कोल्हापुर : महाराष्ट्र के कोल्हापुर के लक्ष्मीपुरी पुलिस स्टेशन में एक से ही चेहरे, कद-काठी वाले दो पुलिसकर्मियों के होने से कई बार अधिकारी पर भ्रमित हो जाते हैं. जुड़वां से दिखने वाले इन दोनों पुलिसकर्मियों से लोग भी दुविधा में पड़ जाते हैं. कोल्हापुर पुलिस फोर्स में पुलिस कॉन्स्टेबल सुहास पाटिल और पंढरीनाथ सामंत इन दिनों चर्चा में हैं. इन दोनों के एक जैसे दिखने, बात करने और एक ही थाने में काम करने की चर्चा फिलहाल कोल्हापुर शहर में है.
सुहास सरजेराव पाटिल (बक्कल नंबर 717) और पंढरीनाथ ईशराम सामंत (बक्कल नंबर 256) दोनों ठाणे प्रभारी हैं. चूंकि दोनों एक जैसे दिखते हैं, इसलिए पुलिस स्टेशन आने वाले कई लोग भ्रमित हो जाते हैं. दोनों के चेहरे मिलने की वजह से लोग धोखा खा जाते हैं. वहीं लोगों के पूछने पर उनको बताना पड़ता है कि वह मैं नहीं हूं. इतना ही नहीं थाने में तैनात अन्य पुलिसकर्मी भी उनके सीने पर लगी नेमप्लेट देखकर उन्हें पहचान पाते हैं.
इस संबंध में कोल्हापुर के सामाजिक कार्यकर्ता संदीप गुरव ने बताया कि सामाजिक कार्य करते हुए मेरा कई बार लक्ष्मीपुरी पुलिस स्टेशन आना हुआ. पिछले दो सालों में सुहास पाटिल और पंढरीनाथ सामंत के रिश्ते इतने एक जैसे हो गए हैं कि कई बार पता ही नहीं चलता कि काम किसने दिया है. संयोगवश ऐसा ही हुआ है. उन्होंने कहा कि पिछले दो वर्षों में कई बार ऐसा हुआ कि अगर मैं एक दिन सुहास पाटिल से मिलता, तो पंढरीनाथ सामंत अगले दिन सामने आते और उनसे काम के बारे में पूछता. बता दें कि संदीप पिछले 22 वर्षों से कोल्हापुर पुलिस बल में काम कर रहा हूं. कोल्हापुर शहर के लक्ष्मीपुरी पुलिस स्टेशन में मेरी सेवा अवधि के दो साल पूरे हो गए हैं.
इसी क्रम में लक्ष्मीपुरी पुलिस स्टेशन के सुहास पाटिल ने कहा कि मेरे सहकर्मी पंढरीनाथ सामंत और मैं अक्सर कई लोगों को बेवकूफ बनाते थे क्योंकि हम एक जैसे दिखते थे. उसने कहा कि मेरे और पंढरीनाथ ईशराम सामंत में काफी समानताएं हैं. हमारे परिवार के सदस्य पुलिस स्टेशन में दोस्तों से मिलने आते हैं, तो कई लोग उसे नाम से बुलाते हैं जैसे कि वह उनका दोस्त हो. किसी अजनबी को देखने के बाद ये भी हमें कुछ ऐसा ही लगता है. लेकिन इसमें कोई दिक्कत नहीं है. उसने कहा कि अक्सर वरिष्ठ अधिकारी भी हमारी शक्ल देखकर भ्रमित हो जाते हैं. वहीं पंढरीनाथ सामंत ने कहा कि आम नागरिक जो शिकायत लेकर पुलिस स्टेशन आते हैं, उनमें से एक से मिलते हैं. अगले दिन दूसरे से पूछा जाता है कि कल के काम का क्या हुआ? इससे इन दोनों के साथ-साथ शहरवासी भी भ्रमित हो जाते हैं.
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