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चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं के मौत के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता, एक्सपर्ट से जानें वजह और बचाव - Uttarakhand Chardham Yatra 2024

Chardham Yatra 2024 उत्तराखंड की चारधाम यात्रा में अभी तक 12 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है. सबसे अधिक मौत का आंकड़ा इस बार गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में देखने को मिला है. अब तक जिन श्रद्धालुओं की मौत हुई है, उनकी उम्र 55 साल से अधिक है. श्रद्धालुओं की मौत के बाद सवाल खड़े हो रहे हैं कि आखिरकार यह मौतें क्यों हो रही हैं. जानें कारण और बचाव...

Chardham Yatra 2024
चारधाम यात्रा पर आए श्रद्धालुओं के मौत के आंकड़ों ने बढ़ाई चिंता (photo- ETV Bharat)
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By ETV Bharat Uttarakhand Team

Published : May 17, 2024, 12:36 PM IST

Updated : May 17, 2024, 3:35 PM IST

सीएम बोले श्रद्धालुओं के लिए जारी की गई गाइडलाइन (video- ETV Bharat)

देहरादून: 10 मई को उत्तराखंड चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया है. इस बार की यात्रा में अभी तक 12 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिसने शासन और -प्रशासन को चिंता में डाल दिया है. चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जब अधिक ऊंचाई पर पहुंचते हैं, तो हाई एल्टीट्यूड होने की वजह से श्रद्धालुओं को सांस लेने में दिक्कत होती है. इसी वजह से उत्तराखंड चारधाम यात्रा में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है.

गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में हुई सबसे ज्यादा मौतें: उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर आए 12 श्रद्धालुओं की मौत हुई है. उत्तरकाशी और चमोली जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के मुताबिक यात्रा के पहले दिन (10 मई) को यमुनोत्री धाम में मध्य प्रदेश के रहने वाले 71 साल के रामगोपाल, उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के रहने वाली 69 साल की विमला देवी और 62 साल की संपत्ति बाई की मौत हुई थी. यात्रा के तीसरे दिन बेंगलुरु के रहने वाले 54 साल के विष्णु कुमार की मौत हुई थी, जबकि चौथे दिन गुजरात निवासी 63 वर्षीय सूर्यकांत का निधन हुआ था.

बदरीनाथ में भी हार्ट अटैक से श्रद्धालु की मौत: यमुनोत्री धाम में मध्य प्रदेश निवासी 54 साल के रामप्रसाद अपना संतुलन खो बैठते हैं और पैर फिसलने की वजह से वह चोटिल हो जाते हैं. जिसकी वजह से इलाज के दौरान उनकी अस्पताल में मौत हो जाती है. अहमदाबाद (गुजरात) निवासी 68 साल की दक्षा पटेल की हृदय गति रुकने से मौत हो जाती है. 62 साल के मनोहर दत्ताराम की अचानक तबीयत खराब होने की वजह से अस्पताल में उनकी मौत हो जाती है. वहीं, गंगोत्री धाम में गोवा से आई 76 साल की शोभा की मौत हो जाती है, जबकि यमुनोत्री धाम में गुजरात के 60 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो जाती है. बदरीनाथ में भी सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से एक श्रद्धालु की मौत हो गई है. इसके अलावा गंगोत्री ट्रेक पर पंजाब निवासी पवन की मौत हो गई है. पवन ट्रेकिंग करते हुए गोमुख से वापस आ रहे थे, तभी अचानक उनकी तबीयत खराब हुई, जिससे उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

हाई एल्टीट्यूड पर जाने के बाद होती है हाइपोक्सी डिजीज:फिजिशियन केके त्रिपाठी ने बताया कि हाई एल्टीट्यूड पर जाने के बाद शरीर में हाइपोक्सी डिजीज हो जाती है. यानी जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है और ब्लड में ऑक्सीजन लेवल की कमी आने लगती है, तब हमें सांस लेने में दिक्कत होती है. जिस ब्लड में ऑक्सीजन लेवल की कमी होती है, उस ब्लड को हमारा ब्रेन लेना बंद कर देता है. ऐसे में जब ब्लड और ऑक्सीजन हमारे दिमाग में नहीं पहुंचता, तब दिमाग पूरी तरह से बंद हो जाता है और हार्ट अटैक की संभावना बन जाती है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में अगर हार्ट अटैक से लोगों की मौत हो रही है, तो वह मौतें सिर्फ उम्र दराज लोगों की ही हुई होंगी. इसमें 50% उम्र की वजह से और 50% 50 साल के नीचे के लोग भी शामिल हो सकते हैं.

श्रद्धालु रुक-रुक कर अपनी यात्रा करें पूरी: डॉ. केके त्रिपाठी ने बताया कि आजकल यह भी देखा गया है कि गर्मी के स्थान से सर्दी के स्थान पर लोग अचानक से पहुंच जाते हैं और यह दिक्कत तब ज्यादा होती है, जब लोग पैदल यात्रा करते हैं. पैदल यात्रा करने के दौरान हमारे हृदय की गति तेज हो जाती है और ब्लड सर्कुलेशन भी शरीर में तेज होने लगता है. लिहाजा यात्रा करने वाले श्रद्धालु इस बात का जरूर ध्यान रखें कि वह आराम और रुक-रुक कर अपनी यात्रा को पूरा करें. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को अपने साथ गर्म कपड़े जरूर रखना चाहिए, क्योंकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के दौरान हमारी बॉडी कई बार मौसम को अचानक से स्वीकार नहीं करती और शरीर में तरह-तरह की दिक्कत होने लगती हैं.

श्रद्धालु ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर जरूर जाएं: फिजिशियन ने बताया कि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को एक किलो से 2 किलो तक का ऑक्सीजन सिलेंडर अपने साथ जरूर ले जाना चाहिए. साथ ही पैदल यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा पर आने से पहले पैदल चलने का अभ्यास कुछ दिन पहले से करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हृदय रोग वाले लोग ऊंचाई वाली यात्रा करने से बचें और अगर कोई जा भी रहा है, तो इन लक्षण का ध्यान रखें कि अगर आपको सांस लेने में दिक्कत और कुछ ही मिनटों में थकान या चक्कर आने के साथ-साथ छाती में दर्द होता है, तो आप स्वास्थ्य का परीक्षण जरूर करवाएं.

कितनी हाइट होती है एल्टीट्यूड: समुद्र तल से जिस क्षेत्र की ऊंचाई 2000 मीटर होती है, उसको हाई एल्टीट्यूड मान सकते हैं. इससे ऊपर कई बार लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. उत्तराखंड के चारों धाम हाई अल्टीट्यूड में ही आते हैं. जिसमें बदरीनाथ 10,279 फीट, केदारनाथ 11,700 फीट, गंगोत्री 10,200 फीट, यमुनोत्री 10,804 फीट की हाइट पर हैं. इसी वजह से इन स्थानों पर लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं.

सीएम बोले श्रद्धालुओं के लिए जारी की गई गाइडलाइन: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रियों की मौत के बाद अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं कि वह तमाम राज्यों के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर अपील करें कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु अपना प्रॉपर चेकअप करवाएं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमने चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए एक गाइडलाइन जारी की है, जो अब से यात्रियों को सौंपी जाएगी और इस गाइडलाइन के अनुसार यात्री यात्रा कर सकेंगे.

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सीएम बोले श्रद्धालुओं के लिए जारी की गई गाइडलाइन (video- ETV Bharat)

देहरादून: 10 मई को उत्तराखंड चारधाम यात्रा का शुभारंभ हो गया है. इस बार की यात्रा में अभी तक 12 श्रद्धालुओं की मौत हो चुकी है, जिसने शासन और -प्रशासन को चिंता में डाल दिया है. चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु जब अधिक ऊंचाई पर पहुंचते हैं, तो हाई एल्टीट्यूड होने की वजह से श्रद्धालुओं को सांस लेने में दिक्कत होती है. इसी वजह से उत्तराखंड चारधाम यात्रा में मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है.

गंगोत्री-यमुनोत्री धाम में हुई सबसे ज्यादा मौतें: उत्तराखंड चारधाम यात्रा पर आए 12 श्रद्धालुओं की मौत हुई है. उत्तरकाशी और चमोली जिला प्रशासन से मिले आंकड़ों के मुताबिक यात्रा के पहले दिन (10 मई) को यमुनोत्री धाम में मध्य प्रदेश के रहने वाले 71 साल के रामगोपाल, उन्नाव (उत्तर प्रदेश) के रहने वाली 69 साल की विमला देवी और 62 साल की संपत्ति बाई की मौत हुई थी. यात्रा के तीसरे दिन बेंगलुरु के रहने वाले 54 साल के विष्णु कुमार की मौत हुई थी, जबकि चौथे दिन गुजरात निवासी 63 वर्षीय सूर्यकांत का निधन हुआ था.

बदरीनाथ में भी हार्ट अटैक से श्रद्धालु की मौत: यमुनोत्री धाम में मध्य प्रदेश निवासी 54 साल के रामप्रसाद अपना संतुलन खो बैठते हैं और पैर फिसलने की वजह से वह चोटिल हो जाते हैं. जिसकी वजह से इलाज के दौरान उनकी अस्पताल में मौत हो जाती है. अहमदाबाद (गुजरात) निवासी 68 साल की दक्षा पटेल की हृदय गति रुकने से मौत हो जाती है. 62 साल के मनोहर दत्ताराम की अचानक तबीयत खराब होने की वजह से अस्पताल में उनकी मौत हो जाती है. वहीं, गंगोत्री धाम में गोवा से आई 76 साल की शोभा की मौत हो जाती है, जबकि यमुनोत्री धाम में गुजरात के 60 वर्षीय व्यक्ति की मौत हो जाती है. बदरीनाथ में भी सांस लेने में दिक्कत होने की वजह से एक श्रद्धालु की मौत हो गई है. इसके अलावा गंगोत्री ट्रेक पर पंजाब निवासी पवन की मौत हो गई है. पवन ट्रेकिंग करते हुए गोमुख से वापस आ रहे थे, तभी अचानक उनकी तबीयत खराब हुई, जिससे उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया.

हाई एल्टीट्यूड पर जाने के बाद होती है हाइपोक्सी डिजीज:फिजिशियन केके त्रिपाठी ने बताया कि हाई एल्टीट्यूड पर जाने के बाद शरीर में हाइपोक्सी डिजीज हो जाती है. यानी जब हमारे शरीर में ऑक्सीजन लेवल कम होने लगता है और ब्लड में ऑक्सीजन लेवल की कमी आने लगती है, तब हमें सांस लेने में दिक्कत होती है. जिस ब्लड में ऑक्सीजन लेवल की कमी होती है, उस ब्लड को हमारा ब्रेन लेना बंद कर देता है. ऐसे में जब ब्लड और ऑक्सीजन हमारे दिमाग में नहीं पहुंचता, तब दिमाग पूरी तरह से बंद हो जाता है और हार्ट अटैक की संभावना बन जाती है. उन्होंने कहा कि केदारनाथ, बदरीनाथ, गंगोत्री और यमुनोत्री में अगर हार्ट अटैक से लोगों की मौत हो रही है, तो वह मौतें सिर्फ उम्र दराज लोगों की ही हुई होंगी. इसमें 50% उम्र की वजह से और 50% 50 साल के नीचे के लोग भी शामिल हो सकते हैं.

श्रद्धालु रुक-रुक कर अपनी यात्रा करें पूरी: डॉ. केके त्रिपाठी ने बताया कि आजकल यह भी देखा गया है कि गर्मी के स्थान से सर्दी के स्थान पर लोग अचानक से पहुंच जाते हैं और यह दिक्कत तब ज्यादा होती है, जब लोग पैदल यात्रा करते हैं. पैदल यात्रा करने के दौरान हमारे हृदय की गति तेज हो जाती है और ब्लड सर्कुलेशन भी शरीर में तेज होने लगता है. लिहाजा यात्रा करने वाले श्रद्धालु इस बात का जरूर ध्यान रखें कि वह आराम और रुक-रुक कर अपनी यात्रा को पूरा करें. उन्होंने कहा कि श्रद्धालुओं को अपने साथ गर्म कपड़े जरूर रखना चाहिए, क्योंकि एक स्थान से दूसरे स्थान पर पहुंचने के दौरान हमारी बॉडी कई बार मौसम को अचानक से स्वीकार नहीं करती और शरीर में तरह-तरह की दिक्कत होने लगती हैं.

श्रद्धालु ऑक्सीजन सिलेंडर लेकर जरूर जाएं: फिजिशियन ने बताया कि यात्रा के दौरान श्रद्धालुओं को एक किलो से 2 किलो तक का ऑक्सीजन सिलेंडर अपने साथ जरूर ले जाना चाहिए. साथ ही पैदल यात्रा करने वाले श्रद्धालुओं को चारधाम यात्रा पर आने से पहले पैदल चलने का अभ्यास कुछ दिन पहले से करना चाहिए. उन्होंने कहा कि हृदय रोग वाले लोग ऊंचाई वाली यात्रा करने से बचें और अगर कोई जा भी रहा है, तो इन लक्षण का ध्यान रखें कि अगर आपको सांस लेने में दिक्कत और कुछ ही मिनटों में थकान या चक्कर आने के साथ-साथ छाती में दर्द होता है, तो आप स्वास्थ्य का परीक्षण जरूर करवाएं.

कितनी हाइट होती है एल्टीट्यूड: समुद्र तल से जिस क्षेत्र की ऊंचाई 2000 मीटर होती है, उसको हाई एल्टीट्यूड मान सकते हैं. इससे ऊपर कई बार लोगों को सांस लेने में दिक्कत होने लगती है. उत्तराखंड के चारों धाम हाई अल्टीट्यूड में ही आते हैं. जिसमें बदरीनाथ 10,279 फीट, केदारनाथ 11,700 फीट, गंगोत्री 10,200 फीट, यमुनोत्री 10,804 फीट की हाइट पर हैं. इसी वजह से इन स्थानों पर लोगों को काफी दिक्कतें होती हैं.

सीएम बोले श्रद्धालुओं के लिए जारी की गई गाइडलाइन: मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने यात्रियों की मौत के बाद अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं कि वह तमाम राज्यों के मुख्य सचिव और स्वास्थ्य सचिव को पत्र लिखकर अपील करें कि चारधाम यात्रा पर आने वाले श्रद्धालु अपना प्रॉपर चेकअप करवाएं. मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि हमने चारधाम यात्रा पर आने वाले यात्रियों के लिए एक गाइडलाइन जारी की है, जो अब से यात्रियों को सौंपी जाएगी और इस गाइडलाइन के अनुसार यात्री यात्रा कर सकेंगे.

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Last Updated : May 17, 2024, 3:35 PM IST
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