देहरादून: उत्तराखंड के हर जनपद में कोई ना कोई ऐसा स्थान है जहां पर पर्यटक जाकर उसका दीदार करना चाहते हैं. इस स्थानों पर साहसिक , धार्मिक पर्यटन से जुड़ी गतिविधियां होती है. राज्य स्थापना के बाद उत्तराखंड ने पर्यटन प्रदेश के रूप में अपनी छवि बनाई है. अब गढ़वाल के बाद कुमाऊं मंडल भी टूरिस्ट का बह बन रहा है. यहां के कई स्थान ऐसे हैं जहां पर्यटकों की भारी भीड़ उमड़ती है.
कुमाऊं बन रहा है पर्यटन हब: गढ़वाल में चारधाम की वजह से अत्यधिक पर्यटक यहां पर पहुंचते हैं. धार्मिक पर्यटन के लिहाज से गढ़वाल पहले से ही बेहद समृद्ध रहा है. ऋषिकेश और हरिद्वार भी गढ़वाल में धार्मिक और साहसिक पर्यटक के लिए सबसे पहली पसंद हैं. यही कारण है कि उत्तराखंड आने वाला हर पर्यटक गंगा में स्नान, ऋषिकेश में राफ्टिंग और चार धाम यात्रा करना चाहता है, मगर बीते कुछ समय में पर्यटकों ने कुमाऊं की तरफ भी रुख किया है. नैनीताल की सर्द वादियों का आनंद उठाने पर्यटक बड़ी संख्या में यहां पहुंचते हैं. कुमाऊं में नैनीताल के साथ ही कई बड़े टूरिस्ट प्लेस नाम बना रहे हैं.
कौसानी की वादियों का कौतूहल पर्यटकों को भाया: कुमाऊं मंडल का कौसानी भी बेस्ट टूरिस्ट प्लेस में शामिल है. कौसानी को राज्य सरकार ने बीते दिनों नगर पंचायत का दर्जा भी दिया है. बागेश्वर जिले के अंतर्गत आने वाली कौसनी से हिमालय की ऊंची ऊंची चोटियों दिखाई देती हैं. पहले के मुकाबले अब यहां वाले पर्यटकों की संख्या बढ़ी है. यहां पर बना रहे होमस्टे, यहां की शांति लोगों को अपनी तरफ खींच रही है. शायद यही कारण है कि साल 2024 में 25 जुलाई तक कौसानी में पहुंचने वालों की संख्या 65000 से भी अधिक रही.
रानीखेत में भी उमड़ने लगी टूरिस्ट की भीड़: रानीखेत वैसे तो उत्तराखंड के मानचित्र में जाना पहचाना टूरिस्ट प्लेस है, मगर लेकिन बीते 2 सालों में रानीखेत में आने वाले पर्यटकों की संख्या भी अचानक से बढ़ी है. प्राकृतिक सुंदरता, हरियाली देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुंचते हैं. यहां पैराग्लाइडिंग का आनंद लिया जाता है. इसके साथ ही रानीखेत में कुमाऊं रेजिमेंट का मुख्यालय भी है.
आदि कैलाश पर्वत के प्रति बढ़ी लोगों की रुचि: कुमाऊं में आदि कैलाश स्थित है. बीते साल पीएम मोदी के दौरे के बाद आदि कैलाश को लेकर लोगों की उत्सुकता बढ़ी है. जिसके कारण यहां बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं. आदि कैलाश की बर्फीली वादियां, पंचाचुली पर्वत का बेस कैंप हर किसी को मनमोहित करता है. पीएम के दौरे के बाद राज्य सरकार भी इस इलाके को विकसित कर रही है. यह स्थान अल्मोड़ा जिले से लगभग 260 किलोमीटर ऊपर है. इस स्थान को लोग ग्रंथों से भी जोड़कर देखते हैं. कहा जाता है कि इसी मार्ग से पांडव स्वर्ग की ओर गए थे. बीते 2 सालों में यहां अच्छी खासी पर्यटकों की संख्या रही है.
कैंची धाम ने भी बढ़ाई कुमाऊं की रौनक: कुमाऊं का कैंची धाम भी विश्व प्रसिद्ध है. कैंची धाम बीते कुछ सालों में ऐसा धार्मिक स्थल बना है जहां पर रोजाना हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं. यह श्रद्धालु कैंची धाम के दर्शन के बाद कुमाऊं के अन्य पर्यटन स्थलों पर पहुंचते हैं. कैंची धाम को लेकर नैनीताल एसएसपी प्रहलाद मीणा कहते हैं रोजाना सीजन के समय में हमने 20 से 25000 श्रद्धालुओं को यहां पर दर्शन करवाए जा रहे हैं. यह संख्या आज भी लगभग ऐसी ही बनी हुई है. कैंची धाम में अत्यधिक भीड़ आने की वजह से अब नैनीताल में भी हर साल पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है.
पर्यटन को लेकर क्या बोले कुमाऊं कमिश्नर: कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत कहते हैं राज्य सरकार गढ़वाल और कुमाऊं दोनों रीजन के पर्यटन और धार्मिक स्थलों पर ध्यान दे रही है. उन्होंने कहा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी कह चुके हैं कि आने वाला दशक उत्तराखंड का होगा, पीएम मोदी के कुमाऊं आने के बाद यहां पर्यटकों की संख्या में इजाफा हुआ है. यह इजाफा इसलिए भी है क्योंकि राज्य और केंद्र सरकार ने धार्मिक स्थलों और कुमाऊं के दूर दराज के क्षेत्र में पहुंचने के लिए सड़कों का जाल बिछाया है. अब यहां घूमने आने वाला पर्यटक कम समय में ज्यादा दूरी तय करके कहीं तक भी पहुंच सकता है.
उन्होंने बताया हम कुमाऊं में मानसखंड मंदिर माला मिशन में कुमाऊं और गढ़वाल के मंदिरों को भी जोड़ रहे हैं. कुमाऊं में कैंची धाम, जागेश्वर धाम दोनों ही जगह पर श्रद्धालुओं की संख्या हर साल बढ़ रही है. यहां आने वाले श्रद्धालु नैनीताल भी जाते हैं. रामनगर के कॉर्बेट नेशनल पार्क भी बड़ी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं. इसके साथ ही बीते कुछ सालों में पर्यटकों के लिए व्यवस्थाएं भी जुटाई गई है. होमस्टे, सड़कें, खाने पीने की व्यवस्था, कनैक्टिविटि सभी को दुरुस्त किया गया है. जिसके कारण साल दर साल यहां पर्यटकों की संख्या बढ़ रही है.