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केंद्र पर 1.36 लाख करोड़ बकाए का सच, गलत सवाल पर उलझ गयी झारखंड की राजनीति! जानिए आखिर क्या है पूरा मामला - QUESTION ANSWER IN PARLIAMENT

झारखंड की राजनीति बकाये पैसों को लेकर गरमाई हुई है. जिस सवाल-जवाब को लेकर माहौल गर्म है, उसे ठीक से समझने की जरुरूत है.

QUESTION ANSWER IN PARLIAMENT
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 17, 2024, 7:03 PM IST

रांचीः केंद्र सरकार की कोयला कंपनियों पर झारखंड सरकार का कोई बकाया लंबित नहीं है. लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने सांसद पप्पू यादव के सवाल के जवाब में यह बात कही है. इस जवाब पर झारखंड में राजनीतिक जंग छिड़ गई है. प्रदेश कांग्रेस ने केंद्र सरकार को चेतावनी दी है तो भाजपा ने हेमंत सरकार पर राजनीति करने का आरोप लगाया है.

अब सवाल है कि क्या वाकई केंद्र सरकार का जवाब उसी बकाए को लेकर आया है, जिसको सीएम हेमंत सोरेन उठाते आ रहे हैं. इसको समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने लोकसभा में पूछे गये सवाल और सरकार के जवाब की कॉपी अरेंज की है. इसमें कोयले से राजस्व के रुप में अर्जित कर (टैक्स) में राज्य सरकार के बकाए हिस्सेदारी का जिक्र है. जबकि झारखंड के राजनीतिक दल इसके अलग मायने निकाल रहे हैं.

QUESTION ANSWER IN PARLIAMENT
पप्पू यादव के सवाल के आलोक में वित्त मंत्रालय का जवाब (ईटीवी भारत)



लोकसभा में पप्पू यादव का लिखित सवाल

निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने 16 दिसंबर को लोकसभा में झारखंड हित में सवाल उठाया था. उन्होंने पूछा था कि 'क्या कोयले से राजस्व के रुप में अर्जित कर (टैक्स) में झारखंड राज्य सरकार की हिस्सेदारी 1.40 लाख करोड़ वर्षों से सरकार के पास लंबित है और उसे झारखंड को अंतरित नहीं किया जा जा रहा है'. क्या राज्य, धन की कमी के कारण विकास योजनाओं को गति देने में असमर्थ है.

लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री का लिखित जवाब

केंद्र सरकार ने लिखित जवाब में कहा है कि कोयले से प्राप्त 1.40 लाख करोड़ रु के राजस्व के रुप में अर्जित कर (टैक्स) में झारखंड सरकार का कोई हिस्सा वर्षों से सरकार के पास लंबित नहीं है. वहीं केंद्र सरकार अलग-अलग शीर्ष के जरिए राज्यों को निधियां उपलब्ध कराती है.

नहीं उठने देंगे एक ढेला भी कोयला - झामुमो

बकाए पर केंद्र सरकार के जवाब के बाद झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस कांफ्रेस कर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बड़ी चतुराई से कह दिया कि कोई बकाया नहीं है. यह नाटक नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि आज भू-राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर कोल इंडिया से 15 दिन के भीतर बकाए पर जवाब देने को कहा है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि राजमहल से राजहरा तक एक भी कोयला खदान नहीं चलेगा. एक ढेला भी कोयला बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. उन्होंने भाजपा सांसदों की नीयत पर भी सवाल खड़े किए हैं.

बकाये राशि को लेकर बयान देते जेएमएम, कांग्रेस और बीजेपी के नेता (ईटीवी भारत)
केंद्र को नहीं हड़पने देंगे पैसा - कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा का कहना है कि इंडिया गठबंधन को प्रचंड जनादेश मिलने से भाजपा बेचैन हो गई है. अब 1.36 लाख करोड़ हड़पना चाह रही है. यह पैसा राज्य की जनता का है. कांग्रेस ने धमकी भरे लहजे में कहा कि हलक में हाथ डालकर वो पैसा राज्य की जनता को सौंपा जाएगा. साथ ही यह भी कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन होगा. कोर्ट का भी सहारा लिया जाएगा. जन आंदोलन भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कल तक कहा जा रहा था कि यह पैसा यूपीए सरकार के कार्यकाल का है. अब कहा जा रहा है कि बकाया है ही नहीं. इससे साफ है कि आपकी नीयत में खोट है.

हेमंत सरकार कर रही है राजनीति - भाजपा

वहीं प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद का कहना है कि यह कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है. यह दो सरकारों के बीच का मामला है. अब लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री ने कह दिया है कि कोई बकाया नहीं है. अब राज्य सरकार इसपर विचार करे कि बकाया लंबित है या नहीं. भाजपा नेता ने कहा कि इस विषय पर राजनीति करना हेमंत सरकार का काम है. राज्य सरकार का खजाना खाली है. पैसे जुटाने का कोई संसाधन नहीं है. ये सरकार सिर्फ फ्री में बांटने का एजेंडा बनाती है. उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र सरकार के भरोसे हेमंत सरकार ने योजनाओं की घोषणा की है.

किस आधार पर हेमंत सरकार मांग रही है 1.36 लाख करोड़

मार्च 2022 को सीएम हेमंत सोरेन ने तत्कालीन कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखा था. उन्होंने बताया था कि कोल इंडिया लिमिटेड की सबसीडियरी कंपनियों यानी CCL, BCCL, ECL पर वॉश्ड कोल रॉयलटी मद में 2,900 करोड़, एमडीडीआर एक्ट के सेक्शन 21(5) के तहत खनन क्षेत्र के बाहर जाकर किए गये उत्खनन मद में 32,000 करोड़ बकाया है.

इसके अलावा जमीन मुआवजा मद में 41,142 करोड़ बकाया है, जिसपर करीब 60 हजार करोड़ का ब्याज बनता है. इसकी कुल राशि 1,01,142 करोड़ हो जाती है. इस लिहाज से राज्य सरकार का कोयला कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ रु. बकाया है. चार पन्नों के पत्र में मिनरल कंसेसन रूल 1960, एमडीडीआर एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया था.

सीएम हेमंत सोरेन ने की थी सांसदों से अपील

बता दें कि पप्पू यादव के पूछे गए सवाल और उस पर मिले जवाब के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी अपने एक्स हैंडल पर मैसेज पोस्ट करते हुए राज्य के बीजेपी सांसदों से झारखंड की आवाज बुलंद करने की अपील की थी. उन्होंने राशि को जरूरी बताया था. वहीं उन्होंने बहरागोड़ा के पूर्व विधायक सह झामुमो नेता कुणाल षाडंगी के एक्स पोस्ट को भी शेयर किया था.

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अब सवाल है कि क्या वाकई केंद्र सरकार का जवाब उसी बकाए को लेकर आया है, जिसको सीएम हेमंत सोरेन उठाते आ रहे हैं. इसको समझने के लिए ईटीवी भारत की टीम ने लोकसभा में पूछे गये सवाल और सरकार के जवाब की कॉपी अरेंज की है. इसमें कोयले से राजस्व के रुप में अर्जित कर (टैक्स) में राज्य सरकार के बकाए हिस्सेदारी का जिक्र है. जबकि झारखंड के राजनीतिक दल इसके अलग मायने निकाल रहे हैं.

QUESTION ANSWER IN PARLIAMENT
पप्पू यादव के सवाल के आलोक में वित्त मंत्रालय का जवाब (ईटीवी भारत)



लोकसभा में पप्पू यादव का लिखित सवाल

निर्दलीय सांसद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव ने 16 दिसंबर को लोकसभा में झारखंड हित में सवाल उठाया था. उन्होंने पूछा था कि 'क्या कोयले से राजस्व के रुप में अर्जित कर (टैक्स) में झारखंड राज्य सरकार की हिस्सेदारी 1.40 लाख करोड़ वर्षों से सरकार के पास लंबित है और उसे झारखंड को अंतरित नहीं किया जा जा रहा है'. क्या राज्य, धन की कमी के कारण विकास योजनाओं को गति देने में असमर्थ है.

लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री का लिखित जवाब

केंद्र सरकार ने लिखित जवाब में कहा है कि कोयले से प्राप्त 1.40 लाख करोड़ रु के राजस्व के रुप में अर्जित कर (टैक्स) में झारखंड सरकार का कोई हिस्सा वर्षों से सरकार के पास लंबित नहीं है. वहीं केंद्र सरकार अलग-अलग शीर्ष के जरिए राज्यों को निधियां उपलब्ध कराती है.

नहीं उठने देंगे एक ढेला भी कोयला - झामुमो

बकाए पर केंद्र सरकार के जवाब के बाद झामुमो के केंद्रीय महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रेस कांफ्रेस कर केंद्र सरकार को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा कि वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने बड़ी चतुराई से कह दिया कि कोई बकाया नहीं है. यह नाटक नहीं चलेगा. उन्होंने कहा कि आज भू-राजस्व विभाग ने आदेश जारी कर कोल इंडिया से 15 दिन के भीतर बकाए पर जवाब देने को कहा है. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा कि राजमहल से राजहरा तक एक भी कोयला खदान नहीं चलेगा. एक ढेला भी कोयला बाहर नहीं जाने दिया जाएगा. उन्होंने भाजपा सांसदों की नीयत पर भी सवाल खड़े किए हैं.

बकाये राशि को लेकर बयान देते जेएमएम, कांग्रेस और बीजेपी के नेता (ईटीवी भारत)
केंद्र को नहीं हड़पने देंगे पैसा - कांग्रेस

कांग्रेस प्रवक्ता राकेश सिन्हा का कहना है कि इंडिया गठबंधन को प्रचंड जनादेश मिलने से भाजपा बेचैन हो गई है. अब 1.36 लाख करोड़ हड़पना चाह रही है. यह पैसा राज्य की जनता का है. कांग्रेस ने धमकी भरे लहजे में कहा कि हलक में हाथ डालकर वो पैसा राज्य की जनता को सौंपा जाएगा. साथ ही यह भी कहा कि लोकतांत्रिक तरीके से आंदोलन होगा. कोर्ट का भी सहारा लिया जाएगा. जन आंदोलन भी किया जाएगा. उन्होंने कहा कि कल तक कहा जा रहा था कि यह पैसा यूपीए सरकार के कार्यकाल का है. अब कहा जा रहा है कि बकाया है ही नहीं. इससे साफ है कि आपकी नीयत में खोट है.

हेमंत सरकार कर रही है राजनीति - भाजपा

वहीं प्रदेश भाजपा उपाध्यक्ष राकेश प्रसाद का कहना है कि यह कोई व्यक्तिगत मामला नहीं है. यह दो सरकारों के बीच का मामला है. अब लोकसभा में वित्त राज्य मंत्री ने कह दिया है कि कोई बकाया नहीं है. अब राज्य सरकार इसपर विचार करे कि बकाया लंबित है या नहीं. भाजपा नेता ने कहा कि इस विषय पर राजनीति करना हेमंत सरकार का काम है. राज्य सरकार का खजाना खाली है. पैसे जुटाने का कोई संसाधन नहीं है. ये सरकार सिर्फ फ्री में बांटने का एजेंडा बनाती है. उन्होंने पूछा कि क्या केंद्र सरकार के भरोसे हेमंत सरकार ने योजनाओं की घोषणा की है.

किस आधार पर हेमंत सरकार मांग रही है 1.36 लाख करोड़

मार्च 2022 को सीएम हेमंत सोरेन ने तत्कालीन कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी को पत्र लिखा था. उन्होंने बताया था कि कोल इंडिया लिमिटेड की सबसीडियरी कंपनियों यानी CCL, BCCL, ECL पर वॉश्ड कोल रॉयलटी मद में 2,900 करोड़, एमडीडीआर एक्ट के सेक्शन 21(5) के तहत खनन क्षेत्र के बाहर जाकर किए गये उत्खनन मद में 32,000 करोड़ बकाया है.

इसके अलावा जमीन मुआवजा मद में 41,142 करोड़ बकाया है, जिसपर करीब 60 हजार करोड़ का ब्याज बनता है. इसकी कुल राशि 1,01,142 करोड़ हो जाती है. इस लिहाज से राज्य सरकार का कोयला कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ रु. बकाया है. चार पन्नों के पत्र में मिनरल कंसेसन रूल 1960, एमडीडीआर एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया था.

सीएम हेमंत सोरेन ने की थी सांसदों से अपील

बता दें कि पप्पू यादव के पूछे गए सवाल और उस पर मिले जवाब के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी अपने एक्स हैंडल पर मैसेज पोस्ट करते हुए राज्य के बीजेपी सांसदों से झारखंड की आवाज बुलंद करने की अपील की थी. उन्होंने राशि को जरूरी बताया था. वहीं उन्होंने बहरागोड़ा के पूर्व विधायक सह झामुमो नेता कुणाल षाडंगी के एक्स पोस्ट को भी शेयर किया था.

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