लखनऊः इस बार का लोकसभा चुनाव उत्तर प्रदेश में कई मायनों में अनूठा रहा है. कई रिकॉर्ड पहली बार बने, पहली बार ही टूटे भी. सत्तारूढ़ खेमे ने दिल्ली से अबकी बार 400 पार की हवा चलाई तो प्रदेश में भी 80 में 80 का बड़बोला नारा यहां-वहां गूंजने लगा.सभी सीटें जीतने के दावे की हकीकत यह रही कि साख बचानी मुश्किल हो गई. अपने गठन के 32 साल के इतिहास में सपा ने 2024 के आम चुनाव में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है. पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन में 37 सीटें जीत ली. इसके साथ ही अखिलेश यादव और डिंपल यादव एक साथ संसद पहुंचने वाले उत्तर प्रदेश के पहले कपल बन गए हैं.
केंद्र सरकार के 7 मंत्री और करीब दो दर्जन सांसद अपनी सीट नहीं बचा पाए, जहां रामलला का 500 वर्षों का वनवास खत्म हुआ, उसी सीट पर भाजपा को फिलहाल 5 साल 'अयोध्या निकाला' मिल गया. राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा देश-दुनिया जितना सुर्खियों में रहा, उससे ज्यादा चर्चा रही भगवा पार्टी की किरकिरी वाली हर और अयोध्या के लोग. अपने आप में ये सब अलहदा ही रहा. अनोखे रिकॉर्ड के सिलसिले में प्रदेश में ऐसे 7 युवा सांसद भी जीते हैं, जो अब अपने बाप-दादा की राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाएंगे. सियासत के इन युवा तुर्कों ने अपने पहले ही लोकसभा चुनाव में दिग्गज व 2-3 बार के सांसदों को पटखनी दी. कौशाम्बी से जीते सपा के पुष्पेंद्र सरोज तो देश में सबसे काम उम्र के सांसद बने हैं.
उत्तर प्रदेश से पहली बार अखिलेश और डिंपल यादव की जोड़ी संसद में दिखेगी. यह यूपी का पहला सांसद दंपती है, जबकि देश में इससे पहले ऐसा ही रिकॉर्ड तीन जोड़े और बना चुके हैं. अखिलेश और डिंपल ने मंगलवार को लोकसभा सत्र के दूसरे दिन अपने पद और गोपनीयता की शपथ ली. दोनों ने जो चुनावी मुद्दे थे, उसको यहां भी लागू किया. शपथ लेते समय अखिलेश और डिंपल ने संविधान की कॉपी साथ रखी और जय संविधान के नारे लगाए. रिकॉर्डों की झड़ी से शुरू हुई खबर का थीम यही है... आगे पढ़िए.
केरल के गोपालन नांबियार-सुशीला गोपालन दो बार एक साथ जीते थे चुनाव
भारतीय संसद के इतिहास में पहली बार केरल के दंपत्ति एक साथ सांसद चुने गए थे. चौथी लोकसभा 4वीं लोकसभा (1967-1971) में एके गोपालन नांबियार और सुशीला गोपालन एक साथ जीत कर संसद पहुंचे थे. दोनों सीपीएम से सांसद चुने गए थे. एके गोपालन नांबियार को एकेजी के नाम से जाना जाता है. वह एक स्वतंत्रता सेनानी और संसद में विपक्ष के पहले नेता थे. एके एके गोपालन 1952 से 1977 तक पालघाट (केरल) से लगातार सांसद चुने जाते रहे थे.वहीं, एके गोपालन की पत्नी सुशीला गोपालन पहली बार 1967 में चिरयनकिल (केरल) से लोकसभा के लिए चुनी गईं. सुशीला एक प्रमुख मार्क्सवादी और ट्रेड यूनियनवादी थीं. दंपत्ति सीपीएम के सदस्य थे.
सत्येन्द्र नारायण सिन्हा और किशोरी सिन्हा दो बार एक साथ पहुंचे संसद
इसी तरह बिहार के सत्येन्द्र नारायण सिन्हा और और उनकी पत्नी किशोरी सिन्हा दो बार लोकसभा चुनाव एक साथ जीतकर संसद पहुंचे थे. सत्येंद्र नारायरण सिन्हा बिहार के औरंगाबाद जिले के एक शाही परिवार से ताल्लुक रखते थे. जिन्हें छोटे बाबू के नाम से भी जाना जाता था. नारायरण 1952 से छह बार औरंगाबाद से लोकसभा के लिए चुने गए. सत्यनारायण तीन बार कांग्रेस, एक बार कांग्रेस (ओ) और दो बार जनता पार्टी से सांसद चुने गए थे. जबकि पत्नी किशोरी 1980 और 1989 लोकसभा में उनके साथ थीं. किशोरी वैशाली लोकसभा सीट से सांसद से चुनी गई थीं. 1980 में सत्येंद्र नारायरण सिन्हा और किशोरी सिन्हा भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा) से सांसद चुने गए थे. जबकि 1989 में जनता पार्टी से चुनाव जीतकर एक साथ संसद पहुंचे थे.
पप्पू यादव भी पत्नी रंजीत रंजन के साथ दो बार चुने गए सांसद
बिहार के राजेश रंजन (पप्पू यादव) और और उनकी पत्नी रंजीत रंजन भी दो बार एक साथ सांसद बने थे. पप्पू यादव और रंजीत एक और दिलचस्प जोड़ी है. पूर्णिया के डॉन के नाम से मशहूर पप्पू यादव 2004 में उपचुनाव में राजद के टिकट पर मधेपुरा से सांसद चुने गए थे. जबकि उनकी पत्नी रंजीत रंजन लोक जन शक्ति पार्टी के टिकट पर बिहार के सहरसा से चुनी गईं थीं. वहीं, दूसरी बार 2014 के आम चुनाव में इस जोड़े ने अलग-अलग पार्टियों से जीत हासिल की. रंजीत रंजन ने कांग्रेस के टिकट से सुपौल से जीत हासिल की. वहीं, पति पप्पू यादव ने राजद के टिकट से मधेपुरा लोकसभा सीट से जीतकर सांसद बने थे. अधिकांश समय जेल में रहने वाले पप्पू यादव कई राजनीतिक पार्टी से उम्मीदावर बनकर 1991, 1996, 1999, 2004 और 2014 में बिहार के अलग-अलग लोकसभा सीट से चुनाव जीता.वह निर्दलीय, एसपी, लोक जनता पार्टी, राजद के टीकट पर लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. आपराधिक छवि होने के बावजूद पप्पू यादव 2015 में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले सांसदों में से एक बने थे. जबकि पप्पू यादव की पत्नी रंजीत रंजन का जन्म मध्य प्रदेश में पंजाबी परिवार में हुआ था. रंजीत को खेलों में रुचि थी. रंजीत कई दलों का प्रतिनिधित्व कर चुकी हैं. रंजीत रंजन को साथी सांसदों के साथ बातचीत करने के लिए नहीं जाना जाता है. इसके अलावा वह अपने पति के बारे में मीडियाकर्मियों के सवालों का जवाब नहीं देती हैं.
धर्मेंद्र और हेमा मालिनी की जोड़ी भी पहुंची थी संसद, लेकिन अलग थे सदन
इनके अलावा बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर धर्मेंद्र यादव और उनकी पत्नी हेमा मालिनी भी एक साथ सांसद रह चुके हैं. लेकिन दोनों के सदन अलग-अलग थे. धर्मेंद्र यादव 2004 में राजस्थान की लोकसभा सीट बीकानेर से सांसद चुने गए थे. जबकि वर्तमान में तीसरी बार मथुरा से सांसद हेमा मालिनी 2003 में राज्य सभा सांसद मनोनीत हुई थीं. बता दें कि 16 अक्टूबर 1948 अम्मनकुड़ी वर्तमान में तमिलनाडु में जन्मी हेमा मालिनी बॉलीवुड के साथ राजनीति में बेहतर प्रदर्शन कर रही हैं. फिल्मों में सफल होने के बाद 1981 में अभिनेता धर्मेन्द्र से विवाह किया था. जबकि धर्मेंद्र पहले से शादीशुदा थे.
यूपी से पहले दंपत्ति अखिलेश और डिंपल एक साथ चुने गए सांसद
लोकसभा चुनाव 2024 में समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव और उनकी पत्नी डिंपल यादव एक साथ सांसद बने हैं. उत्तर प्रदेश से एक साथ सांसद बनने वाले अखिलेश और डिंपल पहले सांसद हैं. इस बार अखिलेश यादव कन्नौज तो डिंपल यादव मैनपुरी लोकसभा सीट से जीती हैं. यह जोड़ी अब संसद में एक साथ दिखेगी. डिंपल यादव ने 2 लाख 21 हजार 639 वोटों से भाजपा प्रत्याशी जयवीर सिंह को हराया है. डिंपल यादव लगातार तीसरी बार सांसद चुनी गई हैं. वहीं, अखिलेश यादव ने भाजपा प्रत्याशी सुब्रत पाठक 1 लाख 70 हजार 922 वोटों से हराया है. अखिलेश यादव इसके पहले तीन बार सांसद चुने जा चुके हैं.
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