हैदराबाद: केंद्र सरकार वक्फ अधिनियम 1995 में संशोधन करने जा रही है. इसके लिए गुरुवार को लोकसभा में वक्फ (संशोधन) विधेयक 2024 पेश किया गया. विधेयक में वक्फ अधिनियम, 1995 का नाम बदलकर एकीकृत वक्फ प्रबंधन, सशक्तिकरण, दक्षता और विकास अधिनियम (Unified Waqf Management, Empowerment, Efficiency and Development Act) रखने का प्रस्ताव है. विधेयक पर सदन में चर्चा हुई. बाद में केंद्रीय अल्पसंख्यक कार्य मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा कि फिलहाल इस विधेयक को संसद की संयुक्त समिति के पास भेजा जाएगा.
कांग्रेस और समाजवादी पार्टी समेत कुछ विपक्षी दल इस विधेयक का विरोध कर रहे है. उनका कहना है कि यह संविधान के खिलाफ है. सरकार का कहना है कि इस अधिनियम के तहत वक्फ बोर्ड को असीमित अधिकार मिले थे. अधिनियम में संसोधन का उद्देश्य वक्फ बोर्ड के अधिकारों को सीमित करने और इसे पारदर्शी बनाना है. संशोधन के बाद वक्फ बोर्ड में महिलाओं समेत मुस्लिम समाज के सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व मिलेगा.
#WATCH | Speaking in Lok Sabha on Waqf (Amendment) Bill, 2024, Minority Affairs Minister Kiren Rijiju says," ...this bill being brought today is based on the report of sachar committee (which called for reform) which you made (congress)..." pic.twitter.com/ud6VKg2l0k
— ANI (@ANI) August 8, 2024
विधेयक को लेकर विपक्ष के आरोपों का जवाब देते हुए किरेन रिजिजू ने कहा, "इस बिल में संविधान के एक भी प्रावधान का उल्लंघन नहीं किया गया है. न यह किसी धर्म के खिलाफ है और न ही किसी का अधिकार छीनने के लिए. वंचितों को जगह देने के लिए यह विधेयक लाया गया है. उन्होंने कहा कि यह अधिनियम सबसे पहले 1954 में लाया गया था, तब से इसमें कई संशोधन हुए हैं. हम जो संशोधन लाने जा रहे हैं, वह वक्फ अधिनियम 1995 को लेकर है, जिसको 2013 में संशोधन लाकर बदला गया था."
उन्होंने कहा कि ऐसा पाया गया है कि 1995 के अधिनियम में जिस उद्देश्य से संशोधन किए गए थे, वह पूरे नहीं हो रहे हैं और इसमें कई खामियां पता चली हैं. उन्होंने कहा कि कुछ लोगों का वक्फ बोर्ड पर कब्जा है. रिजिजू ने कहा कि यूपीए-1 सरकार में गठित की गई सच्चर कमेटी ने वक्फ बोर्ड में कई सुधारों की सिफारिश की थी. यह विधेयक सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुरूप है.
#WATCH | On Waqf (Amendment) Bill, 2024, AIMIM MP Asaduddin Owaisi says, " this bill violates the principles of articles 14, 15 and 25 of the constitution. this bill is both discriminatory and arbitrary...by bringing this bill, you (the central govt) are doing the work of… pic.twitter.com/kehmLjV3Gv
— ANI (@ANI) August 8, 2024
वक्फ संशोधन विधेयक में प्रमुख प्रावधान
- केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्ड का गठन, जिसमें मुस्लिम महिलाओं और गैर-मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व होगा. विधेयक के अनुसार, सभी राज्य वक्फ बोर्ड के साथ-साथ केंद्रीय वक्फ परिषद में दो महिलाओं की नियुक्ति अनिवार्य होगी.
- जिला कलेक्टर को यह तय करने का अधिकार होगा कि कोई संपत्ति वक्फ संपत्ति है या नहीं. कलेक्टर राजस्व रिकॉर्ड को अपडेट करेंगे और राज्य सरकार को रिपोर्ट करेंगे. कलेक्टर की रिपोर्ट जमा होने तक वक्फ संपत्तियों को मान्यता नहीं दी जाएगी. जबकि 1995 के अधिनियम में, इस संबंध में निर्णय वक्फ न्यायाधिकरण द्वारा लिए जाते हैं.
- जिला कलेक्टर कार्यालय में वक्फ संपत्तियों का पंजीकरण अनिवार्य होगा.
- बोहरा और आगाखान समुदाय के लिए अलग औकाफ बोर्ड के गठन का प्रावधान.
- केंद्र सरकार के पास भारत के नियंत्रक और महालेखा परीक्षक द्वारा नियुक्त ऑडिटर द्वारा किसी भी वक्फ का ऑडिट करने का निर्देश देने की शक्ति होगी.
- नए विधेयक में वैध वक्फनामा की जरूरत को अनिवार्य किया गया है, जो मूल रूप से एक दस्तावेज है जिसके माध्यम से कोई व्यक्ति संपत्ति दान करने का इरादा व्यक्त करता है. मौजूदा कानून किसी व्यक्ति को बातचीत के जरिये संपत्ति को वक्फ के रूप में देने की इजाजत देता है.
- अधिनियम के लागू होने से पहले या बाद में वक्फ संपत्ति के रूप में पहचानी गई सरकारी संपत्तियों को वक्फ संपत्ति नहीं माना जाएगा.
- वक्फ बोर्ड के निर्णयों से संबंधित विवादों की अपील अब उच्च न्यायालयों में की जा सकेगी.
मौजूदा वक्फ कानून
वक्फ अधिनियम, 1995 एक मुस्लिम व्यक्ति द्वारा दान की गई और वक्फ के रूप में अधिसूचित संपत्तियों का प्रबंधन के लिए लाया गया था. हालांकि इसमें कई संशोधन हो चुके हैं. 2013 में वक्फ अधिनियम में आखिरी बार संशोधन किया गया था, जिसमें वक्फ बोर्ड की शक्तियां बढ़ाई गई थीं. इसमें वक्फ संपत्तियों के अवैध हस्तांतरण और अतिक्रमण के खिलाफ कड़े प्रावधान किए गए थे.
वक्फ अधिनियम 1995 में यह प्रावधान है कि सभी वक्फ संपत्तियों का पर्यवेक्षण राज्य वक्फ बोर्ड के पास निहित है और वक्फ बोर्ड के पास इन संपत्तियों का प्रबंधन करने का अधिकार है. केंद्रीय वक्फ बोर्ड राज्य बोर्डों को वक्फ संपत्तियों की सुरक्षा और पुनर्प्राप्ति और अतिक्रमण हटाने आदि पर कानूनी सलाह देता है. मौजूदा वक्फ अधिनियम के मुताबिक, अगर किसी जमीन पर मस्जिद हो या उसका इस्तेमाल इस्लाम के धार्मिक उद्देश्यों के लिए होता हो तो वो वक्फ की संपत्ति मानी जाती है.
भारत में 30 वक्फ बोर्ड
देश में 30 वक्फ बोर्ड हैं, सभी बोर्ड वक्फ अधिनियम 1995 के तहत काम करते हैं, जो संबंधित राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में वक्फ संपत्तियों का प्रबंधन करते हैं. वक्फ बोर्ड न केवल मस्जिद, दरगाह, कब्रिस्तान आदि से जुड़े हुए हैं, बल्कि सामाजिक कल्याण के लिए स्कूल, कॉलेज और अस्पताल की मदद करते हैं.
वक्फ बोर्ड पर सच्चर समिति की सिफारिशें
पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह द्वारा मार्च 2005 में दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व चीफ जस्टिस राजिंदर सच्चर की अध्यक्षता में सच्चर समिति का गठन किया गया था. समिति ने वक्फ बोर्ड के लिए कई सिफारिशों के साथ एक रिपोर्ट प्रस्तुत की.
- प्रतिकूल कब्जे से वसूली के लिए समय का विस्तार- सीमा अवधि को 2035 तक बढ़ाया जाना चाहिए ताकि सीमा अधिनियम 1963 से छूट की अब आवश्यकता न हो.
- वक्फ अधिनियम में एक प्रावधान को शामिल करके वक्फ संपत्ति को किराया नियंत्रण अधिनियम के दायरे से मुक्त करना.
- वक्फ बोर्ड में कम से कम 02 महिलाएं होनी चाहिए.
- वक्फ बोर्ड का सीईओ पूर्णकालिक होना चाहिए और राज्य सरकार के पर्याप्त उच्च पद के अधिकारी से होना चाहिए.
- खातों का रखरखाव. सभी वक्फों का वित्तीय ऑडिट अनिवार्य किया जाएगा.
- लीज अवधि 3 वर्ष से बढ़ाकर 30 वर्ष की जाएगी.
- कानूनी और प्रशासनिक उपाय, न्यायिक द्वंद्व को समाप्त करना.
- वक्फ संपत्तियों के विकास के लिए एक तकनीकी सलाहकार निकाय बनाना.
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