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'बनारस में ही बिजनेस करना है, अपनों के बीच रहना है', कुवैत हादसे के शिकार इंजीनियर प्रवीण ने 2 महीने पहले परिवार से कही थी ये बातें - Kuwait fire accident

कुवैत में हुए हादसे ने कई परिवारों की खुशियां छीन लीं. इनमें से 3 लोग यूपी के हैं. शनिवार को काशी के इंजीनियर प्रवीण सिंह का शव घर पहुंचा तो परिवार के लोगों में चीख-पुकार मच गई.

दो महीने पहले ही घर आए थे इंजीनियर प्रवीण.
दो महीने पहले ही घर आए थे इंजीनियर प्रवीण. (PHOTO Credit; Etv Bharat)
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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Jun 15, 2024, 12:50 PM IST

इंजीनियर प्रवीण का शव पहुंचा घर. (VIDEO Credit; Etv Bharat)

वाराणसी : कुवैत की मंगाफ शहर में रिहायशी बिल्डिंग में आग लगने से 45 भारतीयों की मौत हो गई. इनमें से 2 गोरखपुर के जबकि एक काशी के थे. घटना के तीन दिन बाद शनिवार की सुबह इंजीनियर प्रवीण सिंह का शव वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचा. यहां से एंबुलेंस के जरिए शव को शिवपुर स्थित आवास पर ले जाया गया. बेटे की लाश देख पिता होश खो बैठे. पत्नी, भाई और बच्चों का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया. तमाम रिश्तेदारों ने अंतिम दर्शन किए. इसके बाद मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्रवीण सिंह ने अगस्त में परिवार से हमेशा के लिए देश लौटने का वादा किया था. वह यहीं पर बनारस में ही बिजनेस करना चाहते थे. अपनों के बीच रहना चाहते थे, लेकिन हालात को कुछ और ही मंजूर था.

प्रवीण माधव सिंह (36) मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले थे, लेकिन उनकी पत्नी, भाई और बच्चे काशी के शिवपुर स्थित गायत्री धाम में बने मकान में रहते हैं. उनकी दो बेटियां हैं. एक बेटी 10 साल की है जबकि दूसरी 10 माह की है. भाई विकास ने बताया कि साल 2012 में प्रवीण की शादी रूप सिंह से हुई थी. 2 महीने पहले ही प्रवीण घर आए थे. उन्होंने बनारस में बिजनेस करने की प्लानिंग की थी. वह कुवैत छोड़कर बनारस शिफ्ट होने की बात कर रहे थे और अगस्त में फिर से आने का वादा किया था.

शव घर पहुंचते ही परिवार के लोगों में कोहराम मच गया.
शव घर पहुंचते ही परिवार के लोगों में कोहराम मच गया. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

उनकी मौत के बाद से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. प्रवीण के पिता जयप्रकाश बताते हैं कि प्रवीण 10 साल से कुवैत में नौकरी कर रहे थे. वह वहां सेल्स कोऑर्डिनेटर के पद पर तैनात थे. बुधवार की सुबह करीब 4 बजे रिहायशी बिल्डिंग में सो रहे थे. इस दौरान बिल्डिंग में आग लग गई. इसमें उनकी मौत हो गई. गुरुवार की सुबह 10 बजे हमें कुवैत में रहने वाले रिश्तेदारों ने घटना की सूचना दी. आज सुबह साढ़े सात बजे प्रवीण का शव आवास पर पहुंचा.

वाराणसी के प्रशासनिक अधिकारियों ने घर पहुंचकर सांत्वना दी. प्रवीण के मामा हेमंत कहते है कि, सीएम योगी और प्रधानमंत्री मोदी इस परिवार के बारे में सोचें. उनकी बच्चों और पत्नी के लिए कुछ करें. कुवैत में हुई घटना लापरवाही का नतीजा है. आखिर सभी को ऐसी जगह क्यों रखा गया जहां पर सिर्फ एक एंट्री गेट है. जब वहां मेस बंद था तो वहां पर गैस सिलेंडर कैसे मिला. इसके साथ ही ऊपर छत पर जाने का रास्ता भी बंद किया गया था. अगर वह खुला होता तो शायद लोग छत पर पहुंचकर अपनी जान बचाते. इस मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

एयरपोर्ट से शव को एंबुलेंस से घर ले जाया गया.
एयरपोर्ट से शव को एंबुलेंस से घर ले जाया गया. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

गौरतलब हो कि बुधवार को कुवैत के मंगाफ शहर में 6 मंजिला इमारत में आग लग गई थी. इसमें 49 लोगों की मौत हो गई थी. 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. भारत के विदेश मंत्रालय की माने तो मरने वालों में 45 भारतीय हैं. इनमें से तीन लोग उत्तर प्रदेश के और सबसे ज्यादा 23 लोग केरल के हैं. वर्तमान में सभी भारतीयों का शव विशेष विमान के जरिए भारत पहुंच चुका है.

यह भी पढ़ें : राम मंदिर में रखी जाएगी 1600 किलो की गदा और 1100 किलो का धनुष, जानिए क्या है खासियत

इंजीनियर प्रवीण का शव पहुंचा घर. (VIDEO Credit; Etv Bharat)

वाराणसी : कुवैत की मंगाफ शहर में रिहायशी बिल्डिंग में आग लगने से 45 भारतीयों की मौत हो गई. इनमें से 2 गोरखपुर के जबकि एक काशी के थे. घटना के तीन दिन बाद शनिवार की सुबह इंजीनियर प्रवीण सिंह का शव वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचा. यहां से एंबुलेंस के जरिए शव को शिवपुर स्थित आवास पर ले जाया गया. बेटे की लाश देख पिता होश खो बैठे. पत्नी, भाई और बच्चों का भी रो-रोकर बुरा हाल हो गया. तमाम रिश्तेदारों ने अंतिम दर्शन किए. इसके बाद मणिकर्णिका घाट पर अंतिम संस्कार किया गया. प्रवीण सिंह ने अगस्त में परिवार से हमेशा के लिए देश लौटने का वादा किया था. वह यहीं पर बनारस में ही बिजनेस करना चाहते थे. अपनों के बीच रहना चाहते थे, लेकिन हालात को कुछ और ही मंजूर था.

प्रवीण माधव सिंह (36) मूल रूप से गाजीपुर के रहने वाले थे, लेकिन उनकी पत्नी, भाई और बच्चे काशी के शिवपुर स्थित गायत्री धाम में बने मकान में रहते हैं. उनकी दो बेटियां हैं. एक बेटी 10 साल की है जबकि दूसरी 10 माह की है. भाई विकास ने बताया कि साल 2012 में प्रवीण की शादी रूप सिंह से हुई थी. 2 महीने पहले ही प्रवीण घर आए थे. उन्होंने बनारस में बिजनेस करने की प्लानिंग की थी. वह कुवैत छोड़कर बनारस शिफ्ट होने की बात कर रहे थे और अगस्त में फिर से आने का वादा किया था.

शव घर पहुंचते ही परिवार के लोगों में कोहराम मच गया.
शव घर पहुंचते ही परिवार के लोगों में कोहराम मच गया. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

उनकी मौत के बाद से परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है. प्रवीण के पिता जयप्रकाश बताते हैं कि प्रवीण 10 साल से कुवैत में नौकरी कर रहे थे. वह वहां सेल्स कोऑर्डिनेटर के पद पर तैनात थे. बुधवार की सुबह करीब 4 बजे रिहायशी बिल्डिंग में सो रहे थे. इस दौरान बिल्डिंग में आग लग गई. इसमें उनकी मौत हो गई. गुरुवार की सुबह 10 बजे हमें कुवैत में रहने वाले रिश्तेदारों ने घटना की सूचना दी. आज सुबह साढ़े सात बजे प्रवीण का शव आवास पर पहुंचा.

वाराणसी के प्रशासनिक अधिकारियों ने घर पहुंचकर सांत्वना दी. प्रवीण के मामा हेमंत कहते है कि, सीएम योगी और प्रधानमंत्री मोदी इस परिवार के बारे में सोचें. उनकी बच्चों और पत्नी के लिए कुछ करें. कुवैत में हुई घटना लापरवाही का नतीजा है. आखिर सभी को ऐसी जगह क्यों रखा गया जहां पर सिर्फ एक एंट्री गेट है. जब वहां मेस बंद था तो वहां पर गैस सिलेंडर कैसे मिला. इसके साथ ही ऊपर छत पर जाने का रास्ता भी बंद किया गया था. अगर वह खुला होता तो शायद लोग छत पर पहुंचकर अपनी जान बचाते. इस मामले की जांच होनी चाहिए और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जानी चाहिए.

एयरपोर्ट से शव को एंबुलेंस से घर ले जाया गया.
एयरपोर्ट से शव को एंबुलेंस से घर ले जाया गया. (PHOTO Credit; Etv Bharat)

गौरतलब हो कि बुधवार को कुवैत के मंगाफ शहर में 6 मंजिला इमारत में आग लग गई थी. इसमें 49 लोगों की मौत हो गई थी. 50 से ज्यादा लोग घायल हुए थे. भारत के विदेश मंत्रालय की माने तो मरने वालों में 45 भारतीय हैं. इनमें से तीन लोग उत्तर प्रदेश के और सबसे ज्यादा 23 लोग केरल के हैं. वर्तमान में सभी भारतीयों का शव विशेष विमान के जरिए भारत पहुंच चुका है.

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