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लोको पायलटों का मुद्दा बना चर्चा का विषय, मध्य रेलवे ने दिया जवाब, बताई हकीकत - Loco Pilots Issue

Loco Pilots issue: भारतीय रेलवे के लोको पायलट ड्यूटी के घंटे तय करने, भोजन लेने के लिए ब्रेक और ड्यूटी के दौरान शौच के लिए निश्चित अंतराल जैसी कई मांगों को लेकर सरकार पर दबाव बना रहे हैं. मध्य रेलवे के मुताबिक, रनिंग स्टाफ को यात्रा पूरी करने के बाद कम से कम 16 घंटे का आराम दिया जाना जरूरी है. लेकिन हाल ही में राहुल गांधी द्वारा लोको पायलटों से मुलाकात के बाद उनकी मांगों पर बहस शुरू हो गई है. ईटीवी भारत संवाददाता चंचल मुखर्जी की रिपोर्ट.

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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jul 9, 2024, 11:05 PM IST

Loco Pilots issue Rahul Gandhi
लोको पायलटों के साथ राहुल गांधी (ANI)

नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की रेलवे लोको पायलटों से मुलाकात के बाद से यह मुद्दा चर्चा में है. पिछले कई सालों से लोको पायलट काम करने की परिस्थितियों को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. राहुल गांधी के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाकर ट्रेन ड्राइवरों से मुलाकात के बाद अब रेलवे इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए आगे आया है.

राहुल गांधी के साथ बातचीत में लोको पायलटों ने बताया कि उन्हें पर्याप्त आराम, कोई निश्चित ड्यूटी टाइमिंग, भोजन अवकाश और इंजन के अंदर मूत्रालय जैसीबुनियादी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं. लोको पायलट और सहायक लोको पायलट ड्यूटी के घंटे तय करने और ड्यूटी के दौरान भोजन करने और शौच के लिए निश्चित अंतराल की मांग कर रहे हैं.

इन घटनाक्रमों पर भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार पांधी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि रेलवे को हमारे केवल चार सवालों का जवाब देना चाहिए, पहला- क्या दैनिक ड्यूटी की कोई ऊपरी सीमा है, दूसरा- क्या ड्यूटी के दौरान भोजन के लिए ब्रेक का कोई प्रावधान है, तीसरा- क्या साप्ताहिक या मासिक रात्रि ड्यूटी सीमा के लिए कोई उचित नियम है और चौथा- क्या साप्ताहिक विश्राम अनिवार्य है या नहीं? पांधी ने कहा कि अगर ये वास्तविक सवाल नहीं हैं तो रेलवे को सामने आकर इन मुद्दों पर जवाब देना चाहिए.

इसी तरह की बातों को दोहराते हुए लोको इंस्पेक्टर पीके शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा कि ये वास्तविक मुद्दे हैं जिनका कर्मचारियों को सामना करना पड़ रहा है.

रनिंग स्टाफ की स्थिति पर नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए भारतीय रेलवे ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को मेहनती और कुशल कामकाज सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान करने में सबसे आगे रहा है. पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने वीडियो संदेश में कहा कि भारतीय रेलवे अपने रनिंग स्टाफ जैसे लोको पायलट व अन्य का विशेष ध्यान रखता है. पश्चिम रेलवे ने विभिन्न स्थानों पर आधुनिक और पूरी तरह से सुसज्जित रनिंग रूम बनाए हैं, जिनमें स्टाफ को उचित आराम और विश्राम के लिए कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं. पश्चिम रेलवे अपने रनिंग स्टाफ के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.

मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारियों ने कहा कि रनिंग स्टाफ में शामिल लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर इस कार्यबल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो ट्रेनों के संचालन में शामिल हैं. रनिंग स्टाफ का काम दिन-रात ट्रेनों को चलाना है. ट्रेनों के सुरक्षित और सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि रनिंग स्टाफ को नॉन-वर्किंग ऑवर्स के दौरान आराम करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाएं.

मध्य रेलवे ने कहा कि मुख्यालयों में यात्रा पूरी करने के बाद रनिंग स्टाफ को कम से कम 16 घंटे का आराम दिया जाता है, चाहे यात्रा का समय कुछ भी हो. हर महीने कम से कम चार बार अलग से आराम दिया जाता है, जो लगातार तीस घंटे से कम नहीं होता है, जिसमें बिस्तर पर पूरी रात बिताना भी शामिल है. या कम से कम पांच बार आराम दिया जाता है, जो लगातार 22 घंटे से कम नहीं होना चाहिए. लगातार 30 घंटे के 4 बार के आराम को प्राथमिकता दी जाती है.

नाम न उगाजर करने की शर्त पर एक लोको पायलट ने ईटीवी भारत को बताया कि वे लंबे समय से ड्यूटी के घंटों का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. ड्राइवरों को अतिरिक्त घंटे काम करना पड़ता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.

लोको पायलट भारत द्वारा अनुमोदित अतंरराष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं, ताकि लोको रनिंग स्टाफ के लिए निश्चित कार्य घंटे प्रदान किए जा सकें. लोको पायलटों की मांगों पर श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस साल अप्रैल में एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया था, ताकि भोजन करने और शौच के लिए एक निश्चित समय अंतराल प्रदान करने का समाधान निकाला जा सके. हालांकि, ड्यूटी के घंटे तय करना अभी भी अनदेखा मुद्दा बना हुआ है.

मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, अतंरराष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन सी-001 के अनुच्छेद-8 को लागू करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने और निर्णय लेने, सभी हितधारकों रेलवे प्रशासन और आईआरएलआरओ के विचारों और टिप्पणियों को रिकॉर्ड करने के लिए 13 सदस्यों वाली एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई है.

यह भी पढें- रेहड़ी पटरी वालों के बाद अब रेलवे के लोको पायलटों से मिले राहुल गांधी, सरकार पर साधा निशाना

नई दिल्ली: लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी की रेलवे लोको पायलटों से मुलाकात के बाद से यह मुद्दा चर्चा में है. पिछले कई सालों से लोको पायलट काम करने की परिस्थितियों को लेकर सवाल उठाते रहे हैं. राहुल गांधी के नई दिल्ली रेलवे स्टेशन पर जाकर ट्रेन ड्राइवरों से मुलाकात के बाद अब रेलवे इस मुद्दे पर जवाब देने के लिए आगे आया है.

राहुल गांधी के साथ बातचीत में लोको पायलटों ने बताया कि उन्हें पर्याप्त आराम, कोई निश्चित ड्यूटी टाइमिंग, भोजन अवकाश और इंजन के अंदर मूत्रालय जैसीबुनियादी सुविधाएं नहीं दी जाती हैं. लोको पायलट और सहायक लोको पायलट ड्यूटी के घंटे तय करने और ड्यूटी के दौरान भोजन करने और शौच के लिए निश्चित अंतराल की मांग कर रहे हैं.

इन घटनाक्रमों पर भारतीय रेलवे लोको रनिंगमैन संगठन के कार्यकारी अध्यक्ष संजय कुमार पांधी ने ईटीवी भारत से बात करते हुए कहा कि रेलवे को हमारे केवल चार सवालों का जवाब देना चाहिए, पहला- क्या दैनिक ड्यूटी की कोई ऊपरी सीमा है, दूसरा- क्या ड्यूटी के दौरान भोजन के लिए ब्रेक का कोई प्रावधान है, तीसरा- क्या साप्ताहिक या मासिक रात्रि ड्यूटी सीमा के लिए कोई उचित नियम है और चौथा- क्या साप्ताहिक विश्राम अनिवार्य है या नहीं? पांधी ने कहा कि अगर ये वास्तविक सवाल नहीं हैं तो रेलवे को सामने आकर इन मुद्दों पर जवाब देना चाहिए.

इसी तरह की बातों को दोहराते हुए लोको इंस्पेक्टर पीके शर्मा ने ईटीवी भारत से कहा कि ये वास्तविक मुद्दे हैं जिनका कर्मचारियों को सामना करना पड़ रहा है.

रनिंग स्टाफ की स्थिति पर नेताओं के आरोपों का जवाब देते हुए भारतीय रेलवे ने कहा कि वह अपने कर्मचारियों को मेहनती और कुशल कामकाज सुनिश्चित करने के लिए सर्वोत्तम सुविधाएं प्रदान करने में सबसे आगे रहा है. पश्चिम रेलवे के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी विनीत अभिषेक ने वीडियो संदेश में कहा कि भारतीय रेलवे अपने रनिंग स्टाफ जैसे लोको पायलट व अन्य का विशेष ध्यान रखता है. पश्चिम रेलवे ने विभिन्न स्थानों पर आधुनिक और पूरी तरह से सुसज्जित रनिंग रूम बनाए हैं, जिनमें स्टाफ को उचित आराम और विश्राम के लिए कई सुविधाएं प्रदान की गई हैं. पश्चिम रेलवे अपने रनिंग स्टाफ के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है.

मध्य रेलवे के जनसंपर्क अधिकारियों ने कहा कि रनिंग स्टाफ में शामिल लोको पायलट और ट्रेन मैनेजर इस कार्यबल का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा हैं, जो ट्रेनों के संचालन में शामिल हैं. रनिंग स्टाफ का काम दिन-रात ट्रेनों को चलाना है. ट्रेनों के सुरक्षित और सुचारू संचालन को सुनिश्चित करने के लिए यह जरूरी है कि रनिंग स्टाफ को नॉन-वर्किंग ऑवर्स के दौरान आराम करने के लिए पर्याप्त सुविधाएं प्रदान की जाएं.

मध्य रेलवे ने कहा कि मुख्यालयों में यात्रा पूरी करने के बाद रनिंग स्टाफ को कम से कम 16 घंटे का आराम दिया जाता है, चाहे यात्रा का समय कुछ भी हो. हर महीने कम से कम चार बार अलग से आराम दिया जाता है, जो लगातार तीस घंटे से कम नहीं होता है, जिसमें बिस्तर पर पूरी रात बिताना भी शामिल है. या कम से कम पांच बार आराम दिया जाता है, जो लगातार 22 घंटे से कम नहीं होना चाहिए. लगातार 30 घंटे के 4 बार के आराम को प्राथमिकता दी जाती है.

नाम न उगाजर करने की शर्त पर एक लोको पायलट ने ईटीवी भारत को बताया कि वे लंबे समय से ड्यूटी के घंटों का मुद्दा उठा रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई समाधान नहीं निकला है. ड्राइवरों को अतिरिक्त घंटे काम करना पड़ता है, जो उनके स्वास्थ्य के लिए अच्छा नहीं है.

लोको पायलट भारत द्वारा अनुमोदित अतंरराष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन को लागू करने की भी मांग कर रहे हैं, ताकि लोको रनिंग स्टाफ के लिए निश्चित कार्य घंटे प्रदान किए जा सकें. लोको पायलटों की मांगों पर श्रम और रोजगार मंत्रालय ने इस साल अप्रैल में एक उच्चाधिकार समिति का गठन किया था, ताकि भोजन करने और शौच के लिए एक निश्चित समय अंतराल प्रदान करने का समाधान निकाला जा सके. हालांकि, ड्यूटी के घंटे तय करना अभी भी अनदेखा मुद्दा बना हुआ है.

मुख्य श्रम आयुक्त कार्यालय द्वारा जारी बयान के अनुसार, अतंरराष्ट्रीय श्रम संगठन-कन्वेंशन सी-001 के अनुच्छेद-8 को लागू करने के तौर-तरीकों पर चर्चा करने और निर्णय लेने, सभी हितधारकों रेलवे प्रशासन और आईआरएलआरओ के विचारों और टिप्पणियों को रिकॉर्ड करने के लिए 13 सदस्यों वाली एक उच्चाधिकार समिति गठित की गई है.

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