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अयोध्या स्थित राममंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ ही कर्नाटक के हम्पी में उत्साह का माहौल

Ayodhya Hampi : अयोध्या राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा को लेकर कर्नाटक के हम्पी में भी उत्साह है. अंजना की पहाड़ी अंजनाद्रि पर बजरंगबली हनुमान का जन्म हुआ था. रविवार से दो दिनों तक मंदिर में पारंपरिक दीपक जलाए जाएंगे और विशेष पूजा की जाएगी.

ram temple in ayodhya
अयोध्या राम मंदिर
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By PTI

Published : Jan 21, 2024, 8:47 PM IST

बेंगलुरु : अयोध्या स्थित राम मंदिर में सोमवार को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के बीच कर्नाटक के नवगठित विजयनगर जिले में स्थित हम्पी में उत्साह का माहौल है. हम्पी में तुंगभद्रा नदी चट्टानी इलाकों से होकर बहती है.

राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ, हम्पी का ऐतिहासिक क्षेत्र और भी महत्वपूर्ण हो गया है. यह स्थान भगवान राम के जीवन से जुड़ा हुआ है क्योंकि यहीं पर उनमें अपनी पत्नी सीता को वापस पाने की आशा जगी थी. माता सीता का अपहरण लंका के राक्षस राजा रावण ने कर लिया था.

अंजना की पहाड़ी अंजनाद्रि पर बजरंगबली हनुमान का जन्म हुआ था. यह विजयनगर साम्राज्य की राजधानी से कुछ ही किलोमीटर दूर कोप्पल जिले में स्थित है. हनुमान भगवान राम के परम भक्त माने जाते हैं.

पहाड़ी की चोटी पर हनुमान का एक प्राचीन मंदिर है, जहां बड़ी संख्या में लंगूर सहित विभिन्न प्रकार के बंदर रहते हैं. महाकाव्य रामायण में भगवान राम के प्रति सुग्रीव के मंत्री हनुमान की अटूट भक्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है.

कोप्पल जिले में अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन ने अयोध्या के राममंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है और यहां मंदिर को रोशनी से सजाया गया है. काफी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु इस मंदिर में आ रहे हैं. पूरी पहाड़ी को रोशनी से सजाया गया है और समारोह के मद्देनजर कई अस्थायी दुकानें खुल गई हैं.

हम्पी और अयोध्या का रिश्ता बहुत गहरा : मंदिर प्रबंधन के अनुसार, रविवार से दो दिनों तक मंदिर में पारंपरिक दीपक जलाए जाएंगे और विशेष पूजा की जाएगी. हम्पी और अयोध्या का रिश्ता बहुत गहरा है. हम्पी को प्राचीन समय में पम्पा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था जो किष्किंधा साम्राज्य की राजधानी थी. किष्किंधा पर दो वीर वानर शासकों बाली और सुग्रीव का शासन था.

अंजनाद्रि से कुछ किलोमीटर दूर ऋष्यमूक पहाड़ी है जहां वानर राजा सुग्रीव अपने भाई बाली द्वारा भगाए जाने के बाद निर्वासन में रहते थे. तुंगभद्रा नदी के पार ऋष्यमूक की तलहटी में गुफा है, जहां राम और सुग्रीव ने अग्नि को साक्षी रखकर मित्रता की शपथ ली थी. इस क्षेत्र में अनेगुंडी नामक एक स्थान भी है, जिसका नाम बाली के पुत्र अंगद के नाम पर रखा गया है.

इतिहासकार राघवेंद्र राव कुलकर्णी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम्पी रामायण के किष्किंधा कांड और सुंदरकांड में वर्णित किष्किंधा क्षेत्र है. प्रोफेसर ए सुंदर ने साबित कर दिया है कि हम्पी और उसके आसपास का क्षेत्र रामायण में वर्णित किष्किंधा क्षेत्र के अनुरूप है.' भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक पुरातत्वविद् ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि देशभर के पुरातत्वविद् और इतिहासकार इस बात पर एकमत हैं कि हम्पी किष्किंधा क्षेत्र है.

कुलकर्णी ने कहा, 'आप इस क्षेत्र में कई प्रागैतिहासिक गुफा चित्र पा सकते हैं. यह साबित करने के लिए कई पुरातात्विक साक्ष्य हैं कि यह स्थान लगभग 1.5 लाख वर्षों तक आबाद था.'

उन्होंने कहा कि अंजनाद्रि पहाड़ी विजयनगर राजवंश के अस्तित्व में आने से पहले भी एक प्रसिद्ध स्थान था. इतिहासकार ने यह भी कहा कि यह तथ्य श्री वैष्णव और माधव संप्रदाय के अनुयायियों को पता था, जो हम्पी को सबसे पवित्र स्थान मानते थे.

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इसरो ने अयोध्या में राम मंदिर की उपग्रह तस्वीर की जारी


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राम मंदिर में 22 जनवरी को होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह के साथ, हम्पी का ऐतिहासिक क्षेत्र और भी महत्वपूर्ण हो गया है. यह स्थान भगवान राम के जीवन से जुड़ा हुआ है क्योंकि यहीं पर उनमें अपनी पत्नी सीता को वापस पाने की आशा जगी थी. माता सीता का अपहरण लंका के राक्षस राजा रावण ने कर लिया था.

अंजना की पहाड़ी अंजनाद्रि पर बजरंगबली हनुमान का जन्म हुआ था. यह विजयनगर साम्राज्य की राजधानी से कुछ ही किलोमीटर दूर कोप्पल जिले में स्थित है. हनुमान भगवान राम के परम भक्त माने जाते हैं.

पहाड़ी की चोटी पर हनुमान का एक प्राचीन मंदिर है, जहां बड़ी संख्या में लंगूर सहित विभिन्न प्रकार के बंदर रहते हैं. महाकाव्य रामायण में भगवान राम के प्रति सुग्रीव के मंत्री हनुमान की अटूट भक्ति के बारे में विस्तार से बताया गया है.

कोप्पल जिले में अंजनाद्रि मंदिर प्रबंधन ने अयोध्या के राममंदिर में होने वाले प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मनाने के लिए विस्तृत व्यवस्था की है और यहां मंदिर को रोशनी से सजाया गया है. काफी संख्या में पर्यटक और श्रद्धालु इस मंदिर में आ रहे हैं. पूरी पहाड़ी को रोशनी से सजाया गया है और समारोह के मद्देनजर कई अस्थायी दुकानें खुल गई हैं.

हम्पी और अयोध्या का रिश्ता बहुत गहरा : मंदिर प्रबंधन के अनुसार, रविवार से दो दिनों तक मंदिर में पारंपरिक दीपक जलाए जाएंगे और विशेष पूजा की जाएगी. हम्पी और अयोध्या का रिश्ता बहुत गहरा है. हम्पी को प्राचीन समय में पम्पा क्षेत्र के नाम से जाना जाता था जो किष्किंधा साम्राज्य की राजधानी थी. किष्किंधा पर दो वीर वानर शासकों बाली और सुग्रीव का शासन था.

अंजनाद्रि से कुछ किलोमीटर दूर ऋष्यमूक पहाड़ी है जहां वानर राजा सुग्रीव अपने भाई बाली द्वारा भगाए जाने के बाद निर्वासन में रहते थे. तुंगभद्रा नदी के पार ऋष्यमूक की तलहटी में गुफा है, जहां राम और सुग्रीव ने अग्नि को साक्षी रखकर मित्रता की शपथ ली थी. इस क्षेत्र में अनेगुंडी नामक एक स्थान भी है, जिसका नाम बाली के पुत्र अंगद के नाम पर रखा गया है.

इतिहासकार राघवेंद्र राव कुलकर्णी ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, 'इसमें कोई संदेह नहीं है कि हम्पी रामायण के किष्किंधा कांड और सुंदरकांड में वर्णित किष्किंधा क्षेत्र है. प्रोफेसर ए सुंदर ने साबित कर दिया है कि हम्पी और उसके आसपास का क्षेत्र रामायण में वर्णित किष्किंधा क्षेत्र के अनुरूप है.' भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के एक पुरातत्वविद् ने 'पीटीआई-भाषा' को बताया कि देशभर के पुरातत्वविद् और इतिहासकार इस बात पर एकमत हैं कि हम्पी किष्किंधा क्षेत्र है.

कुलकर्णी ने कहा, 'आप इस क्षेत्र में कई प्रागैतिहासिक गुफा चित्र पा सकते हैं. यह साबित करने के लिए कई पुरातात्विक साक्ष्य हैं कि यह स्थान लगभग 1.5 लाख वर्षों तक आबाद था.'

उन्होंने कहा कि अंजनाद्रि पहाड़ी विजयनगर राजवंश के अस्तित्व में आने से पहले भी एक प्रसिद्ध स्थान था. इतिहासकार ने यह भी कहा कि यह तथ्य श्री वैष्णव और माधव संप्रदाय के अनुयायियों को पता था, जो हम्पी को सबसे पवित्र स्थान मानते थे.

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