एर्नाकुलम: केरल हाईकोर्ट ने आदेश दिया है कि दिवंगत सीपीएम नेता एमएम लॉरेंस की डेड बॉडी को शवगृह में रखा जाए, जब तक कि शव को अपने कब्जे में लेने के कलमस्सेरी मेडिकल कॉलेज के निर्णय से जुड़े मामले की जांच पूरी नहीं हो जाती है. हाईकोर्ट ने लॉरेंस की बेटी आशा द्वारा शवदान के संबंध में मेडिकल कॉलेज समिति की कार्रवाई को चुनौती देने वाली याचिका पर यह आदेश सुनाया.
सोमवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने लॉरेंस के शवदान पर विवाद के संबंध में कलमस्सेरी मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य द्वारा की गई कार्रवाई में अनियमितताओं की पहचान की. मामले में सुनवाई को गुरुवार तक के लिए स्थगित कर दिया गया है.
हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया है कि वह इस बारे में अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि क्या इस मामले की सुनवाई उसी समय सीमा के भीतर प्रिंसिपल से उच्च अधिकारी द्वारा फिर से की जानी चाहिए. इसके अलावा, सरकार को इस मुद्दे के संबंध में चिकित्सा शिक्षा निदेशक के निर्णय को अधिसूचित करने का निर्देश दिया गया है.
आशा लॉरेंस ने तर्क दिया कि उनकी बहन सुजाता ने मेडिकल कॉलेज समिति की सुनवाई के दौरान शवदान के लिए अपनी सहमति वापस ले ली थी. उन्होंने लॉरेंस द्वारा कथित तौर पर दिए गए बयानों की प्रामाणिकता के बारे में भी सवाल उठाए, जिसमें उन्होंने डिकल कॉलेज को शव को सौंपने की बात कही थी.
अपनी याचिका में आशा ने मेडिकल कॉलेज के प्रिंसिपल और अधीक्षक दोनों के खिलाफ आपराधिक कार्रवाई की मांग की है. अदालत के अंतरिम आदेश का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि मामले का पूरी तरह से समाधान निकलने तक शव के संबंध में कोई और कार्रवाई न की जाए.
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