हैदराबाद: लोकसभा चुनाव 2024 के लिए लगभग सभी दल अपने-अपने उम्मीदवारों की घोषणा कर चुके हैं. हालांकि इस बार उम्मीदवार उतारने के मामले में देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस फूंक-फूंककर कदम उठा रही है. कांग्रेस भारत के चुनावी इतिहास में पहली बार इतने कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस इस बार 350 से कम सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी और अब तक 270 से अधिक लोकसभा सीटों पर उम्मीदवारों को नाम घोषित कर चुकी है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, इस चुनाव में कांग्रेस सिर्फ 170 सीटों पर पूरा ध्यान फोकस कर रही है.
कांग्रेस सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्ट में दावा किया गया है कि देश की मुख्य विपक्षी पार्टी इस चुनाव में 330 से 340 सीटों पर उम्मीदवार उतारेगी. देश में 1951 से लेकर अब तक 17 बार लोकसभा चुनाव हो चुके हैं. ये पहली बार होगा, जब कांग्रेस 400 से कम सीटों पर चुनाव लड़ेगी. इससे पहले साल 2004 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने कुल 543 संसदीय क्षेत्रों में से 417 पर चुनाव लड़ा था. कांग्रेस तब विपक्ष में थी और 141 सीटें जीतकर केंद्र की सत्ता पर काबिज हुई थी. इस चुनाव में तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के नेतृत्व वाली एनडीए सरकार को हार का सामना करना पड़ा था.
इसके बाद सत्ता में रहते हुए कांग्रेस ने 2009 के लोकसभा चुनाव में 440 सीटों पर चुनाव लड़ा था और 206 सीटें जीतकर दोबारा सत्ता में वापसी की थी. 2014 के आम चुनाव में कांग्रेस ने 463 लोकसभा सीटों पर प्रत्याशी उतारे थे. हालांकि, उसे भाजपा से करारी हार का सामना करना पड़ा था. कांग्रेस सिर्फ 44 सीटें जीत पाई थी. 2019 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस ने 421 सीटों पर लड़ा और उसे देशभर में सिर्फ 50 सीटें हासिल हुईं. बता दें, देश के चुनावी इतिहास में कांग्रेस ने 1996 में सबसे अधिक 529 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे.
कम सीटों पर चुनाव लड़ने की क्या है वजह
पिछले दो आम चुनाव में करारी हार के बाद कांग्रेस इस बार काफी चौकन्नी है और सभी सीटों पर रणनीति के साथ चुनाव में आगे बढ़ रही है. भाजपा के खिलाफ 'इंडिया' गठबंधन का नेतृत्व कर रही कांग्रेस इस बार कई राज्यों में समान विचारधारा वाले दलों के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. कांग्रेस ने चुनाव पूर्व गठबंधन के तहत सहयोगी दलों के साथ सीटों का बंटवारा किया है. इस वजह से कांग्रेस ने कई राज्यों में पिछले चुनाव के मुकाबले कम सीटों पर उम्मीदवार उतारे हैं.
कांग्रेस 2019 में उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में से 67 पर चुनाव लड़ी थी, लेकिन इस बार सपा से गठबंधन होने के कारण सिर्फ 17 सीटों पर चुनाव लड़ेगी. वहीं पश्चिम बंगाल में कांग्रेस इस बार सिर्फ 20 लोकसभा सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है, जबकि पिछले चुनाव में 41 सीटों पर उम्मीदवार खड़े किए थे. इस तरह कांग्रेस सिर्फ दो राज्यों में ही 70 सीटों पर चुनाव नहीं लड़ेगी.
आम आदमी पार्टी के साथ गठबंधन की वजह से दिल्ली में भी कांग्रेस सिर्फ तीन सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि पिछले चुनाव में सभी सात सीटों पर उम्मीदवार उतारे थे. इसी तरह महाराष्ट्र, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान और अन्य राज्यों में भी कांग्रेस इस बार कम सीटों पर चुनाव लड़ रही है.
सिर्फ 170 सीटों पर फोकस
लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस सिर्फ अपनी प्राथमिकता वाली सीटों पर पूरी ताकत लगा रही है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, जमीनी हकीकत टटोलने के बाद कांग्रेस ने विभिन्न राज्यों की 170 सीटों पर पूरा फोकस कर रही है, जहां जीतने की संभावना अधिक है. इन सीटों पर पार्टी विस्तृत चुनावी रणनीति के साथ अपना अभियान आगे बढ़ा रही है.
सूत्रों का कहना है कि कांग्रेस ने कई सर्वेक्षण के बाद जीतने की संभावना वाली सीटों की सूची तैयारी की है. इनमें अधिकांश सीटों ऐसी हैं, जहां कांग्रेस मजबूत स्थिति में है या पहले यहां से चुनाव जीत चुकी है. कांग्रेस ने भाजपा के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर का आकलन भी कराया है.
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