ETV Bharat / bharat

लोको-पायलटों को नहीं मिल रहा आराम का समय, इसलिए हो रहे ट्रेन हादसे, सांसद का दावा - Sasikanth Senthil on Train Accident

Sasikanth Senthil on Train Accident: कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद लोको पायलटों की लंबी ड्यूटी को लेकर सवाल उठ रहे हैं. तिरुवल्लूर से लोकसभा सांसद शशिकांत सेंथिल ने आरोप लगाया है कि लोको-पायलटों को आराम का समय नहीं दिया जा रहा है, जिसके कारण ट्रेन दुर्घटनाएं हो रही हैं. पढ़ें पूरी खबर.

Kanchenjunga Express accident
कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना का दृश्य (ETV Bharat)
author img

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 24, 2024, 4:53 PM IST

हैदराबाद: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में 17 जून को कंचनजंगा एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 9 लोगों की मौत हो गई थी और 41 यात्री घायल हुए थे. इस रेल दुर्घटना ने एक बार फिर लोको पायलटों को लंबे समय तक ड्यूटी के लिए मजबूर करने के गंभीर मुद्दे को उजागर किया है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में तमिलनाडु के तिरुवल्लूर से सांसद शशिकांत सेंथिल ने आरोप लगाया है कि रेल मंत्रालय को कई पत्र और ज्ञापन सौंपे जाने के बावजूद इस मुद्दे का समाधान करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई.

सेंथिल ने कहा कि लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) से ओवर ड्यूटी कराना 'जबरन' की जाने वाली गलती है, जिसकी वजह से इस तरह की ट्रेन दुर्घटनाएं हुई हैं. रेलवे बोर्ड और केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों, खासकर लोको पायलटों की बात नहीं सुन रहे हैं. सेंथिल ने कहा कि लंबे समय से लोको पायलट सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें कानूनी व्यवस्था के तहत आराम का समय दिया जाए. प्रत्येक लोको पायलट को लगातार दो रात्रि ड्यूटी के बाद एक दिन का विश्राम दिया जाता है, जिससे वे अपनी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को फिर से हासिल करते हैं. लेकिन इन्हें यह अनिवार्य विश्राम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है और उनसे लगातार ड्यूटी कराई जाएगी.

उन्होंने दावा किया कि जिस मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी, उसका लोको-पायलट लगातार चार दिन से ड्यूटी कर रहा था. लोकसभा सांसद ने कहा कि मजबूरी में ड्यूटी करने के कारण ड्राइवर से ऐसी गलतियां होती हैं. यह बहुत दुखद है कि नरेंद्र मोदी सरकार इस मामले पर ध्यान नहीं देख रही है और इस मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझ रही है.

लोको-पायलटों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं और संगठन दोनों ने कई मंचों पर शिफ्ट के बीच में उचित आराम नहीं करने देने का मुद्दा उठाया है. सेंथिल ने कहा कि ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) ने कई ज्ञापन सौंपे हैं. राज्यसभा सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास ने हाल ही में रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठाया है. केरल के एक अन्य मंत्री ने भी मंत्रालय को पत्र लिखा है. कई मंचों से इस मुद्दे को उठाए जाने के बावजूद रेल मंत्रालय ने इस दिशा में सुधार करने की दिलचस्पी नहीं दिखाई.

कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना से चार दिन पहले 13 जून को रेल मंत्रालय को लिखे पत्र में डॉ. ब्रिटास ने बताया था कि हाल ही में गठित एक उच्च स्तरीय समिति सहित विभिन्न समितियों ने लोकोमोटिव रनिंग स्टाफ की कार्य स्थितियों का अध्ययन किया है और सिफारिश की है कि उन्हें लगातार दो रातों से अधिक समय तक ड्यूटी के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.

दक्षिण रेलवे के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
कर्मचारियों और उनके प्रतिनिधि संघों द्वारा दक्षिण रेलवे के अधिकारियों से बार-बार अपील करने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिलने पर एआईएलआरएसए ने 1 जून से विरोध प्रदर्शन शुरू किया. विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने ट्रेन सेवाओं को बाधित किए बिना अपना साप्ताहिक अवकाश लेना शुरू कर दिया. लोको रनिंग स्टाफ द्वारा उठाई गई मांगों का समाधान करने के बजाय दक्षिण रेलवे ने एआईएलआरएसए के सदस्यों के खिलाफ निलंबन, ट्रांसफर और दंड ज्ञापन जारी करने जैसे कार्रवाई उपायों का सहारा लिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई.

सेंथिल ने कहा कि जब लोको-पायलटों ने अपने साप्ताहिक अवकाश लेना शुरू किया, तो दक्षिण रेलवे ने उन्हें निलंबित करना शुरू कर दिया. मेरी राय में यह गंभीर मामला है. मुझे लोगों को इस तरह से काम कराने के पीछे का तर्क समझ में नहीं आता है. कम से कम 18 लोकोमोटिव पायलटों को निलंबित किया गया है और 16 का तबादला किया गया है. वहीं 17 लोको पायलट का दंड कार्रवाई के नोटिस जारी किए गए हैं.

सेंथिल से जब पूछा गया कि लोको पायलटों को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को उनकी अधिकतम गति से चलाने के लिए पर्याप्त आराम और स्वास्थ्य लाभ की जरूरत क्यों है, तो उन्होंने कहा कि जब आप थके हुए होते हैं, तो आप उतनी तेजी से प्रतिक्रिया नहीं कर पाते हैं. इससे सिग्नल मिस करने की संभावना होती है. इसलिए वंदे भारत ट्रेनें गंभीर दुर्घटनाओं की चपेट में आ सकती हैं.

ट्रेनों के टकराने की घटनाओं का संबंध थकान से है...
सेंथिल ने केंद्र सरकार की ओर से कानूनी तौर पर आराम का समय नहीं देने को गलत बताया. उन्होंने कहा कि अगर लोको पायलट संघ कह रहा है और मंत्रालय भी इसे मानवीय भूल बता रहा है, तो इस मानवीय भूल के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होगी. मेरी राय में यह थकान ही है. यह गंभीर संकट है. पिछले कुछ समय में जो रेल दुर्घटनाएं हुई हैं, उनमें से कई दुर्घटनाएं ट्रेन के टकराने से हुई हैं. हम अक्सर सुनते हैं कि ट्रेन पटरी से उतर गई, लेकिन ट्रेन के टकराने का मतलब एकाग्रता की कमी है, जिसका सीधा संबंध थकान से है.

यह भी पढ़ें- 'स्टेबलाइजर और कॉल रिकॉर्डर' डिवाइस सिस्टम, क्या इसके लगने से नहीं होंगे ट्रेन हादसे?

हैदराबाद: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी में 17 जून को कंचनजंगा एक्सप्रेस के दुर्घटनाग्रस्त होने से 9 लोगों की मौत हो गई थी और 41 यात्री घायल हुए थे. इस रेल दुर्घटना ने एक बार फिर लोको पायलटों को लंबे समय तक ड्यूटी के लिए मजबूर करने के गंभीर मुद्दे को उजागर किया है. ईटीवी भारत से विशेष बातचीत में तमिलनाडु के तिरुवल्लूर से सांसद शशिकांत सेंथिल ने आरोप लगाया है कि रेल मंत्रालय को कई पत्र और ज्ञापन सौंपे जाने के बावजूद इस मुद्दे का समाधान करने में कोई दिलचस्पी नहीं दिखाई गई.

सेंथिल ने कहा कि लोको पायलट (ट्रेन ड्राइवर) से ओवर ड्यूटी कराना 'जबरन' की जाने वाली गलती है, जिसकी वजह से इस तरह की ट्रेन दुर्घटनाएं हुई हैं. रेलवे बोर्ड और केंद्र सरकार अपने कर्मचारियों, खासकर लोको पायलटों की बात नहीं सुन रहे हैं. सेंथिल ने कहा कि लंबे समय से लोको पायलट सरकार से अनुरोध कर रहे हैं कि उन्हें कानूनी व्यवस्था के तहत आराम का समय दिया जाए. प्रत्येक लोको पायलट को लगातार दो रात्रि ड्यूटी के बाद एक दिन का विश्राम दिया जाता है, जिससे वे अपनी मानसिक और शारीरिक ऊर्जा को फिर से हासिल करते हैं. लेकिन इन्हें यह अनिवार्य विश्राम करने की अनुमति नहीं दी जा रही है और उनसे लगातार ड्यूटी कराई जाएगी.

उन्होंने दावा किया कि जिस मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस को पीछे से टक्कर मारी, उसका लोको-पायलट लगातार चार दिन से ड्यूटी कर रहा था. लोकसभा सांसद ने कहा कि मजबूरी में ड्यूटी करने के कारण ड्राइवर से ऐसी गलतियां होती हैं. यह बहुत दुखद है कि नरेंद्र मोदी सरकार इस मामले पर ध्यान नहीं देख रही है और इस मुद्दे की गंभीरता को नहीं समझ रही है.

लोको-पायलटों का प्रतिनिधित्व करने वाले नेताओं और संगठन दोनों ने कई मंचों पर शिफ्ट के बीच में उचित आराम नहीं करने देने का मुद्दा उठाया है. सेंथिल ने कहा कि ऑल इंडिया लोको रनिंग स्टाफ एसोसिएशन (एआईएलआरएसए) ने कई ज्ञापन सौंपे हैं. राज्यसभा सांसद डॉ. जॉन ब्रिटास ने हाल ही में रेल मंत्रालय को पत्र लिखकर इस मुद्दे को उठाया है. केरल के एक अन्य मंत्री ने भी मंत्रालय को पत्र लिखा है. कई मंचों से इस मुद्दे को उठाए जाने के बावजूद रेल मंत्रालय ने इस दिशा में सुधार करने की दिलचस्पी नहीं दिखाई.

कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना से चार दिन पहले 13 जून को रेल मंत्रालय को लिखे पत्र में डॉ. ब्रिटास ने बताया था कि हाल ही में गठित एक उच्च स्तरीय समिति सहित विभिन्न समितियों ने लोकोमोटिव रनिंग स्टाफ की कार्य स्थितियों का अध्ययन किया है और सिफारिश की है कि उन्हें लगातार दो रातों से अधिक समय तक ड्यूटी के लिए बाध्य नहीं किया जाना चाहिए.

दक्षिण रेलवे के कर्मचारियों का विरोध प्रदर्शन
कर्मचारियों और उनके प्रतिनिधि संघों द्वारा दक्षिण रेलवे के अधिकारियों से बार-बार अपील करने के बाद भी कोई जवाब नहीं मिलने पर एआईएलआरएसए ने 1 जून से विरोध प्रदर्शन शुरू किया. विरोध प्रदर्शन के दौरान कर्मचारियों ने ट्रेन सेवाओं को बाधित किए बिना अपना साप्ताहिक अवकाश लेना शुरू कर दिया. लोको रनिंग स्टाफ द्वारा उठाई गई मांगों का समाधान करने के बजाय दक्षिण रेलवे ने एआईएलआरएसए के सदस्यों के खिलाफ निलंबन, ट्रांसफर और दंड ज्ञापन जारी करने जैसे कार्रवाई उपायों का सहारा लिया, जिससे स्थिति और बिगड़ गई.

सेंथिल ने कहा कि जब लोको-पायलटों ने अपने साप्ताहिक अवकाश लेना शुरू किया, तो दक्षिण रेलवे ने उन्हें निलंबित करना शुरू कर दिया. मेरी राय में यह गंभीर मामला है. मुझे लोगों को इस तरह से काम कराने के पीछे का तर्क समझ में नहीं आता है. कम से कम 18 लोकोमोटिव पायलटों को निलंबित किया गया है और 16 का तबादला किया गया है. वहीं 17 लोको पायलट का दंड कार्रवाई के नोटिस जारी किए गए हैं.

सेंथिल से जब पूछा गया कि लोको पायलटों को वंदे भारत एक्सप्रेस ट्रेनों को उनकी अधिकतम गति से चलाने के लिए पर्याप्त आराम और स्वास्थ्य लाभ की जरूरत क्यों है, तो उन्होंने कहा कि जब आप थके हुए होते हैं, तो आप उतनी तेजी से प्रतिक्रिया नहीं कर पाते हैं. इससे सिग्नल मिस करने की संभावना होती है. इसलिए वंदे भारत ट्रेनें गंभीर दुर्घटनाओं की चपेट में आ सकती हैं.

ट्रेनों के टकराने की घटनाओं का संबंध थकान से है...
सेंथिल ने केंद्र सरकार की ओर से कानूनी तौर पर आराम का समय नहीं देने को गलत बताया. उन्होंने कहा कि अगर लोको पायलट संघ कह रहा है और मंत्रालय भी इसे मानवीय भूल बता रहा है, तो इस मानवीय भूल के पीछे कोई न कोई वजह जरूर होगी. मेरी राय में यह थकान ही है. यह गंभीर संकट है. पिछले कुछ समय में जो रेल दुर्घटनाएं हुई हैं, उनमें से कई दुर्घटनाएं ट्रेन के टकराने से हुई हैं. हम अक्सर सुनते हैं कि ट्रेन पटरी से उतर गई, लेकिन ट्रेन के टकराने का मतलब एकाग्रता की कमी है, जिसका सीधा संबंध थकान से है.

यह भी पढ़ें- 'स्टेबलाइजर और कॉल रिकॉर्डर' डिवाइस सिस्टम, क्या इसके लगने से नहीं होंगे ट्रेन हादसे?

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.