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'स्टेबलाइजर और कॉल रिकॉर्डर' डिवाइस सिस्टम, क्या इसके लगने से नहीं होंगे ट्रेन हादसे? - Tech for Train passenger safety

How to Conrol Train Accident: पश्चिम बंगाल के न्यू जलपाईगुड़ी के पास एक मालगाड़ी ने कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन में पीछे से टक्कर मार दी थी. इस हादसे में चालक सहित 10 लोगों की मौत हो गई थी, जबकि 40 अन्य घायल हो गए थे. वहीं,नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (एनईएफआर) ने कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना से बड़ा सबक सीखा है.

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कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन हादसा (फाइल) (ANI)
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By ETV Bharat Hindi Team

Published : Jun 22, 2024, 7:27 PM IST

Updated : Jun 22, 2024, 7:53 PM IST

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना से नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NEFR) ने बड़ा सबक सीखा है. हादसे के बाद रेलवे अधिकारी यात्री सुरक्षा के मोर्चे पर और ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं. विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के बीच समन्वय और संचार में सुधार के उपाय के रूप में, एनईएफआर ने प्रत्येक रेलगेट केबिन में 'स्टेबलाइजर और कॉल रिकॉर्डर' स्थापित करने का निर्णय लिया है. नतीजतन, अब से गेटमैन और स्टेशन मास्टर तथा अधिकारियों के बीच होने वाली हर बात मशीन पर रिकॉर्ड हो जाएगी.

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे की क्या थी बड़ी वजह?
कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद रेलवे इसकी वजह जानने में जुट गया है. चार दिनों से रेल दुर्घटना की जांच चल रही है, लेकिन फिर भी जांच अधिकारी अभी तक कोई सुराग हासिल नहीं कर सके हैं. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, रेलवे की नई लापरवाही निकल कर सामने आ रही है. जिनमें से एक है रंगापानी रेलवे स्टेशन मास्टर और गेटमैन के बीच की बातचीत. कटिहार मंडल के डीआरएम सुरेंद्र कुमार ने कहा कि, 'रेल दुर्घटना वाले दिन ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम में खराबी के कारण मेमो के जरिए अनुमति दी गई थी.

मालगाड़ी की स्पीड ज्यादा थी
उन्होंने बताया कि, मेमो ऑर्डर के मुताबिक, मालगाड़ी की स्पीड जितनी होनी चाहिए थी, उससे कहीं ज्यादा थी. रंगापानी स्टेशन पार कर रहे एक रेलवे गेट गार्ड ने मालगाड़ी की स्पीड ज्यादा होने की जानकारी स्टेशन मास्टर को दी. लेकिन किसने, क्या किया? जानकारी दें? उसने किसे रिपोर्ट की? इन सभी की जांच की जा रही है. वह गार्ड सच बोल रहा है या नहीं, इस मामले में कॉल रिकॉर्ड से भी जांच की जा रही है.'

चीफ पब्लिक पूर्वोत्तर रेलवे के रिलेशन अधिकारी सब्यसाची डे ने कहा कि, 'आयोग की जांच के दौरान कुछ भी कहना संभव नहीं है...और मैं अभी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.' उन्होंने रेल हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आगे कहा कि, एक-एक कर प्रत्येक रेलगेट केबिन में नए उपकरण लगाने का काम शुरू हो गया है.

रेलवे फाटकों पर डिवाइस लगाने का निर्णय
अब तक यह विशेष उपकरण कई महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों के केबिनों में मौजूद था-जिसमें रेलवे गेट भी शामिल थे, लेकिन सभी रेलवे गेटों पर नहीं. लेकिन कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद रेलवे अधिकारियों को यात्री सुरक्षा को लेकर सवालों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए रेलवे ने कटिहार मंडल के सभी स्टेशनों से जुड़े विभिन्न रेलवे फाटकों पर डिवाइस लगाने का निर्णय लिया है. डिवाइस को सीधे गार्ड के टेलीफोन से जोड़ा जा सकता है. रेलवे सूत्रों के मुताबिक, डिवाइस के जरिए टेलीफोन स्थिरीकरण या संचार में सुधार किया जाएगा. वहीं स्टेशन मास्टर की गार्ड से हुई बातचीत रिकार्ड की जाएगी. ताकि भविष्य में कोई भी समस्या होने पर डिवाइस के माध्यम से सारी जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सके.

ये भी पढ़ें: कंचनजंगा ट्रेन हादसा : 10 की मौत, 50 से अधिक घायल, रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा

सिलीगुड़ी: पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी में कंचनजंगा एक्सप्रेस ट्रेन दुर्घटना से नॉर्थ ईस्ट फ्रंटियर रेलवे (NEFR) ने बड़ा सबक सीखा है. हादसे के बाद रेलवे अधिकारी यात्री सुरक्षा के मोर्चे पर और ज्यादा सक्रिय नजर आ रहे हैं. विभिन्न विभागों के कर्मचारियों के बीच समन्वय और संचार में सुधार के उपाय के रूप में, एनईएफआर ने प्रत्येक रेलगेट केबिन में 'स्टेबलाइजर और कॉल रिकॉर्डर' स्थापित करने का निर्णय लिया है. नतीजतन, अब से गेटमैन और स्टेशन मास्टर तथा अधिकारियों के बीच होने वाली हर बात मशीन पर रिकॉर्ड हो जाएगी.

कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे की क्या थी बड़ी वजह?
कंचनजंगा एक्सप्रेस हादसे के बाद रेलवे इसकी वजह जानने में जुट गया है. चार दिनों से रेल दुर्घटना की जांच चल रही है, लेकिन फिर भी जांच अधिकारी अभी तक कोई सुराग हासिल नहीं कर सके हैं. जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ रही है, रेलवे की नई लापरवाही निकल कर सामने आ रही है. जिनमें से एक है रंगापानी रेलवे स्टेशन मास्टर और गेटमैन के बीच की बातचीत. कटिहार मंडल के डीआरएम सुरेंद्र कुमार ने कहा कि, 'रेल दुर्घटना वाले दिन ऑटोमेटिक सिग्नल सिस्टम में खराबी के कारण मेमो के जरिए अनुमति दी गई थी.

मालगाड़ी की स्पीड ज्यादा थी
उन्होंने बताया कि, मेमो ऑर्डर के मुताबिक, मालगाड़ी की स्पीड जितनी होनी चाहिए थी, उससे कहीं ज्यादा थी. रंगापानी स्टेशन पार कर रहे एक रेलवे गेट गार्ड ने मालगाड़ी की स्पीड ज्यादा होने की जानकारी स्टेशन मास्टर को दी. लेकिन किसने, क्या किया? जानकारी दें? उसने किसे रिपोर्ट की? इन सभी की जांच की जा रही है. वह गार्ड सच बोल रहा है या नहीं, इस मामले में कॉल रिकॉर्ड से भी जांच की जा रही है.'

चीफ पब्लिक पूर्वोत्तर रेलवे के रिलेशन अधिकारी सब्यसाची डे ने कहा कि, 'आयोग की जांच के दौरान कुछ भी कहना संभव नहीं है...और मैं अभी इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं करना चाहता हूं.' उन्होंने रेल हादसे पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए आगे कहा कि, एक-एक कर प्रत्येक रेलगेट केबिन में नए उपकरण लगाने का काम शुरू हो गया है.

रेलवे फाटकों पर डिवाइस लगाने का निर्णय
अब तक यह विशेष उपकरण कई महत्वपूर्ण रेलवे स्टेशनों के केबिनों में मौजूद था-जिसमें रेलवे गेट भी शामिल थे, लेकिन सभी रेलवे गेटों पर नहीं. लेकिन कंचनजंगा एक्सप्रेस दुर्घटना के बाद रेलवे अधिकारियों को यात्री सुरक्षा को लेकर सवालों का सामना करना पड़ रहा है. इसलिए रेलवे ने कटिहार मंडल के सभी स्टेशनों से जुड़े विभिन्न रेलवे फाटकों पर डिवाइस लगाने का निर्णय लिया है. डिवाइस को सीधे गार्ड के टेलीफोन से जोड़ा जा सकता है. रेलवे सूत्रों के मुताबिक, डिवाइस के जरिए टेलीफोन स्थिरीकरण या संचार में सुधार किया जाएगा. वहीं स्टेशन मास्टर की गार्ड से हुई बातचीत रिकार्ड की जाएगी. ताकि भविष्य में कोई भी समस्या होने पर डिवाइस के माध्यम से सारी जानकारी आसानी से प्राप्त की जा सके.

ये भी पढ़ें: कंचनजंगा ट्रेन हादसा : 10 की मौत, 50 से अधिक घायल, रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा

Last Updated : Jun 22, 2024, 7:53 PM IST
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