नई दिल्ली: दिल्ली विधानसभा में विपक्ष के नेता विजेंद्र गुप्ता की अध्यक्षता में आज भाजपा विधायक दल की बैठक आयोजित की गई. इस बैठक में आए निर्णय के अनुसार, 29 नवंबर से शुरू हो रहे विधानसभा सत्र में भाजपा विधायक सरकार के खिलाफ चर्चित जनहित और भ्रष्टाचार के मुद्दों पर आक्रामक रवैया अपनाने का निश्चय कर चुके हैं. इस बैठक में भाजपा के कई महत्वपूर्ण विधायक, जैसे मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा, अभय वर्मा, अजय महावर, अनिल बाजपेयी और जितेंद्र महाजन, ने हिस्सा लिया.
विधायक ओम प्रकाश शर्मा ने एक प्रस्ताव प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने दिल्ली सरकार द्वारा रोहिंग्याओं को वोटर कार्ड जारी करने के मुद्दे पर विरोध जताया. सभी विधायकों ने इस प्रस्ताव को सर्वसम्मति से पारित किया. विपक्षी विधायकों ने तय किया है कि सत्र के दौरान कई विवादास्पद मुद्दों को उठाते हुए आम आदमी पार्टी से जवाब मांगा जाएगा. इस संदर्भ में भाजपा के नेता विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वे 12 कैग रिपोर्टों को सदन में प्रस्तुत करने के लिए सरकार पर दबाव बनाएंगे, जिससे जनता को सरकार द्वारा किए गए खर्चों से संबंधित जानकारी मिल सकेगी.
बैठक में चर्चा के दौरान कई मुद्दों पर ध्यान केंद्रित किया गया, जिनमें दिल्ली में बढ़ते प्रदूषण, पूर्व मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के शीश महल के निर्माण में हुई अदूरदर्शिता, और गरीब लोगों को राशन कार्ड न देने जैसी समस्याएं शामिल थीं. उन्होंने यह भी कहा कि दिल्ली के 29 राजकीय प्रतिभा विकास विद्यालयों का बंद होना, अस्पतालों में अधूरे आईसीयू ब्लॉक्स, और मल्टीमिलियन धन की बर्बादी जैसे मामलों पर सरकार को जवाब देना होगा.
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यमुना नदी के प्रदूषण, सरकारी स्कूलों में फेल हुए छात्रों की संख्या, दिल्ली जल बोर्ड के कर्ज, और बुनियादी ढांचे की अनियमितताओं जैसे कई अन्य मुद्दे भी चर्चा में आए. विपक्षी दल ने यह साफ किया कि यह सरकार हर मोर्चे पर विफल साबित हो चुकी है, और भ्रष्टाचार केवल एक उद्देश्य बनकर रह गया है. जनहित की समस्याओं की अनदेखी और नागरिकों की परेशानियों के प्रति सरकार की उदासीनता उनकी स्थिति को और गंभीर बना रही है.
इस बैठक के दौरान विजेंद्र गुप्ता ने स्पष्ट किया कि भाजपा विधायक दल अगले सत्र में जनहित के मुद्दों पर कोई भी समझौता नहीं करेगा और वे किसी भी कीमत पर सरकार से जवाब मांगेंगे. यह न केवल भाजपा के लिए बल्कि दिल्ली के नागरिकों के लिए भी महत्वपूर्ण है कि सरकार उन मुद्दों पर जवाबदेह बने, जो उनके जीवन को प्रभावित कर रहे हैं. इस बार का विधानसभा सत्र भाजपा के लिए एक सुनहरा मौका है, ताकि वे अपनी बात मजबूती से रख सकें और जनता की आवाज को विधानसभा में पहुंचा सकें.
बता दें कि सितम्बर में हुए विधानसभा सत्र में सरकार ने प्रश्नकाल न रखकर विधायकों को जनहित के मुद्दे पर चर्चा करने से विधायकों को वंचित रखा था और इस बार भी सरकार ने प्रश्नकाल का प्रावधान नहीं किया है. इसलिए विपक्ष सरकार से मांग करेगा कि वह सत्र में प्रश्नकाल रखे ताकि विधायक जनहित के मुद्दे पर विस्तार से चर्चा कर सकें और सरकार का जवाब मांग सकें.
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