गुवाहाटी: लोकसभा चुनाव के पहले चरण में 19 अप्रैल को ऊपरी असम की पांच सीटों डिब्रूगढ़, जोरहाट, लखीमपुर, काजीरंगा और सोनितपुर में मतदान संपन्न हो चुका है. इन सीटों के नतीजों में पिछले चुनावों की तरह इस बार भी चाय बागान में काम करने वाले श्रमिकों और अहोम समुदाय के मतदाताओं का प्रभाव देखने को मिल सकता है. प्रमुख शिक्षाविद् और अहोम समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाले वरिष्ठ राजनीतिक कार्यकर्ता डॉ. दयानंद बोरगोहेन ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि इस बार जोरहाट और डिब्रूगढ़ दो महत्वपूर्ण निर्वाचन क्षेत्र हैं. उनका मानना है कि पांच निर्वाचन क्षेत्रों में से जोरहाट में लगभग 80 प्रतिशत मतदान का कारण युवा पीढ़ी और अहोम मतदाताओं का वोटिंग को लेकर उत्साह है.
असम में पहले चरण में पांच सीटों पर कुल 78.4 प्रतिशत मतदान हुआ है. जोरहाट निर्वाचन क्षेत्र में सबसे अधिक 79.89 प्रतिशत मतदान दर्ज किया गया. सोनितपुर में 78.3 प्रतिशत, डिब्रूगढ़ में 76.75 प्रतिशत, काजीरंगा में 79.33 प्रतिशत और लखीमपुर में 76.42 प्रतिशत मतदान हुआ. जातीय संगठनों और सामाजिक कार्यकर्ताओं के अनुसार, पूरे असम में लगभग 60 लाख चाय बागान के श्रमिक मतदाता और अहोम समुदाय के 50 लाख से अधिक मतदाता हैं. विशेष रूप से, जोरहाट लोकसभा क्षेत्र में अहोम समुदाय का वर्चस्व है और डिब्रूगढ़ लोकसभा क्षेत्र में चाय बागान में काम करने वाले श्रमिक मतदाता अधिक हैं.
जोरहाट में कांग्रेस को मिला अहोम का समर्थन
डॉ. बोरगोहेन ने कहा कि अहोमों के बीच बहुत प्रभाव है, खासकर जोरहाट निर्वाचन क्षेत्र में. जोरहाट निर्वाचन क्षेत्र में पांच लाख से अधिक अहोम मतदाता हैं. यहां लोकसभा चुनाव पार्टी के आधार पर नहीं, बल्कि सांप्रदायिक आधार पर हुआ है. जोरहाट में 80 प्रतिशत मतदान का एक कारण अहोम लोगों की भागीदारी है. उन्होंने बताया कि अहोम के बाद, जोरहाट में तीन लाख से अधिक चाय बागान श्रमिकों के वोट हैं. धार्मिक और भाषाई अल्पसंख्यक मतदाता भी हैं. कांग्रेस ने अहोम मतदाताओं का दिल जीत लिया है. भाजपा उम्मीदवार तपन गोगोई पिछले पांच साल से क्षेत्र के सांसद थे, लेकिन लोग उनसे खुश नहीं थे. इसलिए, भाजपा इस बार जोरहाट में चाय बागान के मतदाताओं और नेपाली जैसे अन्य मतदाताओं पर निर्भर है.
जोरहाट में इस बार दो प्रमुख दावेदार अहोम समुदाय से हैं. कांग्रेस से गौरव गोगोई और भाजपा से वर्तमान सांसद तपन कुमार गोगोई हैं. केवल जोरहाट जिले में कुल 35 चाय बागान हैं. शिवसागर में भी बड़ी संख्या में चाय बागान हैं.
डिब्रूगढ़ में सर्बानंद सोनोवाल मजबूत उम्मीदवार
डिब्रूगढ़ लोकसभा क्षेत्र में 7.4 लाख चाय बागान श्रमिक समुदाय के मतदाता हैं. राजनीतिक विश्लेषक डॉ. दयानंद बोरगोहेन ने कहा कि डिब्रूगढ़ में चाय बागान मतदाताओं की बहुतायत है. उन्होंने कहा कि डिब्रूगढ़ में अहोम मतदाता दूसरा सबसे बड़ा वर्ग है. डिब्रूगढ़ में चार लाख से अधिक अहोम मतदाता हैं. असम जातीय परिषद के उम्मीदवार लुरिनज्योति गोगोई अहोम हैं, इसलिए उन्हें अहोम समुदाय का ज्यादातर वोट मिलेगा. लेकिन भाजपा उम्मीदवार सर्बानंद सोनोवाल मजबूत उम्मीदवार हैं. वह असम के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री हैं. भाजपा डिब्रूगढ़ में चाय बागान श्रमिक और अन्य समुदायों के वोटों पर बहुत अधिक निर्भर है. लेकिन जोरहाट में कांग्रेस के जीतने की संभावना है.
उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार मनोज धनवार चाय बागान श्रमिक समुदाय के नेता हैं. धनवार के पिता रामेश्वर धनवार आठ बार विधायक रहे हैं. इसलिए डिब्रूगढ़ लोकसभा चुनाव के नतीजे इस बार चौंकाने वाले होंगे. डिब्रूगढ़ जिले में 178 चाय बागान और तिनसुकिया में 123 चाय बागान हैं.
लखीमपुर में भाजपा की जीत की संभावना
लखीमपुर लोकसभा क्षेत्र में बड़ी संख्या में अहोम मतदाताओं के साथ-साथ बड़ी संख्या में चाय बागान श्रमिक मतदाता भी हैं. लोकसभा क्षेत्र में लगभग दो लाख चाय बागान श्रमिक मतदाता हैं. अकेले लखीमपुर जिले में नौ चाय बागान हैं. डॉ. दयानंद बोरगोहेन ने कहा कि लखीमपुर निर्वाचन क्षेत्र में मुट्ठी भर अहोम मतदाता भाजपा में चले गए हैं. इसका कुछ हिस्सा कांग्रेस को भी मिला है. उनके मुताबिक लखीमपुर में भाजपा के जीतने की संभावना अधिक है.
काजीरंगा में भी भाजपा अच्छी स्थिति में
डॉ. बोरगोहेन का कहना है कि काजीरंगा लोकसभा (पहले कलियाबोर सीट) के गोलाघाट, खुमताई, सरूपथार और बोकाखाट तथा कलियाबोर जैसे विधानसभा क्षेत्रों में जहां अहोम समुदायों का बड़ा प्रभाव है. वहीं चाय बागान श्रमिक समुदाय का भी दबदबा है, यहां अन्य जातीय समूहों के साथ-साथ भाषाई और धार्मिक अल्पसंख्यक मतदाता भी हैं. भाजपा के कामाख्या प्रसाद तासा और कांग्रेस की रोसेलिना तिर्की दोनों चाय बागान श्रमिक समुदाय से हैं. भाजपा होजई और लैमडिंग निर्वाचन क्षेत्रों पर भरोसा कर रही है, जहां भाषाई और धार्मिक मतदाता अधिक हैं. इसलिए, भाजपा और कांग्रेस दोनों ही इस निर्वाचन क्षेत्र में चाय बागान श्रमिकों और अहोम मतदाताओं पर निर्भर हैं. लेकिन काजीरंगा में भाजपा अच्छी स्थिति में है क्योंकि कई विधानसभा क्षेत्र में भाषाई हिंदू मतदाता अधिक हैं.
क्या है सोनितपुर की स्थिति
डॉ. बोरगोहेन के मुताबिक सोनितपुर लोकसभा क्षेत्र (पहले तेजपुर सीट) में लगभग 55 चाय बागान हैं. जातीय संगठनों के अनुसार, सोनितपुर लोकसभा में लगभग 6.60 लाख चाय बागान मतदाता हैं. सोनितपुर जिले के पांच विधानसभा क्षेत्रों में से अकेले रंगापारा विधानसभा क्षेत्र में लगभग 1.47 लाख चाय बागान श्रमिक समुदाय के मतदाता हैं. कांग्रेस उम्मीदवार प्रेमलाल गंजू सोनितपुर लोकसभा क्षेत्र में इसी समुदाय से हैं. लेकिन 2014 के संसदीय चुनाव के बाद से इस निर्वाचन क्षेत्र में चाय बागानों के मतदाताओं में भाजपा का दबदबा रहा है. सोनितपुर लोकसभा क्षेत्र के सभी विधानसभा क्षेत्रों पर फिलहाल भाजपा का कब्जा है. इसलिए, इस बात की उम्मीद नहीं है कि कांग्रेस उम्मीदवार चाय बागान श्रमिकों के बीच भाजपा के वोट बैंक में सेंध लगा सकते हैं.
असम सरकार के आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार राज्य में 803 चाय बागान हैं. इनमें से 200 प्रमुख चाय बागानों में और शेष 600 सामान्य श्रेणी में शामिल हैं. असम में 5000 से अधिक छोटे चाय बागान हैं. इन बागानों में लगभग 10 लाख श्रमिक हैं. इनमें से चार लाख महिला श्रमिक हैं. असम के चाय बागान भारत के वार्षिक चाय उत्पादन का 52 प्रतिशत उत्पादन करते हैं.
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