श्रीनगर: लोकसभा चुनाव में बुजुर्गों के अलावा शारीरिक रूप से 40 प्रतिशत तक अक्षम दिव्यांग भी घर बैठे वोट डाल सकेंगे. इसका उदाहरण जम्मू कश्मीर में देखने को मिला. जहां, श्रीनगर के दारा इलाके के निवासी अली मोहम्मद राथर ने मंगलवार को लोकसभा चुनाव 2024 में अपना वोट डालने वाले श्रीनगर संसदीय क्षेत्र से पहले होम वोटर बनकर चुनावी इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करा लिया. बता दें कि, अली मोहम्मद राथर दृष्टिबाधित हैं. श्रीनगर निर्वाचन क्षेत्र के जिला निर्वाचन अधिकारी बिलाल मोहिउद्दीन को अली मोहम्मद का वोट डालते और उनके आवास पर मतपेटी में सील करते देखा गया.
इस विषय पर बोलते हुए एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि, चुनाव आयोग ने तीसरे चरण के वोटिंग के दौरान एक दृष्टिबाधित बुजुर्ग को घर बैठे वोटिंग की सुविधा प्रदान की. चुनाव आयोग ने ऐसे व्यक्तियों के लिए लोकतंत्र के महापर्व में भागीदार बनने के दरवाजे खोल दिए हैं, जो दिव्यांग और बुजुर्ग हैं. दिव्यांगों, बुजुर्गों को मतदान केंद्रों तक जाने में काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता था. इसको लेकर आयोग ने दिव्यांगों, बुजुर्गों के लिए घर से ही मतदान करने की सुविधा प्रदान की है. जानकारी के मुताबिक, लोकसभा चुनाव में बुजुर्गों के अलावा शारीरिक रूप से 40 प्रतिशत तक अक्षम दिव्यांग भी घर बैठे वोट डाल सकेंगे.
जम्मू-कश्मीर की श्रीनगर संसदीय सीट के लिए 16 निर्दलीयों समेत कुल 24 उम्मीदवार चुनावी मैदान में हैं. जम्मू कश्मीर में चुनाव आयोजित करने के तरीके में एक आदर्श बदलाव देखा जा रहा है, जिसमें समाज के सभी वर्गों के लिए सुलभ पहुंच और समावेशिता पर जोर दिया गया है. यह पहल समाज के सभी वर्गों के लिए चुनावों को अधिक सुलभ बनाने के ईसीआई के व्यापक मिशन के अनुरूप है. यह वास्तव में लोकतंत्र को बढ़ावा देने की दिशा में एक कदम है. कमजोर और हाशिए पर रहने वाले समूहों के बीच लोकतांत्रिक भागीदारी को बढ़ावा देने का प्रयास किया जा रहा है. देश भर में पंजीकृत 85 वर्ष और उससे अधिक आयु के 81 लाख से अधिक और 90 लाख से अधिक दिव्यांग मतदाता हैं. इन सभी को लोकतंत्र के इस महापर्व में वोटिंग में शामिल कराने के प्रयास किए जा रहे हैं. जिसके लिए होम वोटिंग की सुविधा प्रदान की गई है.
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