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क्या है सीएए, मुस्लिमों को इस कानून से क्यों रखा गया है बाहर, जानें

Know about caa : मोदी सरकार ने देश में सीएए यानी नागरिकता संशोधन अधिनियम को लागू कर दिया. इसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आए हुए गैर मुस्लिमों (जो धार्मिक उत्पीड़न के शिकार हुए हों) को नागरिकता प्रदान की जाएगी. क्या है सीएए, पढ़ें पूरी स्टोरी.

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सीएए
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Mar 11, 2024, 7:35 PM IST

नई दिल्ली : सीएए यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (नागरिकता संशोधन अधिनियम) को देशभर में लागू कर दिया गया है. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले उन छह अल्पसंख्यक समुदायों के प्रवासियों/विदेशियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से यहां आए हैं. छह अल्पसंख्यक समुदाय हैं- हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी. इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मुस्लिम देशों में मुस्लिमों को धार्मिक प्रताड़ना का शिकार नहीं होना पड़ता है, इसलिए उन्होंने मुस्लिमों को शामिल नहीं किया है. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अगर मुस्लिम नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं, तो उनके आवेदन पर भारतीय नागरिकता कानून के तहत विचार किया जाएगा.

यहां इसका उल्लेख जरूरी है कि इस (सीएए) कानून की वजह से किसी भी विदेशी को भारत की नागरिकता प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. कानून में उसके लिए पहले से व्यवस्था है, जिसके अनुसार वर्ग, धर्म और श्रेणी की वजह से उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. वे नागरिकता हासिल करने के लिए पहले की तरह आवेदन करते रहेंगे. नया कानून सिर्फ तीन देशों से ही संबंधित है, और वह भी गैर मुस्लिमों के लिए.

सीएए के तहत नागरिकता हासिल करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोला गया है. पात्र व्यक्तियों को आवेदन करना होगा और सक्षम प्राधिकारी उनकी योग्यता जांच कर नागरिकता प्रदान करेंगे. सीएए के तहत नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा.

छठी अनुसूची में उल्लिखित इलाकों में नहीं लागू होगा सीएए

छठी अनुसूची में आने वाले क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट वाले क्षेत्रों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. यानी सीएए की वजह से नॉर्थ ईस्ट में रहने वाले आदिवासियों या फिर अन्य स्थानीय लोगों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसका मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले छह अल्पसंख्यक समुदायों के लोग यदि इन इलाकों में वास कर रहे हैं, तो उन्हें यह इलाका खाली करना होगा.

सीएए को 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया था. विपक्षी पार्टियां इसे मुस्लिम विरोधी बता रहीं हैं. प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह इस कानून का विरोध करती रहेंगी.

विदेशी मुस्लिम भी नागरिकता हासिल कर सकते हैं-

नागरिकता प्राप्त करने लिए 1955 का कानून पहले से है. नागरिकता अधिनियम, 1955 भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण, निर्धारण और समाप्ति का प्रावधान करता है. भारत की नागरिकता जन्म, वंश, पंजीकरण या फिर प्राकृतिकीकरण या फिर क्षेत्र के समावेश द्वारा प्राप्त की जा सकती है. अगर आप इस कैटेगरी में आते हैं, तो नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इस कानून के तहत धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है.

सीएए की वजह से भारतीय नागरिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा

सीएए भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होगा. उनका इस कानून से कोई मतलब नहीं है. आपको बता दें कि 2014 में भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा समझौते के बाद बांग्लादेश के 50 से अधिक परिक्षेत्रों को भारतीय क्षेत्र में शामिल करने के बाद लगभग 14,864 बांग्लादेशी नागरिकों को भी भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी. यानी विदेशी लोगों को नागरिकता बिना किसी भेदभाव के दी गई है.

कट ऑफ डेट फॉर सीएए - 31 दिसंबर 2014. यानी इस तिथि तक भारत आने वाले उल्लिखित तीन देशों से आने वाले विदेशियों को सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी. अभी तक ऐसे लोगों को सरकार ने लंबी अवधि का वीजा दे रखा था.

आजादी के समय क्या था प्रावधान

देश की आजादी के बाद 19 जुलाई 1948 की तिथि तय की गई थी, यानी तब तक जो भी पाकिस्तानी भारत आया, उसे भारतीय नागरिक माना गया. जो व्यक्ति इस तिथि के बाद आया, उसे भारत में छह महीने रहने के बाद भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1964 से 2008 के बीच 4.61 लाख भारतीय मूल के तमिलों को भारत की नगारिकता प्रदान की गई है.

ये भी पढ़ें : केंद्र सरकार ने जारी की नागरिकता संशोधन कानून की अधिसूचना

नई दिल्ली : सीएए यानी सिटीजनशिप अमेंडमेंट एक्ट (नागरिकता संशोधन अधिनियम) को देशभर में लागू कर दिया गया है. इसके तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से भारत आने वाले उन छह अल्पसंख्यक समुदायों के प्रवासियों/विदेशियों को भारत की नागरिकता दी जाएगी, जो धार्मिक उत्पीड़न की वजह से यहां आए हैं. छह अल्पसंख्यक समुदाय हैं- हिंदू, सिख, जैन, ईसाई, बौद्ध और पारसी. इसमें मुस्लिमों को शामिल नहीं किया गया है.

गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि मुस्लिम देशों में मुस्लिमों को धार्मिक प्रताड़ना का शिकार नहीं होना पड़ता है, इसलिए उन्होंने मुस्लिमों को शामिल नहीं किया है. उन्होंने कहा कि इसके बावजूद अगर मुस्लिम नागरिकता के लिए आवेदन करते हैं, तो उनके आवेदन पर भारतीय नागरिकता कानून के तहत विचार किया जाएगा.

यहां इसका उल्लेख जरूरी है कि इस (सीएए) कानून की वजह से किसी भी विदेशी को भारत की नागरिकता प्राप्त करने में कोई दिक्कत नहीं होगी. कानून में उसके लिए पहले से व्यवस्था है, जिसके अनुसार वर्ग, धर्म और श्रेणी की वजह से उनके साथ भेदभाव नहीं किया जाएगा. वे नागरिकता हासिल करने के लिए पहले की तरह आवेदन करते रहेंगे. नया कानून सिर्फ तीन देशों से ही संबंधित है, और वह भी गैर मुस्लिमों के लिए.

सीएए के तहत नागरिकता हासिल करने के लिए ऑनलाइन पोर्टल खोला गया है. पात्र व्यक्तियों को आवेदन करना होगा और सक्षम प्राधिकारी उनकी योग्यता जांच कर नागरिकता प्रदान करेंगे. सीएए के तहत नागरिकता देने का अधिकार केंद्र सरकार के पास होगा.

छठी अनुसूची में उल्लिखित इलाकों में नहीं लागू होगा सीएए

छठी अनुसूची में आने वाले क्षेत्रों और इनर लाइन परमिट वाले क्षेत्रों को इस कानून के दायरे से बाहर रखा गया है. यानी सीएए की वजह से नॉर्थ ईस्ट में रहने वाले आदिवासियों या फिर अन्य स्थानीय लोगों के हितों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा. इसका मतलब यह हुआ कि पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान से आने वाले छह अल्पसंख्यक समुदायों के लोग यदि इन इलाकों में वास कर रहे हैं, तो उन्हें यह इलाका खाली करना होगा.

सीएए को 11 दिसंबर 2019 को पारित किया गया था. विपक्षी पार्टियां इसे मुस्लिम विरोधी बता रहीं हैं. प. बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा है कि वह इस कानून का विरोध करती रहेंगी.

विदेशी मुस्लिम भी नागरिकता हासिल कर सकते हैं-

नागरिकता प्राप्त करने लिए 1955 का कानून पहले से है. नागरिकता अधिनियम, 1955 भारतीय नागरिकता के अधिग्रहण, निर्धारण और समाप्ति का प्रावधान करता है. भारत की नागरिकता जन्म, वंश, पंजीकरण या फिर प्राकृतिकीकरण या फिर क्षेत्र के समावेश द्वारा प्राप्त की जा सकती है. अगर आप इस कैटेगरी में आते हैं, तो नागरिकता के लिए अप्लाई कर सकते हैं. इस कानून के तहत धर्म के आधार पर भेदभाव नहीं किया जाता है.

सीएए की वजह से भारतीय नागरिकों पर कोई प्रभाव नहीं पड़ेगा

सीएए भारतीय नागरिकों पर लागू नहीं होगा. उनका इस कानून से कोई मतलब नहीं है. आपको बता दें कि 2014 में भारत और बांग्लादेश के बीच सीमा समझौते के बाद बांग्लादेश के 50 से अधिक परिक्षेत्रों को भारतीय क्षेत्र में शामिल करने के बाद लगभग 14,864 बांग्लादेशी नागरिकों को भी भारतीय नागरिकता प्रदान की गई थी. यानी विदेशी लोगों को नागरिकता बिना किसी भेदभाव के दी गई है.

कट ऑफ डेट फॉर सीएए - 31 दिसंबर 2014. यानी इस तिथि तक भारत आने वाले उल्लिखित तीन देशों से आने वाले विदेशियों को सीएए के तहत नागरिकता दी जाएगी. अभी तक ऐसे लोगों को सरकार ने लंबी अवधि का वीजा दे रखा था.

आजादी के समय क्या था प्रावधान

देश की आजादी के बाद 19 जुलाई 1948 की तिथि तय की गई थी, यानी तब तक जो भी पाकिस्तानी भारत आया, उसे भारतीय नागरिक माना गया. जो व्यक्ति इस तिथि के बाद आया, उसे भारत में छह महीने रहने के बाद भारतीय नागरिक के रूप में पंजीकृत किया गया था. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार 1964 से 2008 के बीच 4.61 लाख भारतीय मूल के तमिलों को भारत की नगारिकता प्रदान की गई है.

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