बेंगलुरु: ऑल इंडिया मेडिकल एंट्रेंस एग्जाम (NEET) के खिलाफ आवाज उठाते हुए, सिद्धारमैया के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार ने गुरुवार को विधानसभा के दोनों सदनों में परीक्षा के खिलाफ एक प्रस्ताव पारित किया. साथ ही केंद्र से मांग की कि वह कर्नाटक में मेडिकल प्रवेश के लिए पुरानी प्रणाली कॉमन एंट्रेंस टेस्ट (CET) को वापस लाने की अनुमति दे.
NEET परीक्षा में खामियों और हाल ही में हुई अनियमितताओं की ओर इशारा करते हुए, प्रस्ताव में केंद्र सरकार से कर्नाटक को इस परीक्षा से छूट देने और राज्य सरकार की ओर से आयोजित CET के आधार पर मेडिकल कॉलेजों में प्रवेश देने की अनुमति देने का आग्रह किया गया है. विधानसभा में यह प्रस्ताव राज्य के मेडिकल ऐजूकेशन और स्किल डेवलपमेंट मिनिस्टर डॉ शरण प्रकाश पाटिल ने पेश किया, जबकि उपमुख्यमंत्री डीके शिवकुमार ने इसे विधान परिषद में पेश किया.
क्या कहता है प्रस्ताव?
इसमें कहा गया है कि नीट परीक्षा प्रणाली गरीब ग्रामीण छात्रों के मेडिकल ऐजूकेशन के अवसरों को गंभीर रूप से प्रभावित करती है और राज्य सरकारों के संचालित सरकारी मेडिकल कॉलेजों में छात्रों को प्रवेश देने के अधिकारों से वंचित करती है.
नीट परीक्षा में बार-बार होने वाली अनियमितताओं को देखते हुए केंद्र सरकार को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग अधिनियम, 2019 (केंद्रीय अधिनियम 30, 2019) में आवश्यक संशोधन करना चाहिए ताकि राष्ट्रीय स्तर पर नीट प्रणाली को समाप्त किया जाए.
कर्नाटक को नीट से छूट दी जाए
प्रस्ताव में कहा गया है कि कर्नाटक विधान परिषद सर्वसम्मति से आग्रह करती है कि केंद्र सरकार कर्नाटक को तुरंत परीक्षा से छूट दे और राज्य सरकार के आयोजित कॉमन एंट्रेंस टेस्ट के आधार पर मेडिकल प्रवेश प्रदान करे.
इसमें कहा गया है कि मेडिकल ऐजूकेशन मंत्री डॉ. शरण प्रकाश पाटिल लगातार नीट परीक्षा का विरोध कर रहे हैं और इसमें बड़े पैमाने पर अनियमितताओं को उजागर कर रहे हैं. उनका कहना है कि यह सिस्टम वंचित और ग्रामीण छात्रों के अवसरों और उनके मेडिकल प्रोफेशन में आने के सपने को प्रभावित कर रहा है.
टीएमसी ने भी पेश किया था प्रस्ताव
इससे पहले बुधवार को पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी सरकार ने पश्चिम बंगाल विधानसभा में एक प्रस्ताव पास किया था, जिसमें नीट को खत्म करने और अलग-अलग राज्य सरकारों की ऐसी परीक्षाएं आयोजित करने की पिछली प्रणाली को बहाल करने की मांग की गई थी.