नई दिल्ली : वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने बुधवार को कहा कि केंद्र ने कर्नाटक सरकार को दी जाने वाली सभी राशि समय पर जारी की है. उन्होंने कहा कि वित्त आयोग ने जो भी सिफारिशें की हैं, उसका अक्षरश: पालन किया गया है. सीतारमण ने केंद्रीय अंतरिम बजट, जम्मू-कश्मीर अंतरिम बजट और अनुपूरक अनुदान मांगों पर चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि कर्नाटक को बुनियादी ढांचे के विकास को लेकर 50 साल के लिए ब्याज मुक्त कर्ज भी प्रदान किया गया है.
लोकसभा में बुधवार को 2024-25 के लिए 47.66 लाख करोड़ रुपये का अंतरिम बजट और केंद्र शासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर के लिए 1.8 लाख करोड़ रुपये के बजट को ध्वनिमत से मंजूरी दे दी गयी. इसके साथ अनुपूरक अनुदान मांगों और संबंधित विनियोग विधेयकों को भी मंजूरी दी गयी. उन्होंने कहा, 'मैं सदन को आश्वस्त करना चाहती हूं कि वित्त आयोग ने जो भी सिफारिशें की हैं, मैंने उसका अक्षरश: पालन किया है.' वित्त मंत्री ने आश्चर्य जताते हुए कहा, 'कहां और किसने कर्नाटक को पैसे देने से इनकार किया.'
आंकड़ा देते हुए उन्होंने कहा, 13वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार, कर्नाटक को 61,691 करोड़ रुपये दिए गए, जबकि 14वें वित्त आयोग की सिफारिश के अनुसार 1,51,309 करोड़ रुपये प्रदान किए गए. सीतारमण ने कहा कि 15वें वित्त आयोग के पांच साल के कार्यकाल के मुकाबले चार साल में राज्य को 1,29,854 करोड़ रुपये उपलब्ध कराए गए हैं. उन्होंने कहा कि अनुमान है कि पांचवें वर्ष के अंत में कर्नाटक को 1,74,339 करोड़ रुपये प्राप्त होंगे. उन्होंने कहा कि यह केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के संदर्भ में है.
वित्त मंत्री ने कहा, 'यदि आप अनुदान सहायता पर नजर डालें, तो संप्रग (संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन) के 10 वर्षों के शासन में कर्नाटक को 60,779.84 करोड़ रुपये मिले. नरेंद्र मोदी सरकार के नौ वर्षों में, कर्नाटक को 2,08,832.02 करोड़ रुपये मिले. इसके अलावा, अतिरिक्त अनुदान सहायता के रूप में कर्नाटक के लिए इस साल 18,005 करोड़ का प्रावधान किया गया है. सीतारमण ने कहा, 'हमारे 10 वर्षों में, कर्नाटक को 2,26,837 करोड़ रुपये मिल रहे हैं. कर्नाटक को 50 साल के लिए ब्याज मुक्त ऋण के रूप में 6,280 करोड़ रुपये भी मिले हैं. कर्नाटक को पैसा देने से कहां इनकार किया जा रहा है? कर्नाटक को कहां कम पैसा मिल रहा है.'
कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया ने राज्य को केंद्रीय करों में हिस्सेदारी के हस्तांतरण पर केंद्र द्वारा अन्याय करने का आरोप लगाया है. उन्होंने अपनी मांग के समर्थन में दिल्ली में धरना दिया. सीतारमण ने मूल्यवृद्धि का जिक्र करते हुए कहा कि खुदरा मुद्रास्फीति स्थिर है और यह संतोषजनक दायरे में आ गयी है. इसका कारण सरकार की तरफ से उठाए गए कदम हैं. खासकर जल्दी खराब होने वाले जिंसों के संबंध जो पहल की गयी है, उससे मूल्य अंकुश में आए हैं.
देश में खुदरा मुद्रास्फीति अप्रैल-दिसंबर 2022 में औसतन 6.8 प्रतिशत से घटकर 2023 की इसी अवधि में 5.5 प्रतिशत पर आ गई है. खुदरा मुद्रास्फीति अब स्थिर है और यह दो प्रतिशत से छह प्रतिशत के लक्ष्य के दायरे में है. वित्त मंत्री ने कहा कि प्याज की कीमतों में उतार-चढ़ाव को रोकने के लिए सरकार ने इसके 'बफर' आकार को 2020-21 में एक लाख टन से बढ़ाकर 2023-24 में सात लाख टन कर दिया गया है. तीन फरवरी, 2024 तक कुल 6.32 लाख प्याज की खरीद की गई और 3.96 लाख टन ग्रेड-ए स्तर के प्याज को खुदरा बिक्री, ई-नाम नीलामी और थोक बिक्री के माध्यम से जारी किया गया.
इसके अलावा, भारत ब्रांडेड 'भारत दाल' भी लाई गई है. चना दाल एकल पैक में 60 रुपये प्रति किलोग्राम पर उपलब्ध कराई जाती है. वहीं 30 किलोग्राम के पैक में इसे खरीदने पर कीमत 55 रुपये प्रति किलोग्राम बैठेगी. 30 जनवरी, 2024 तक 2.97 लाख टन चना बेचा जा चुका है. रियायती मूल्य पर आने वाली 'भारत दाल' सभी खुदरा बाजारों में उपलब्ध है. उन्होंने कहा कि लोगों को राहत देने के लिए भारत आटा ब्रांड नाम से 27.50 रुपये प्रति किलो की दर पर बेचा जा रहा है. उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित खुदरा मुद्रास्फीति दिसंबर, 2023 में 5.69 प्रतिशत रही.
सीतारमण ने यह भी कहा कि जहां कार्यबल में वृद्धि हुई है, वहीं बेरोजगारी दर में काफी गिरावट आई है. ईपीएफओ से जुड़ने वाले लोगों की संख्या में उल्लेखनीय रूप से बढ़ी है. उन्होंने राजकोषीय घाटे के बारे में कहा कि सरकार ने राजकोषीय दायित्व और बजट प्रबंधन (एफआरबीएम) में निर्धारित लक्ष्यों में सुधार करने की कोशिश की है. सीतारमण ने कहा कि 2023-24 में राजकोषीय घाटा पहले के अनुमानित 5.9 प्रतिशत से कम होकर 5.8 प्रतिशत हो गया है.
अगले वित्त वर्ष में राजकोषीय घाटा जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) का 5.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है, जबकि तय लक्ष्यों के अनुसार इसके 5.2 प्रतिशत रहने की संभावना जतायी गयी थी. वित्त मंत्री ने यह भी कहा कि सामाजिक क्षेत्रों और विकास योजनाओं के लिए अंतरिम बजट में आवंटन बढ़ाया गया है. बांग्लादेश और श्रीलंका में प्रति व्यक्ति आय के संबंध में सदस्यों की तरफ से उठाए गए मुद्दों का जवाब देते हुए उन्होंने कहा, 'केवल प्रति व्यक्ति सकल घरेलू उत्पाद की तुलना करने से साफ तस्वीर नहीं मिलती है.' उन्होंने कहा कि आर्थिक वृद्धि पर भी ध्यान देने की जरूरत है. भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है और लगातार चौथे वर्ष आर्थिक वृद्धि दर सात प्रतिशत से अधिक रहने की उम्मीद है.
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