नई दिल्ली : भाजपा ने पहले चरण में जितनी उम्मीद लगाई थी लगाई थी उससे कहीं कम वोटिंग हुई है. खासकर मध्य प्रदेश, राजस्थान और बिहार जैसे राज्यों में जहां भाजपा ने भरी उम्मीद लगा रखी थी वहां 2019 से भी कम मतदान हुआ है.
सूत्रों की मानें तो इसे देखते हुए पार्टी अपनी रणनीति में बदलाव लाते हुए बूथ स्तर पर अपना फोकस और बढ़ाएगी ताकि बूथ कार्यकर्ता और बूथ अध्यक्ष मतदाताओं को घर से निकालकर बूथ तक लाने में सफल हो सकें. इसके लिए सूत्रों की मानें तो पार्टी ने पहले चरण के बाद देशभर के अपने बूथ कार्यकर्ताओं को अलर्ट किया है और उन्हें डोर टू डोर कैंपेन करने की सलाह दी है.
पार्टी ने उन्हें अभी से संपर्क अभियान बढ़ाते हुए मतदाताओं की सूची में नाम, उनके मतदाता पहचान पत्र, उनके बूथ एड्रेस और यदि उनके पहचान पत्र आदि में कोई बदलाव होना है तो उसमे मदद करने की सलाह दी है. साथ ही वोटरों को मतदान के लिए जागरूक करने की सलाह दी है.
भाजपा की फिलहाल सबसे बड़ी चिंता वोटर्स को मतदान केंद्र तक लाने की है. उसके सामने '400 पार' की बड़ी चुनौती है. ऐसे में उसके लिए जरूरी है मतदाता वोट करने घरों से निकलें और वोट प्रतिशत बढ़े.
2019 से कम वोटिंग : 2019 के मुकाबले मध्य प्रदेश में 6 फीसदी कम मतदान हुआ है, वहीं राजस्थान में इस बार 5.84 फीसदी कम मतदान हुआ. कुछ इसी तरह के आंकड़े बिहार के भी हैं. हालांकि परंपरागत वोटिंग पैटर्न को देखें तो वोटिंग परसेंटेज घटने को हमेशा सत्ताधारी पार्टी के पक्ष में माना जाता रहा है. लेकिन इस बार इससे कांग्रेस खुश नजर आ रही और उसका दावा है कि ये पार्टी के पक्ष में जाएगा. जबकि बीजेपी अपनी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है.
यदि इस बार देखा जाए तो पहले चरण के चुनाव और वोटिंग पैटर्न ने ये जरूर अहसास दिलाया है कि कई जगह कांटे की टक्कर है. पहले चरण के बाद जहां कुछ लोगों का कहना था कि 'राम को लाने वाले को लाएंगे' वहीं, कुछ ये दर्द बयां करते नजर आए कि 'महंगाई की हालत ये है कि अब पानी भी खरीदकर पी रहे हैं.' ऐसे में ये स्थितियां भाजपा के लिए चुनौतियां बढ़ा सकती हैं.
चुनाव प्रचार पर करेगी फोकस : अभी तक भाजपा उन राज्यों में ज्यादा से ज्यादा सीटें लाने के लिए एड़ी-चोटी की जोर लगा रही थी जिनमें उसे नया जनाधार बनाना है जैसे तमिलनाडु, ओडिशा, केरल आदि लेकिन पहले चरण में हुई कम वोटिंग के बाद सूत्रों की मानें तो बीजेपी अब अपने जनाधार वाले राज्यों में भी बड़े नेताओं के ज्यादा से ज्यादा फोकस्ड चुनाव प्रचार तैयार करेगी. इसी क्रम में कर्नाटक में पार्टी के लिए 'मोदी मैजिक' बरकरार रखना भी एक बड़ी चुनौती है. सूत्रों की मानें तो सर्वे में बीजेपी को सीटें घटने का डर है. यहां पार्टी सर्वे के अनुसार NDA 18-22, कांग्रेस 5-8 सीटों पर आगे, JDS के लिए अस्तित्व की लड़ाई हो गई है. कुल मिलाकर पहले फेज में हुई वोटिंग ने बीजेपी की चिंता बढ़ा जरूर दी है, मगर पार्टी जीत को लेकर आश्वस्त नजर आ रही है.
पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव दुष्यंत गौतम का कहना है कि 'ज्यादा वोटिंग हो या कम, ये चुनाव हमारे लोकप्रिय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर ही केंद्रित है. जनता उन्हीं के नाम पर वोट करेगी और मोदीजी के 400 पार के लक्ष्य को पूरा करेगी.'