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चलती ट्रेन से गिरकर यात्री की मृत्यु होने पर रेलवे को देना होगा मुआवजा: कर्नाटक हाई कोर्ट - Railways Liable To Pay Compensation

Railways Liable To Pay Compensation: रेलवे के वकील ने दलील देते हुए कहा कि मृतक महिला गलती से गलत ट्रेन में चढ़ गई थी. फिर ट्रेन चलने पर उसे अगले स्टेशन पर उतरना चाहिए या अलार्म चेन खींचनी चाहिए थी. उसने बिना सोचे-समझे स्वेच्छा से जानबूझकर चलती ट्रेन से उतरने का प्रयास किया.

RAILWAYS LIABLE TO PAY COMPENSATION
कर्नाटक हाई कोर्ट
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Apr 30, 2024, 9:15 AM IST

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने रेलवे को आदेश देते हुए कहा कि उस यात्री के परिवार को मुआवजा देना चाहिए, जो चलती ट्रेन से गिर गई और उसकी मृत्यु हो गई थी. इससे पहले रेलवे मुआवजा न्यायाधिकरण ने पीड़ित जयम्मा की मौत पर मुआवजा देने से इनकार कर दिया था. बता दें, रामानगर जिले के चन्नापटना निवासी रोजामणि और अन्य ने रेलवे मुआवजा न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एचपी संदेश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए रेलवे को मृत महिला के परिवार को 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 4 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है. इसके अलावा, पीठ ने कहा कि यदि चलती ट्रेन से उतरते समय किसी यात्री की मृत्यु हो जाती है, तो यह रेलवे का कर्तव्य है कि वह पीड़ित परिवार को मुआवजा दे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मृतका जयम्मा अपनी बहन के साथ गलती से गलत ट्रेन में चढ़ गई थी.

जैसे ही उसको पता चला कि वह गलत ट्रेन में सवार हो गई तो वह उतरने लगी और तभी ट्रेन चल पड़ी. ट्रेन के चलने से वह नियंत्रण खो बैठी और नीचे गिर गई और गंभीर रूप से घायल हो गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. याचिकाकर्ता ने इस पर विचार करते हुए परिवार को उचित मुआवजा देने की गुहार लगाई. हालांकि, रेलवे ने कहा है कि यह घटना आकस्मिक नहीं बल्कि जानबूझकर की गई थी, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं दिया है. याचिकाकर्ता ने अनुरोध करते हुए कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और रेलवे अधिकार न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द किया जाए.

रेलवे के वकील ने दलील देते हुए कहा कि मृतक महिला गलती से गलत ट्रेन में चढ़ गई थी. फिर ट्रेन चलने पर उसे अगले स्टेशन पर उतरना चाहिए या अलार्म चेन खींचनी चाहिए थी. उसने बिना सोचे-समझे स्वेच्छा से जानबूझकर चलती ट्रेन से उतरने का प्रयास किया. यह नहीं कहा जा सकता कि घटना आकस्मिक रूप से घटी. इसलिए, रेलवे अधिनियम की धारा 123 (ई) के तहत कोई मुआवजा नहीं दिया जा सकता है. रेलवे के वकील की दलीलों को दरकिनार करते हुए पीठ ने कहा कि यदि चलती ट्रेन से उतरते समय किसी यात्री की मृत्यु हो जाती है, तो दावेदारों को मुआवजा देना रेलवे का कर्तव्य है.

जानकारी के मुताबिक 2014 में जयम्मा अपनी बहन रत्नम्मा के साथ चन्नापटना रेलवे स्टेशन गईं थी और मैसूर के अशोकपुरम जाने के लिए 'तिरुपति पैसेंजर' ट्रेन का इंतजार कर रही थीं. तभी 'तूतीकोरिन एक्सप्रेस' ट्रेन आ गई. वे दोनों उस ट्रेन में चढ़ गये. यह जानने के बाद कि ट्रेन अशोकपुरम नहीं जा रही है, जयम्मा ट्रेन से उतरने लगीं और अचानक से गिर गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.

पढ़ें: स्पेशल स्टॉफ की टीम ने रेलवे लाइन पर जुआरी गिरोह का किया भंडाफोड़, 11 आरोपी गिरफ्तार - Delhi Gambling Gang Busted

बेंगलुरु: कर्नाटक हाईकोर्ट ने रेलवे को आदेश देते हुए कहा कि उस यात्री के परिवार को मुआवजा देना चाहिए, जो चलती ट्रेन से गिर गई और उसकी मृत्यु हो गई थी. इससे पहले रेलवे मुआवजा न्यायाधिकरण ने पीड़ित जयम्मा की मौत पर मुआवजा देने से इनकार कर दिया था. बता दें, रामानगर जिले के चन्नापटना निवासी रोजामणि और अन्य ने रेलवे मुआवजा न्यायाधिकरण के आदेश को चुनौती देने के लिए उच्च न्यायालय में याचिका दायर की थी. उस पर सुनवाई करते हुए कोर्ट ने यह आदेश दिया है.

कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति एचपी संदेश की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस याचिका पर सुनवाई की. कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए रेलवे को मृत महिला के परिवार को 7 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ 4 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया है. इसके अलावा, पीठ ने कहा कि यदि चलती ट्रेन से उतरते समय किसी यात्री की मृत्यु हो जाती है, तो यह रेलवे का कर्तव्य है कि वह पीड़ित परिवार को मुआवजा दे. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता के वकील ने कहा कि मृतका जयम्मा अपनी बहन के साथ गलती से गलत ट्रेन में चढ़ गई थी.

जैसे ही उसको पता चला कि वह गलत ट्रेन में सवार हो गई तो वह उतरने लगी और तभी ट्रेन चल पड़ी. ट्रेन के चलने से वह नियंत्रण खो बैठी और नीचे गिर गई और गंभीर रूप से घायल हो गई और उसकी मौके पर ही मौत हो गई. याचिकाकर्ता ने इस पर विचार करते हुए परिवार को उचित मुआवजा देने की गुहार लगाई. हालांकि, रेलवे ने कहा है कि यह घटना आकस्मिक नहीं बल्कि जानबूझकर की गई थी, लेकिन इसका कोई सबूत नहीं दिया है. याचिकाकर्ता ने अनुरोध करते हुए कहा कि इस मामले को गंभीरता से लिया जाए और रेलवे अधिकार न्यायाधिकरण के आदेश को रद्द किया जाए.

रेलवे के वकील ने दलील देते हुए कहा कि मृतक महिला गलती से गलत ट्रेन में चढ़ गई थी. फिर ट्रेन चलने पर उसे अगले स्टेशन पर उतरना चाहिए या अलार्म चेन खींचनी चाहिए थी. उसने बिना सोचे-समझे स्वेच्छा से जानबूझकर चलती ट्रेन से उतरने का प्रयास किया. यह नहीं कहा जा सकता कि घटना आकस्मिक रूप से घटी. इसलिए, रेलवे अधिनियम की धारा 123 (ई) के तहत कोई मुआवजा नहीं दिया जा सकता है. रेलवे के वकील की दलीलों को दरकिनार करते हुए पीठ ने कहा कि यदि चलती ट्रेन से उतरते समय किसी यात्री की मृत्यु हो जाती है, तो दावेदारों को मुआवजा देना रेलवे का कर्तव्य है.

जानकारी के मुताबिक 2014 में जयम्मा अपनी बहन रत्नम्मा के साथ चन्नापटना रेलवे स्टेशन गईं थी और मैसूर के अशोकपुरम जाने के लिए 'तिरुपति पैसेंजर' ट्रेन का इंतजार कर रही थीं. तभी 'तूतीकोरिन एक्सप्रेस' ट्रेन आ गई. वे दोनों उस ट्रेन में चढ़ गये. यह जानने के बाद कि ट्रेन अशोकपुरम नहीं जा रही है, जयम्मा ट्रेन से उतरने लगीं और अचानक से गिर गई, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई.

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