पटना : बिहार की राजधानी पटना में बवाल है. कहीं आगजनी तो कहीं छात्रों में आक्रोश है. जिस तरह से छात्र हर्ष राज की हत्या की गई. उसके बाद युवा सड़क पर उतर आए हैं. उनका साफ कहना है कि जबतक ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है, उनका प्रदर्शन जारी रहेगा. गांधी मैदान स्थित कारगिल चौक के पास भारी संख्या में छात्रों ने सड़क जाम कर दिया. जिसके बाद पुलिस को स्थिति नियंत्रित करने के लिए हल्का बल प्रयोग भी करना पड़ा.
हर्ष राज हत्याकांड में दो गिरफ्तार : इसी बीच पटना पुलिस ने हत्याकांड में त्वरित कार्रवाई करते हुए मास्टरमाइंड को गिरफ्तार कर लिया. गिरफ्तार शख्स का नाम चंदन यादव है. उसके साथ एक और अभियुक्त को दबोचा गया है. चंदन यादव लाइनर का काम किया था, उसे बिहटा के अम्हारा से गिरफ्तार किया गया है.
''चंदन यादव की गिरफ्तारी हुई है. सभी दोषियों की गिरफ्तारी की जाएगी. प्रारंभिक जांच में सामने आया है कि अक्टूबर में हर्ष ने मिलर हाई स्कूल में डांडिया नाइट करवाया था. वहीं पर पटेल और जैक्शन हॉस्टल के छात्रों से भिड़ंत हुई थी. एक गुट के छात्र का सिर फटा था और कहीं ना कहीं यह भी एक मामला हो सकता है, क्योंकि उससे छात्रों की हर्ष से खुन्नस थी.''- चंद्र प्रकाश, सिटी एसपी सेंट्रल
जमकर हो रही राजनीति : इधर, इस घटना को लेकर जमकर राजनीति हो रही है. विपक्ष इस मुद्दे को भुनाने की कोशिश में है. नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव से लेकर उनकी बहन रोहिणी आचार्य ने बिहार सरकार पर हमला बोला है. उनका कहना है कि अपराधियों का मनोबल बढ़ गया है प्रशासन पर इनकी कोई पकड़ नहीं है.
''जब से ये सरकार आई है, लॉ एंड ऑर्डर बद से बदतर हो गया है. इन लोगों का प्रशासन पर कोई कंट्रोल नहीं है. जंगल राज की बात करने वाले आज कहां हैं, ये क्या मंगलराज है?''- तेजस्वी यादव, नेता प्रतिपक्ष
गांव में पसरा मातम : यह तो स्वभाविक है कि कोई अपना सगा गुजरे तो दर्द होता है. पर कोई सबको प्यार करने वाला गुजरे तो ज्यादा पीड़ा होती है. तभी तो जब हर्ष का शव उसके घर पहुंचा तो ऐसा लगा पूरा गांव इकट्ठा हो गया होगा. हर किसी के मन में हर्ष के जाने का मलाल था. पूरा गांव रो रहा था. क्योंकि वह हर किसी के लिए खड़ा रहता था.
''कोरोना काल में उसने बगैर अपनी फिक्र किए सबकी मदद की थी. बाढ़ के समय में भी लोगों की मदद में ही लगा रहता था. सिर्फ गांव और जिले के लिए ही नहीं पूरे राज्य के लिए यह एक बहुत बड़ी क्षति है, जिसकी भरपाई नहीं हो सकती है. आरोपियों को सख्त से सख्त सजा मिले."- अरविंद सिंह, स्थानीय
कैसे हुई थी हत्या : दरअसल, पटना बीएन कॉलेज के फाइनल ईयर के छात्र हर्ष राज की सोमवार को पीट-पीटकर हत्या हुई थी. 15 से 16 नकाबपोश अपराधियों ने लॉ कॉलेज कैंपस में उसपर हमला किया था. जब वह परीक्षा देकर निकला था तभी उसपर आक्रमण किया गया. आनन-फानन में उसे अस्पताल ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया.
क्यों हुई हर्ष की हत्या : सबके मन में सवाल उठता है कि आखिर हर्ष की हत्या क्यों की गई. कुछ लोग इसे पुरानी रंजिश बता रहे हैं तो अंदरखाने कुछ लोग वर्चस्व की लड़ाई मान रहे हैं. कुछ लोगों को इसमें राजनीतिक साजिश भी दिखाई पड़ रही है. खैर ये तो जांच में ही पता चलेगा कि पूरा सच क्या है?
''पटना में रहकर वह अन्य कॉलेज के छात्रों के लिए भी मदद करता था. पटना के एएन कॉलेज, बीएन कॉलेज और वीमेंस कॉलेज के छात्रों की हर संभव मदद करता था. मेरा बेटा छात्र संघ का चुनाव लड़ना चाहता था. मैं मना करता था लेकिन उसकी इच्छा थी. पुलिस को चाहिए कि अभिलंब अपराधियों को गिरफ्तार कर आगे की कार्रवाई करे."- अजीत कुमार, हर्ष राज के पिता
राजनीति में सक्रिय था हर्ष : मूल रूप से वैशाली का रहने वाला हर्ष छात्र राजनीति से आगे बढ़ रहा था. हर्ष राज लोकनायक युवा परिषद संगठन का राष्ट्रीय अध्यक्ष भी था. यही नहीं समस्तीपुर में एनडीए प्रत्याशी शांभवी चौधरी के लिए 18 मई तक प्रचार भी किया. 2021 में हुए पंचायती चुनाव में उसने अपनी चाची पालू कुमारी को चुनाव लड़ने में काफी मदद की थी. हर्ष ने ही पूरी रणनीति तैयार किया था. जिससे हर्ष की चाची लालू चुनाव जीत गई थी. सामाजिक तौर पर भी वह काफी सक्रिय था.
उठते सवाल : सवाल यह है कि जिस लॉ कॉलेज कैंपस में हत्या की वारदात को अंजाम दिया गया, वह काफी संवेदशील इलाका है. हर वक्त यहां पर पुलिस की तैनाती रहती है. फिर कैसे इस हत्याकांड को दिनदहाड़े अंजाम दिया गया और पुलिस को भनक तक नहीं लगी. काफी देर तक अपराधियों ने तांडव मचाया और पुलिस की नींद नहीं खुली.
पहले भी रक्तरंजित होता रहा है PU : इससे पहले भी पटना में छात्र गुटों के बीच संघर्ष की खबरें आती रही हैं. बमबाजी से लेकर गोलीबारी तक हुई हैं. साल 1983 में छात्र नेता सत्येंद्र सिंह की हत्या हुई थी. इसके पीछे भी वर्चस्व की बात सामने आई थी. इसके बाद साल 1998 में विश्वविद्यालय के छात्र अविनाश की हत्या हुई थी, जिसमें कक्षा से जबरन बाहर निकालकर अविनाश को मारा गया था. सवाल उठता है कि आखिर कब तक पटना की धरती रक्तरंजित होती रहेगी?
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