रायपुर: 2024 के लोकसभा चुनाव में छत्तीसगढ़ में आम जनता का भरोसा लोकतंत्र में मजबूत हुआ है. तीन चरणों में पूरे हुए चुनाव में लगभग 70 फीसदी मतदान हुआ. नक्सलियों के आदेश को भी इस बार जनता ने नहीं माना. हालांकि इस बात का डर चुनाव एजेंसियों सहित प्रशासन को भी था कि नक्सली चुनाव को प्रभावित करेंगे और यही वजह है कि महज 11 सीटों के लिए छत्तीसगढ़ में तीन चरणों में चुनाव करवाए गए. पहले चरण में सिर्फ एक लोकसभा सीट पर चुनाव था. जिसमें बस्तर लोकसभा क्षेत्र आता है. हालांकि यहां पर भी बिना कोई हिंसा के चुनाव संपन्न हो गया. दूसरे चरण में तीन लोकसभा सीटों पर मतदान हुआ था. हालांकि इसमें आईईडी विस्फोट होने से एक सिपाही की जान गई थी, और एक घायल हुए थे.इस घटना के बाद भी आम जनता का विश्वास नहीं डिगा और तीसरे चरण के मतदान में भी लोगों ने बढ़-चढ़कर के हिस्सा लिया.
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तीन चरणों में इतने प्रतिशत चुनाव: 7 मई को तीसरे चरण के लिए हुए सात सीटों पर मतदान में किसी तरह की कोई अप्रिय घटना नहीं हुई, जो छत्तीसगढ़ के लोकतंत्र के जीत की सबसे बड़ी कहानी कहता है. लोकतंत्र में आम जनता का विश्वास यह बताता है कि जिन्हें भी उन्होंने चुना है वह उनके लिए विकास की नीतियां बनाएंगे और यही से भारतीय संविधान से बने लोकतंत्र के नींव को मजबूत दिशा भी मिलती है.
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बात पहले चरण के चुनाव की करें तो इस चरण में एक सीट के लिए कुल 68.30 फीसदी मतदान हुआ जो 2019 की तुलना में 2.25 फीसदी ज्यादा था. दूसरे चरण की बात करें तो दूसरे चरण में 3 लोकसभा सीटों पर हुए मतदान के लिए कुल 72.13 प्रतिशत मतदान हुआ जो 2019 की तुलना में 1.3 फीसदी ज्यादा है. तीसरे चरण में भी लोगों का उत्साह जमकर दिखा तीसरे चरण में 7 मई को शाम 6 बजे तक तक निर्वाचन आयोग के आंकड़ों के अनुसार 67.24 प्रतिशत मतदान हुआ.
तैयारी पूरी थी: 2024 के लोकसभा चुनाव को शांतिपूर्ण ढंग से निपटने के लिए सभी एजेंसियां पूरे तौर पर तैयार थी. सुरक्षा बलों की तैनाती से लेकर के वैसे दूरस्थ क्षेत्र में मतदान शांतिपूर्ण ढंग से हो सके जहां आम पहुंच नहीं है. हेलीकॉप्टर ड्रॉपिंग की भी व्यवस्था की गई. माना यह भी जा रहा था कि ऐसे दुर्गम स्थलों पर शायद कोई परेशानी खड़ी हो लेकिन इस बार जो तैयारी निर्वाचन आयोग ने कर रखी थी, वह आम जनता की भरोसे पर खड़ी उतरी. यही वजह है कि आम जनता ने बढ़-चढ़कर के लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सा लिया और मतदान भी किया.
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जनता ने किसकी गारंटी पर किया भरोसा: देश में लोकसभा चुनाव के लिए जब मुद्दों का चयन शुरू हुआ तो गारंटी देने की बात को भाजपा ने सबसे ऊपर रखा. वादों वाली राजनीति में दावों के कौन-कौन से तीर तरकश से निकल गए और उसपर जनता ने कितना भरोसा किया है यह तो नहीं कहा जा सकता. छत्तीसगढ़ की जनता ने छत्तीसगढ़ के लिए 2 साल में नक्सलवाद को खत्म करने के लिए दी गई गारंटी पर जरूर भरोसा किया है. इसकी वजह भी बड़ी साफ रही है. लोकसभा चुनाव के दौरान जिस तरीके से छत्तीसगढ़ में नक्सल आपरेशन हुए और जितने नक्सलियों का सफाया किया गया वह आम जनता के मन में एक भरोसा जरूर कायम कर गया है. पहले चरण के चुनाव के पहले दो दर्जन से ज्यादा नक्सलियों को सुरक्षा एजेंसियों ने मार गिराया. लोकसभा चुनाव के बीच 50 से ज्यादा खूंखार नक्सलियों ने आत्मसमर्पण किया. नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन लगातार जारी है, जिसकी गारंटी हर मंच से नेता दे गए. शायद इस बात का भरोसा भी आम जनता ने किया है. यह भी एक बड़ी वजह रही है कि वैसे क्षेत्र में जहां नक्सलियों की तूती बोलती थी वहां के लोगों ने भी लोकतंत्र के इस महापर्व में हिस्सा लिया है.
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मुद्दों में भ्रष्टाचार वाली कहानी का रंग खूब दिखा: 2024 की लोकसभा चुनाव में भाजपा ने जिस आक्रामक तरीके से चुनावी रैलियां की. सभाओं के जरिए भ्रष्टाचार के मुद्दे हावी रहे और उनपर जमकर प्रहार भी किया गया. कांग्रेस की सरकार में आबकारी घोटाले की फाइल चुनाव के बीच जांच की जड़ में रही. इसमें कार्रवाई भी खूब होती गई. पहले चरण की समाप्ति और दूसरे चरण के बीच में ही शराब घोटाले में फंसे लोगों के यहां से ED ने 2250 करोड़ की संपत्ति को जब्त किया. कांग्रेस इस बात को बताने में बैक फुट पर ही रही, क्योंकि जो लोग पकड़े गए वह लोग कहीं ना कहीं पूर्व की सरकार की नीतियों के हिस्सेदार रहे. भाजपा ने हर मंच से अपने चुनावी तरकश की तकरीर बना ली. 2024 के छत्तीसगढ़ के लोकसभा चुनाव की तस्वीर को साफ करने की पुरजोर कोशिश भी की गई. यह मुद्दा भाजपा को कितना फायदा और कितनी सीटें दिलाएगा यो फिलहाल नहीं कहा जा सकता. इतना तय है कि कांग्रेस के लिए इससे निपटना 2024 के लोकसभा चुनाव में मुश्किलों भरा रहा.
चुनाव प्रचार में आक्रामक रही बीजेपी: छत्तीसगढ़ में 2024 के चुनाव में ज्यादा आक्रामक भाजपा ही दिखाई दी. भाजपा ने जिस तरीके से चुनाव प्रचार किया उसके बाद कांग्रेस सिर्फ उसकी सफाई की भरपाई ही करती रह गई. अबकी बार 400 पार, तीसरी बार मोदी सरकार के नारे से पूरे देश में चुनावी सफर को शुरू करने वाली भाजपा छत्तीसगढ़ आते आते मंदिर, महतारी वंदन और मंगलसूत्र तक पहुंच गई. मोदी के इन तारों मे सीधा हमला कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व पर हुआ.
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आदिवासी सीएम की बात साय ने सभाओं में उठाई: जाति की राजनीति को जिस तरीके से छत्तीसगढ़ में उठाया गया उसमें आदिवासी समुदाय के मुख्यमंत्री का नारा और उसे बताने का काम हर मंच से किया गया. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जितनी रैलियां हुईं उन सभी रैलियों में विष्णु देव साय को लेकर हर बार आदिवासी मुख्यमंत्री का हवाला दिया गया. मंच मजबूत था तो वैसे में उत्तर भी आदिवासी समुदाय से जाना था. और यही वजह थी कि जब आदिवासी वोट के लिए खुद विष्णु देव चुनावी मंच पर आए तो उन्होंने जनता से कह दिया, "आदिवासियों का वोट अगर बीजेपी को नहीं गया तो आदिवासी मुख्यमंत्री अपनी ही पार्टी में मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगा."
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कांग्रेस ने भी किया करारा प्रहार: बीजेपी के उठाए आदिवासी सीएम के मुद्दे पर कांग्रेस ने जमकर तंज कसा. कांग्रेस ने आरोप लगाया कि बीजेपी लोगों को जाति पाति के बंधनों में बांटना चाहती है. चुनावी फायदे के लिए समाज को कमजोर करने की कोशिश कर रही है. विपक्ष ने तो यहां तक कहा कि नतीजों के बाद बीजेपी वास्तव में कहीं मुंह दिखाने लायक नहीं रहेगी. खुद छत्तीसगढ़ कांग्रेस प्रभारी सचिन पायलट ने कहा कि ''आदिवासियों के वोटों के लिए जिस तरह से सीएम बयान दे रहे हैं उससे साफ है कि बीजेपी और मोदी के पास आने वाले दिनों में मुंह दिखाने के लिए कुछ नहीं बचेगा''.
किसान की बात, मोदी का जोर और सांय सांय: 2024 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में अगर सबसे ज्यादा मुद्दा कोई गरम रहा तो हर मंच से किसानों की बात रही, खुद मोदी ने किसानों का मुद्दा अपने चुनावी मंच से जोर शोर से उठाया. मोदी का मुद्दा दमदार भी साबित हुआ. छत्तीसगढ़ सरकार के सांय सांय वाली राजनीति ने खूब चर्चा बटोरी. मोदी ने विकास से चुनावी मुद्दों को शुरु किआ बाद में वो नक्सलवाद के खात्मे पर आए. बस्तर से शुरु होने वाले आयुष्मान भारत योजना का महत्व लोगों को बताया. महतारी वंदन से लेकर मंगलसूत्र तक पर सियासत के बाण छोड़े गए. मोदी ने छत्तीसगढ़ विजय के लिए पूरा दम लगा दिया. बीजेपी की सांय सांय काम हो रहा है वाला बयान भी लोगों की जुबां पर रहा.
रोजगार,आरक्षण और संविधान रही कांग्रेस के प्रचार की लाइन: 2024 में छत्तीसगढ़ की राजनीति में जो बातें कांग्रेस की ओर से रखी गई उसमें सबसे मजबूत मुद्दा रोजगार का रहा महिलाओं को लेकर एक लाख रुपए वाली महालक्ष्मी योजना रही. कांग्रेस के नेता राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे, प्रियंका गांधी सब ने इस योजना का जमकर गुणगान किया. कांग्रेस ने जनता को अपनी ओर करने के लिए ये भी नैरेटिव चलाया कि बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आई तो पिछड़ों का आरक्षण खत्म हो जाएगा. बीजेपी के नेता संविधान को खत्म कर देंगे. बीजेपी के आक्रामक प्रचार से दूरी बनाने वाली कांग्रेस ने अपनी इस चुनावी रणनीति से अपने लिए जीत का मंत्र निकलाने की कोशिश की. अब उसका कितना फायदा मिलेगा ये तो चार जून को पता चलेगा.
''इस बार बुलेट पर बैलेट भारी पड़ा है. यह छत्तीसगढ़ के लोकतंत्र की बहुत बड़ी जीत कहीं जा सकती है. जो लोग भी लोकतंत्र के महापर्व में हिस्सेदार बने हैं, उन सभी लोगों को इस बात के लिए शुक्रिया अदा करना चाहिए. मतदाताओं ने लोकतंत्र की नीव को जो मजबूत करने का काम किया है, विकास की बुनियाद को खड़ा करने का काम किया वो काबिले तारीफ है. लोकतंत्र में जनता जनार्दन है और आखिरी फैसला उसी का सबको मानना पड़ता है''. - दुर्गेश भटनागर, वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक समीक्षक
बहुमत के आंकड़े में किसकी कितनी हिस्सेदारी: 2024 के लोकतंत्र के महापर्व के लिए देश ने बहुमत वाले आंकड़े के लिए मतदान पूरा हो चुका है. तीसरे चरण में अब तक 282 सीटों के लिए मतदान हो गया है. देश में सरकार बनाने के लिए बहुमत का आंकड़ा है. इसमें 11 सीटे छत्तीसगढ़ की हैं. जो दावे हुए जो वादे किए गए उस पर जनता ने कितना भरोसा किया है वो नतीजे आने पर नजर आएगा. फिलहाल सभी प्रत्याशियों की किस्मत ईवीएम में कैद हो गई है.