंकि हमने पाया कि वह भाजपा का खेल- खेल रहा था. विपक्षी गठबंधन का व्यापक विषय भाजपा की विभाजनकारी राजनीति होगी जो न केवल असम में बल्कि पूरे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सामाजिक ताने-बाने को बाधित कर रही है.'

ये भी पढ़ें- लोकसभा चुनाव: प्रियंका 13 अप्रैल को उत्तराखंड में करेंगी चुनाव प्रचार, रामनगर और रूड़की में होगी रैली - Priyanka Rahul Campaign

नई दिल्ली: पूर्व कांग्रेस प्रमुख राहुल गांधी और वरिष्ठ नेता प्रियंका गांधी पूर्वोत्तर असम में प्रचार करने के लिए तैयार हैं. यहां सबसे पुरानी पार्टी भाजपा से मुकाबला करने के लिए कड़ी मेहनत कर रही है. एआईसीसी के एक वरिष्ठ पदाधिकारी ने कहा, 'राहुल गांधी 17 अप्रैल को असम के जोरहाट और डिब्रूगढ़ में प्रचार करेंगे. प्रियंका गांधी 16 अप्रैल को जोरहाट और त्रिपुरा में प्रचार करेंगी.'

पार्टी के अंदरूनी सूत्रों के अनुसार दोनों वरिष्ठ नेताओं की यात्रा से पता चलता है कि कांग्रेस उत्तर-पूर्वी राज्यों खासकर भाजपा शासित असम को कितना महत्व दे रही है. 2019 के राष्ट्रीय चुनावों में कांग्रेस ने राज्य की सभी 14 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ा, लेकिन 35.5 प्रतिशत वोट शेयर के साथ केवल तीन सीटें कलियाबोर, नौगोंग और बारपेटा जीत सकी. भाजपा ने 10 सीटों पर चुनाव लड़ा और 36 प्रतिशत वोट शेयर के साथ 9 सीटें जीतीं. बीजेपी की सहयोगी एजीपी ने तीन सीटों पर चुनाव लड़ा लेकिन कोई भी सीट नहीं जीत सकी.

2019 के राष्ट्रीय चुनावों में वरिष्ठ कांग्रेस नेता गौरव गोगोई ने कालियाबोर सीट से जीत हासिल की थी, लेकिन विरासत पर दावा करने के लिए 2024 में जोरहाट चले गए. कांग्रेस पूर्व मुख्यमंत्री और उनके दिवंगत पिता तरुण गोगोई पर भरोसा कर रही है, जिन्होंने इस क्षेत्र से कई बार जीत हासिल की थी. 2019 में भाजपा के टोपोन गोगोई ने 51 प्रतिशत वोट शेयर हासिल करके जोरहाट सीट जीती थी, जबकि कांग्रेस के सुशांत बोरगोहेन को 43 प्रतिशत वोट शेयर मिले थे. 2024 में टोपोन कुमार गोगोई का मुकाबला गौरव गोगोई से है. डिब्रूगढ़ सीट पर कांग्रेस की सहयोगी असम जातीय परिषद के नेता लुरिनज्योति गोगोई का मुकाबला भाजपा के सर्बानंद सोनोवाल और आप के मनोज धनोवर से है.

असम के प्रभारी एआईसीसी महासचिव जितेंद्र सिंह ने ईटीवी भारत को बताया,' प्रदेश की जनता भाजपा से तंग आ चुकी है. इस बार जीतेगा इंडिया गठबंधन. मैंने हाल ही में डिब्रूगढ़ में गठबंधन उम्मीदवार और काजीरंगा और जोरहाट सीटों पर पार्टी उम्मीदवारों के लिए प्रचार किया और लोगों से भारी समर्थन देखा.'

असम कांग्रेस प्रमुख भूपेन कुमार बोरा ने ईटीवी भारत से कहा,'पार्टी के अंदरूनी सूत्रों ने कहा कि हाल ही में कुछ विधायकों के बाहर जाने से कांग्रेस पर कोई असर नहीं पड़ेगा. राज्य में और बेरोजगारी और मूल्य वृद्धि के मुद्दों के अलावा सीएए विरोधी भावना जैसे वास्तविक मुद्दों को पार्टी उठा रही है. ये आजीविका के मुद्दे हैं और मतदाताओं का ध्यान आकर्षित कर रहे हैं. हमारा संदेश राज्य की समस्याओं का समाधान करना है. लोगों की प्रतिक्रिया स्वतःस्फूर्त है. हम एक मजबूत अभियान चला रहे हैं.' भूपेन कुमार बोरा राज्य भर में पार्टी प्रत्याशियों के लिए वोट मांग रहे हैं.

कांग्रेस उत्तर-पूर्वी राज्य में भाजपा से मुकाबला करने के लिए पार्टियों के एक समूह के रूप में संयुक्त विपक्ष मंच पर भरोसा कर रही है और जानबूझकर पूर्व सहयोगी एआईयूडीएफ से दूरी बना रही है जो मुस्लिम मतदाताओं के बीच एक प्रमुख आकर्षण है. पार्टी प्रबंधकों का कहना है कि एआईयूडीएफ सत्तारूढ़ भाजपा के सहयोगी के रूप में कार्य करता है और धर्मनिरपेक्ष वोटों को विभाजित करता है.

सिंह ने कहा,'हमें विश्वास है कि गठबंधन सत्तारूढ़ भाजपा और बदरुद्दीन अजमल की एआईयूडीएफ का मुकाबला कर सकता है. एआईयूडीएफ पिछले विधानसभा चुनाव तक हमारे साथ रहा लेकिन हमने अलग होने का फैसला किया क्योंकि हमने पाया कि वह भाजपा का खेल- खेल रहा था. विपक्षी गठबंधन का व्यापक विषय भाजपा की विभाजनकारी राजनीति होगी जो न केवल असम में बल्कि पूरे उत्तर-पूर्वी क्षेत्र में सामाजिक ताने-बाने को बाधित कर रही है.'

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