देहरादून: उत्तराखंड समेत देश के कई हिमालयी राज्यों में वनाग्नि की समस्या को दूर करने के लिए बड़ा कदम उठाया जा रहा है. इस मामले में पहली बार नीति आयोग ने वन एवं पर्यावरण, वित्त और गृह मंत्रालय को एक साथ इस समस्या के समाधान पर ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप बनाने के निर्देश दिए हैं. मामले में उत्तराखंड की गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद अनिल बलूनी ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष से बात की है.
उत्तराखंड के लिए गर्मियों के मौसम में वनाग्नि एक बड़ी समस्या बन जाती है. इसके लिए हर बार करोड़ों का बजट जारी होता है. लेकिन हर साल यह समस्या एक नया रूप लेकर प्रदेश के लिए चुनौती बनी रहती है. खास बात यह है कि उत्तराखंड के साथ ही तमाम दूसरे राज्य भी इससे प्रभावित हैं. इसी को देखते हुए अब नीति आयोग ने पहली बार इस समस्या के समाधान के लिए अपने स्तर पर प्रयास शुरू किए हैं. नीति आयोग द्वारा पर्यावरण, वन, गृह और वित्त मंत्रालय को इस संबंध में निर्देश जारी करते हुए एक ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप तैयार करने के लिए कहा गया है. यह ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप हिमालयी राज्यों में वनाग्नि के कारणों पर अध्ययन करेगा.
उत्तराखंड में गढ़वाल लोकसभा सीट से सांसद अनिल बलूनी ने नीति आयोग के उपाध्यक्ष सुमन बेरी से मुलाकात करते हुए हिमालयी राज्यों की समस्या पर कदम उठाने की मांग की. इसमें चिंता जताई गई थी कि लगातार प्रदेश में जंगल जल रहे हैं और बार-बार आग लगने की समस्या बढ़ती जा रही है. ऐसे में इसमें कोई स्थायी समाधान ढूंढा जाना चाहिए. उसके बाद नीति आयोग ने ज्वाइंट वर्किंग ग्रुप के माध्यम से इस पर एक वृहद अध्ययन करने का फैसला लिया है.
आग से जंगल प्रभावित: बता दें कि साल 2022 में 2129 वनाग्नि की घटना हुई. इसमें 3343 हेक्टेयर भूमि आग से प्रभावित हुई. वहीं साल 2023 में 633 वनाग्नि की घटना रिकॉर्ड की गई. जिसमें 758 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुए. 204 में अब तक 1203 आग लगने की घटना दर्ज की गई है. जिसमें 1636 हेक्टेयर जंगल प्रभावित हुआ है.
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