श्रीनगर: ऐसा बेहद कम देखने को मिलता है कि जम्मू कश्मीर में चुनाव बिना विवाद के सम्पन्न हो जाएं. इस बार भी राज्य की अनंतनाग-राजौरी सीट पर मतदान को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. दरअसल, चुनाव आयोग ने केंद्र शासित प्रदेश की अनंतनाग-राजौरी लोकसभा सीट पर 7 मई होने वाले मतदान को 25 मई तक टालने की भारतीय जनता पार्टी (BJP) और कुछ स्थानीय पार्टियों की मांग पर सहमति व्यक्त की है. इसको लेकर विवाद बढ़ गया है.
जम्मू कश्मीर के प्रमुख दल नेशनल कॉन्फ्रेंस (NC) और पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) इस फैसले से खुश नहीं हैं. उनका कहना है कि यह फैसला उन पर तब थोपा गया है, जबकि बीजेपी जैसी पार्टियां घाटी की तीन सीटों में से किसी भी सीट पर चुनाव नहीं लड़ रही है.
बता दें कि बीजेपी, अपनी पार्टी, पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और डेमोक्रेटिक प्रोग्रेसिव आजाद पार्टी (डीपीएपी) ने चुनाव स्थगित करने की मांग की है. इन दलों का कहना है कि भारी बारिश, बर्फबारी और भूस्खलन से रास्ते ब्लॉक हो गए हैं, जिससे लोगों को कठिनाई हो रही है.
अनंतनाग-राजौरी सीट से कौन-कौन उम्मीदवार?
अनंतनाग-राजौरी सीट से पीडीपी की महबूबा मुफ्ती, नेशनल कॉन्फ्रेंस के मियां अल्ताफ और पीपुल्स कॉन्फ्रेंस के मोहम्मद पार्रे चुनाव लड़ेंगे. यह सीट जम्मू और कश्मीर दोनों क्षेत्रों में आती है. यह सीट कश्मीर की 11 और जम्मू की सात विधानसभा क्षेत्रों को कवर करती है. ऐसी चर्चा है कि चारों पार्टियां प्रचार के लिए अधिक समय पाने और अपनी संभावनाएं बेहतर करने के लिए चुनाव टालना चाहती थीं. इसके चलते नेशनल कॉन्फ्रेंस और पीडीपी दोनों चुनाव टालने के फैसले का विरोध किया है.
बीजेपी को लाभ पहुंचाने की कोशिश
इस संबंध में नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता उमर अब्दुल्ला ने कहा कि यह साफ है कि बीजेपी और उसके सहयोगियों को लाभ पहुंचाने का प्रयास किया जा रहा है. अन्यथा, इसे स्थगित करने का कोई कारण नहीं है. यह पहली बार नहीं है कि चुनाव आयोग बीजेपी की मदद कर रहा है, लेकिन वे कुछ भी करें. वे जितनी चाहें उतनी साजिश कर सकते हैं, इस चुनाव में बीजेपी और उसके सहयोगियों को हार का सामना करना पड़ेगा.
क्या बोली पीडीपी?
पीडीपी प्रवक्ता मोहित भान ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट किया. उन्होंने कहा कि बीजेपी के साथ गठबंधन सरकार चलाने वाली पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के प्रति लोगों के भारी समर्थन ने उन्हें चुनाव की तारीख बदलने और बीजेपी की प्रॉक्सी पार्टियों को चुनावी प्रक्रिया में छेड़छाड़ करने के लिए मजबूर कर दिया है.
राज्य को विशेष दर्जा देने वाले अनुच्छेद 370 के निरस्त होने के बाद नए कश्मीर की बीजेपी की कहानी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा, 'पूरे निर्वाचन क्षेत्र को घेरने के बाद लोगों को अपने मताधिकार का प्रयोग करने से वंचित करना दिखाता है कि दिल्ली लोगों के दिल की बात और नया कश्मीर के बारे में उनकी असफल कहानी से वाकिफ है.'