तिरुवनंतपुरम: केरल विधानसभा ने शुक्रवार को सर्वसम्मति से एक प्रस्ताव पारित कर केंद्र सरकार से "राज्य की उधार सीमा को कम करने और राज्य को विभिन्न अनुदान रोकने के कदम से बचने के लिए कहा. यह प्रस्ताव राज्य के वित्त मंत्री केएन बालगोपाल ने विधानसभा में प्रक्रिया और कार्य संचालन के नियम 118 के तहत पेश किया था. कांग्रेस के नेतृत्व वाले विपक्ष द्वारा प्रस्ताव पर कोई आपत्ति नहीं जताए जाने पर स्पीकर एएन शमसीर ने इसे सर्वसम्मति से पारित घोषित कर दिया.
प्रस्ताव में कहा गया है कि इस विधान सभा को इसमें कोई संदेह नहीं है कि केंद्र सरकार और वित्त मंत्रालय की विभिन्न कार्रवाइयां संघवाद की अवधारणा को कमजोर कर देंगी. राज्य सूची के मुद्दों पर राज्य को सर्वोच्च अधिकार है, क्योंकि केंद्र सरकार को संविधान की सातवीं अनुसूची में प्रदान की गई संघ सूचियों पर सर्वोच्च अधिकार है. केंद्र को राज्यों के प्रति अपने अलोकतांत्रिक दृष्टिकोण को छोड़ देना चाहिए.
संकल्प में आगे कहा गया है कि हाल के वर्षों में राज्यों की विधायी और वित्तीय शक्तियों में बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है. केंद्र सरकार की कुछ कार्रवाइयों के कारण ऐसी स्थिति पैदा हो गई है जिसमें राज्य अपनी संवैधानिक रूप से आरक्षित शक्तियों से वंचित हो गए हैं. राज्य कल्याणकारी योजनाओं सहित व्यय का बड़ा हिस्सा वहन कर रहे हैं, लेकिन राजस्व का एक बड़ा हिस्सा केंद्र को जाता है.
प्रस्ताव में कहा गया है कि जब 15वें वित्तीय आयोग ने राज्यों की हिस्सेदारी निर्धारित की तो राज्य को भारी नुकसान हुआ, साथ ही कहा गया कि केंद्र ने 2021-22 से पूर्वव्यापी प्रभाव से राज्य की उधार सीमा में भी कटौती की है.