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विद्रोह पर भाजपा का सीधा प्रहार, वरुण को साफ इनकार तो संघमित्रा से तकरार - lok sabha elections - LOK SABHA ELECTIONS

भारतीय जनता पार्टी ने पीलीभीत से सांसद वरुण गांधी और बदायूं से सांसद संघमित्रा को इस बार माननीय बनाने से पीछे हट गई है. हालांकि इन दोनों को लेकर पहले से ही कयास लगाए जा रहे थे. आइए जानते हैं कि आखिर क्यों टिकट कटा?

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By ETV Bharat Uttar Pradesh Team

Published : Mar 24, 2024, 10:59 PM IST

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने यूपी में टिकट की दूसरी सूची में विद्रोह के खिलाफ जरा से भी तरस नहीं दिखाया. बीजेपी ने लगातार भाजपा के विरोध में अभियान चलाने वाले वरुण गांधी का टिकट काट दिया. जबकि वरुण गांधी के समर्थन में कभी भी ना आने वाली उनकी मां मेनका गांधी को टिकट देकर विद्रोहियों को यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि वरिष्ठों ने अगर गरिमा का ख्याल रखा तो उनकी परवाह पार्टी भी करेगी. वरना हर हाल में खामियाजा भुगतना होगा. वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्या के सनातन विरोधी बयानों का खामियाजा बेटी संघमित्रा को झेलना पड़ा है.

वरुण गांधी पीलीभीत के सांसद रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लगातार बयान बाजी करते थे. पिछले लगभग 3 साल से तो उनके बयानबाजी भाजपा के तीखे विरोध की होती रही है. इतना तीखा विरोध तो कई बार विपक्षी भी नहीं करते थे, जितना वरुण गांधी किया करते थे. किसान आंदोलन के नाम पर देश में बेरोजगारी के नाम पर बढ़ते अपराध और कुछ अन्य मुद्दे पर लगातार वरुण गांधी ने बीजेपी की खिलाफत की थी. चुनाव से ठीक पहले उनके सुर बदले थे और वह सकारात्मक बोलने लगे थे. लेकिन पार्टी की चुनाव संचालन समिति पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उनका टिकट काट दिया गया.

दूसरी ओर संघमित्रा मौर्य अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य की सनातन विरोधी मानसिकता का शिकार हो गई. स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्होंने सनातन विरोधी अनेक बयान दिए. जिससे न केवल उनकी हर ओर आलोचना हुई बल्कि उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य की राजनीति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा. नतीजा यह हुआ कि भारतीय जनता पार्टी संगठन के लिए लगातार काम करने और कभी भी पिता के समर्थन में बयान ना देने के बावजूद संघमित्रा मौर्य का टिकट कट गया.

इसे भी पढ़ें-भाजपा ने की 13 उम्मीदवारों की घोषणा, वरुण सहित 9 वर्तमान सांसदों का कटा टिकट, मेनका गांधी पर फिर भरोसा

लखनऊ : भारतीय जनता पार्टी ने यूपी में टिकट की दूसरी सूची में विद्रोह के खिलाफ जरा से भी तरस नहीं दिखाया. बीजेपी ने लगातार भाजपा के विरोध में अभियान चलाने वाले वरुण गांधी का टिकट काट दिया. जबकि वरुण गांधी के समर्थन में कभी भी ना आने वाली उनकी मां मेनका गांधी को टिकट देकर विद्रोहियों को यह स्पष्ट संदेश दे दिया कि वरिष्ठों ने अगर गरिमा का ख्याल रखा तो उनकी परवाह पार्टी भी करेगी. वरना हर हाल में खामियाजा भुगतना होगा. वहीं, स्वामी प्रसाद मौर्या के सनातन विरोधी बयानों का खामियाजा बेटी संघमित्रा को झेलना पड़ा है.

वरुण गांधी पीलीभीत के सांसद रहते हुए भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ लगातार बयान बाजी करते थे. पिछले लगभग 3 साल से तो उनके बयानबाजी भाजपा के तीखे विरोध की होती रही है. इतना तीखा विरोध तो कई बार विपक्षी भी नहीं करते थे, जितना वरुण गांधी किया करते थे. किसान आंदोलन के नाम पर देश में बेरोजगारी के नाम पर बढ़ते अपराध और कुछ अन्य मुद्दे पर लगातार वरुण गांधी ने बीजेपी की खिलाफत की थी. चुनाव से ठीक पहले उनके सुर बदले थे और वह सकारात्मक बोलने लगे थे. लेकिन पार्टी की चुनाव संचालन समिति पर इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ा और उनका टिकट काट दिया गया.

दूसरी ओर संघमित्रा मौर्य अपने पिता स्वामी प्रसाद मौर्य की सनातन विरोधी मानसिकता का शिकार हो गई. स्वामी प्रसाद मौर्य 2022 के विधानसभा चुनाव से पहले समाजवादी पार्टी में शामिल हो गए थे. इसके बाद उन्होंने सनातन विरोधी अनेक बयान दिए. जिससे न केवल उनकी हर ओर आलोचना हुई बल्कि उनकी बेटी संघमित्रा मौर्य की राजनीति पर भी नकारात्मक प्रभाव पड़ा. नतीजा यह हुआ कि भारतीय जनता पार्टी संगठन के लिए लगातार काम करने और कभी भी पिता के समर्थन में बयान ना देने के बावजूद संघमित्रा मौर्य का टिकट कट गया.

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