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केजरीवाल को हाईकोर्ट से झटका, यूट्यूबर ध्रुव राठी का वीडियो रीट्वीट करने पर कोर्ट में होना होगा पेश

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Feb 5, 2024, 6:08 PM IST

Updated : Feb 5, 2024, 6:50 PM IST

Delhi High Court: बीजेपी आईटी सेल को लेकर यूट्यूबर ध्रुव राठी का वीडियो रीट्वीट करने के मामले मेंं दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल को कोर्ट में पेश होना होगा. केजरीवाल ने सेशंस कोर्ट के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी थी.

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नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत नही मिली है. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने बीजेपी आईटी सेल को लेकर यूट्यूबर ध्रुव राठी के वीडियो को रीट्वीट करने पर केजरीवाल के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि किसी के बारे में अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना मानहानि के बराबर है.

अरविंद केजरीवाल के अच्छी-खासी संख्या में फॉलोअर्स हैं और वह वीडियो को रीट्वीट करने के नतीजों को बखूबी समझते हैं. अगर एक राज्य का मुख्यमंत्री किसी ट्वीट को बिना वेरिफाई किये रिट्वीट करता है तो ये मानहानि वाले कंटेट को बढ़ावा देना ही है. हाई कोर्ट ने इस केस में अरविंद केजरीवाल को तलब करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.

ये भी पढ़ें: मनीष सिसोदिया की कम नहीं हो रही मुश्किलें, 22 फरवरी तक बढ़ी न्यायिक हिरासत

इससे पहले 30 अक्टूबर 2019 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने विकास सांकृत्यायन की आपराधिक मानहानि शिकायत पर समन किए जाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केजरीवाल की अर्जी खारिज कर दी थी. सेशंस कोर्ट के आदेश को केजरीवाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. ट्रायल कोर्ट में शिकायत में विकास ने सांकृत्यायन कहा है कि उनके खिलाफ गलत आरोप वाले ट्वीट को केजरीवाल ने भी रीट्वीट किया था.

विकास ने कहा है कि वह 'आई सपोर्ट नरेन्द्र मोदी' नाम का सोशल मीडिया पेज चलाते हैं और उसके संस्थापक हैं. इस पेज में तथ्यपरक जानकारी दी जाती है जिसकी वजह से ये पेज सोशल मीडिया पर करोड़ों लोगों की पसंद है. याचिका में कहा गया है कि ध्रुव राठी नामक एक व्यक्ति जो अपने को इंजीनियर कहता है और जर्मनी में रहता है. वह देश-विदेश में यूट्यूब चैनल चलाता है जिसके 16 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं.

यह भी पढ़ें-संजय सिंह को बड़ी राहत, कोर्ट ने राज्यसभा सदस्य के रूप में शपथ लेने की दी अनुमति

याचिका में कहा गया है कि 6 मई 2018 को ध्रुव राठी के यू-ट्यूब चैनल पर पर बीजेपी आईटी सेल पार्ट-2 नामक एक वीडियो जारी किया गया. जिसमें कई झूठी और अपमानजनक बातें कही गई थीं. उसमें कहा गया था कि विकास सांकृत्यायन बीजेपी आईटी सेल का सेकंड-इन-कमांड है. उसमें विकास पर आरोप लगाया गया है कि 'आई सपोर्ट नरेन्द्र मोदी' के पेज के जरिए फेक यानि झूठी खबरें प्रसारित की जाती हैं. वीडियो में कहा गया है कि विकास पांडे ने किसी अभिषेक मिश्रा के जरिये महावीर प्रसाद को 50 लाख रुपये रिश्वत की पेशकश की थी.

विकास ने अपनी याचिका में कहा है कि वीडियो में लगाए गए आरोप झूठे हैं और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई है. इन आरोपों से समाज में उनकी छवि खराब हुई है. इस वीडियो को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिना उसकी तहकीकात किए उसे रीट्वीट कर दिया. केजरीवाल के देश और विदेश में बड़ी संख्या में फॉलोवर्स हैं. इस मामले में विकास और अभिषेक कुलश्रेष्ठ ने अपने बयान दर्ज कराए थे. विकास ने अपनी याचिका के पक्ष में ट्वीट किए गए वीडियो की पूरी ट्रांसक्रिप्ट कोर्ट में पेश किया था. जिसके आधार पर ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को समन करने का आदेश दिया था.

ये भी पढ़ें: मनीष सिसोदिया को कोर्ट से बड़ी राहत, बीमार पत्नी से हफ्ते में एक बार मिलने की मिली इजाजत

नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट से मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को राहत नही मिली है. जस्टिस स्वर्णकांता शर्मा की बेंच ने बीजेपी आईटी सेल को लेकर यूट्यूबर ध्रुव राठी के वीडियो को रीट्वीट करने पर केजरीवाल के खिलाफ दायर आपराधिक मानहानि मामले को रद्द करने से इनकार कर दिया. हाई कोर्ट ने कहा कि किसी के बारे में अपमानजनक सामग्री को रीट्वीट करना मानहानि के बराबर है.

अरविंद केजरीवाल के अच्छी-खासी संख्या में फॉलोअर्स हैं और वह वीडियो को रीट्वीट करने के नतीजों को बखूबी समझते हैं. अगर एक राज्य का मुख्यमंत्री किसी ट्वीट को बिना वेरिफाई किये रिट्वीट करता है तो ये मानहानि वाले कंटेट को बढ़ावा देना ही है. हाई कोर्ट ने इस केस में अरविंद केजरीवाल को तलब करने के ट्रायल कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है.

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इससे पहले 30 अक्टूबर 2019 को राऊज एवेन्यू कोर्ट ने विकास सांकृत्यायन की आपराधिक मानहानि शिकायत पर समन किए जाने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती देने वाली केजरीवाल की अर्जी खारिज कर दी थी. सेशंस कोर्ट के आदेश को केजरीवाल ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी. ट्रायल कोर्ट में शिकायत में विकास ने सांकृत्यायन कहा है कि उनके खिलाफ गलत आरोप वाले ट्वीट को केजरीवाल ने भी रीट्वीट किया था.

विकास ने कहा है कि वह 'आई सपोर्ट नरेन्द्र मोदी' नाम का सोशल मीडिया पेज चलाते हैं और उसके संस्थापक हैं. इस पेज में तथ्यपरक जानकारी दी जाती है जिसकी वजह से ये पेज सोशल मीडिया पर करोड़ों लोगों की पसंद है. याचिका में कहा गया है कि ध्रुव राठी नामक एक व्यक्ति जो अपने को इंजीनियर कहता है और जर्मनी में रहता है. वह देश-विदेश में यूट्यूब चैनल चलाता है जिसके 16 लाख से ज्यादा सब्सक्राइबर्स हैं.

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याचिका में कहा गया है कि 6 मई 2018 को ध्रुव राठी के यू-ट्यूब चैनल पर पर बीजेपी आईटी सेल पार्ट-2 नामक एक वीडियो जारी किया गया. जिसमें कई झूठी और अपमानजनक बातें कही गई थीं. उसमें कहा गया था कि विकास सांकृत्यायन बीजेपी आईटी सेल का सेकंड-इन-कमांड है. उसमें विकास पर आरोप लगाया गया है कि 'आई सपोर्ट नरेन्द्र मोदी' के पेज के जरिए फेक यानि झूठी खबरें प्रसारित की जाती हैं. वीडियो में कहा गया है कि विकास पांडे ने किसी अभिषेक मिश्रा के जरिये महावीर प्रसाद को 50 लाख रुपये रिश्वत की पेशकश की थी.

विकास ने अपनी याचिका में कहा है कि वीडियो में लगाए गए आरोप झूठे हैं और उनकी छवि को खराब करने की कोशिश की गई है. इन आरोपों से समाज में उनकी छवि खराब हुई है. इस वीडियो को दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने बिना उसकी तहकीकात किए उसे रीट्वीट कर दिया. केजरीवाल के देश और विदेश में बड़ी संख्या में फॉलोवर्स हैं. इस मामले में विकास और अभिषेक कुलश्रेष्ठ ने अपने बयान दर्ज कराए थे. विकास ने अपनी याचिका के पक्ष में ट्वीट किए गए वीडियो की पूरी ट्रांसक्रिप्ट कोर्ट में पेश किया था. जिसके आधार पर ट्रायल कोर्ट ने केजरीवाल को समन करने का आदेश दिया था.

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Last Updated : Feb 5, 2024, 6:50 PM IST
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