रांचीः झारखंड विधानसभा चुनाव से पहले केंद्रीय चुनाव आयोग सत्ता पक्ष के निशाने पर आ गया है. झामुमो ने तो आयोग के बारे में बोलते हुए शब्दों की मर्यादा को लांघ दिया है. इसकी वजह है चुनाव आयोग द्वारा लोकसभा चुनाव से पहले 2 मई 2024 को जारी प्रेस नोट.
झामुमो ने एक्स पर प्रेस नोट को जारी करते हुए अपने पोस्ट में लिखा है कि 'भाजपा लगातार @ECISVEEP के नियमों की धज्जियां उड़ा रही है और कमीशन सो रही है. आखिर भाजपा को नियम तोड़ने की विशेष छूट है क्या'. चुनाव आयोग कहता है कि किसी भी तरह का फॉर्म नहीं भरवाया जा सकता है पर भाजपा के नेता, दल बदलू लगातार इसकी धज्जियां उड़ा रहे हैं और केचुआ शांत है. मुख्यमंत्री संज्ञान लें अन्यथा INDIA भी अब ऐसे हथकंडे अपनाएगी.
भाजपा लगातार .@ECISVEEP के नियमों की धज्जियां उड़ा रहा है - और कमीशन सो रही है।
— Jharkhand Mukti Morcha (@JmmJharkhand) October 7, 2024
- आख़िर भाजपा को नियम तोड़ने की विशेष छूट है क्या ?
- आख़िर इतने छूट के बाद भी 240 ही क्यों ?
चुनाव आयोग कहता है की किसी भी तरह का फॉर्म नहीं भरवाया जा सकता है - पर भाजपा के नेता, दल बदलू लगातार… pic.twitter.com/gMwL0eWe3S
झामुमो के इस पोस्ट को री-पोस्ट करते हुए सीएम हेमंत सोरेन ने सभी उपायुक्तों को निर्देशित किया है कि @ECISVEEP के सभी नियमों का सख्ती से पालन हो. झारखंड में किसी को के.चु.आ. के नियमों को तोड़ने की आजादी नहीं है. सभी उपायुक्त दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें और सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम करते हुए सूचना दें. सीएम के इस पोस्ट पर सबसे पहले रांची के उपायुक्त ने अपने पोस्ट में लिखा है कि आदरणीय के निर्देश का संज्ञान लेते हुए त्वरित कार्रवाई सुनिश्चित करने हेतु संबंधित लोगों को निर्देशित किया गया है.
सभी उपायुक्त संज्ञान लें एवं सुनिश्चित करें की .@ECISVEEP के सभी नियमों का सख्ती से पालन हो।
— Hemant Soren (@HemantSorenJMM) October 7, 2024
झारखंड में किसी को के.चु.आ के नियमों को तोड़ने की आज़ादी नहीं है।
सभी उपायुक्त दोषियों पर कड़ी कार्रवाई करें एवं सुसंगत धाराओं में मुकदमा कायम करते हुए सूचना दें। https://t.co/a54doBxMTA
हिमंता बिस्वा सरमा ने झामुमो को दिया जवाब
झामुमो के एक्स पर पोस्ट का जवाब झारखंड बीजेपी के चुनाव सह प्रभारी हिमांता बिस्वा सरमा ने दिया है. चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभाव में आती है. अधिसूचना जारी होने तक, प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है. जब तक हम किसी नियम या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, हमारी गतिविधियों में किसी भी प्रकार का हस्तक्षेप अवैध माना जाएगा.
चुनाव आयोग की आदर्श आचार संहिता चुनाव अधिसूचना जारी होने की तिथि से प्रभाव में आती है। अधिसूचना जारी होने तक, प्रत्येक राजनीतिक दल को अपने कार्यक्रम संचालित करने का अधिकार है। जब तक हम किसी नियम या संवैधानिक प्रावधान का उल्लंघन नहीं कर रहे हैं, हमारी गतिविधियों में किसी भी प्रकार… https://t.co/RqNtD0lyIU
— Himanta Biswa Sarma (@himantabiswa) October 7, 2024
क्या है चुनाव आयोग के प्रेस नोट में
2 मई 2024 को जारी प्रेस नोट के जरिए चुनाव आयोग ने कहा था कि 'राजनीतिक दलों और उम्मीदवारों द्वारा अपनी प्रस्तावित लाभार्थी योजना के लिए विभिन्न सर्वेक्षणों की आड़ में मतदाताओं के विवरण मांगने को गंभीरता से लिया है. इसे लोक अधिनियम, 1951 की धारा 123 (1) के तहत रिश्वतखोरी का भ्रष्ट आचरण माना है. इसमें उल्लेख किया गया है कि कुछ राजनीतिक दल और उम्मीदवार ऐसी गतिविधियों में लगे हुए हैं जो वैध सर्वेक्षणों और चुनाव के बाद लाभार्थी उन्मुख योजनाओं के लिए व्यक्तियों को पंजीकृत करने के पक्षपातपूर्ण प्रयासों के बीच की रेखाओं को धुंधला करते हैं'.
आयोग ने वर्तमान आम चुनाव 2024 में कुछ उदाहरणों पर ध्यान देते हुए, सभी राष्ट्रीय और राज्य स्तरीय दलों को एक सलाह जारी किया था कि वे किसी भी गतिविधि को तुरंत बंद कर दें और उससे दूर रहें, जिसमें किसी भी विज्ञापन और सर्वेक्षण के माध्यम से चुनाव के बाद लाभार्थी उन्मुख योजनाओं के लिए व्यक्तियों का पंजीकरण शामिल हो. आयोग ने सभी जिला निर्वाचन अधिकारियों को रिप्रजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट की धारा 127A, 123(1) के वैधानिक प्रावधानों के तहत ऐसे किसी भी विज्ञापन के खिलाफ उचित कार्रवाई करने का निर्देश दिया था. इसके तहत किसी तरह के बेनिफिट के लिए मोबाइल नंबर जारी कर वोटरों का मिस्ड कॉल रजिस्टर करना, किसी स्कीम का लाभ लेने के लिए गारंटी कार्ड का वितरण करना, किसी तरह का फॉर्म जारी कर वोटर का डिटेल लेना शामिल था.
आयोग से दायित्वों के निर्वहन की उम्मीद - मनोज पांडेय
झामुमो के प्रवक्ता मनोज पांडेय ने ईटीवी भारत से कहा कि चुनाव के पहले राजनीतिक दलों से जो उम्मीद की जाती है, उसका पालन होना चाहिए. उन्होंने कहा कि गोगो दीदी योजना के नाम पर भाजपा रजिस्ट्रेशन करवा रही है. वह भी अनैतिक है. जबकि फॉर्म में ना आधार कार्ड मांगा जा रहा और ना ही बैंक खाता मांगा जा रहा है. क्या भाजपा पैसे देगी. अगर ऐसा है तो स्थिति स्पष्ट करना चाहिए. हेट स्पीच भी हो रहा है. इसपर रोक लगनी चाहिए. चुनाव आयोग अगर अपने दायित्वों का निर्वहन नहीं कर पाता है तो यह लोकतंत्र के लिए अफसोसजनक है.
" गोगो दीदी योजना" से झामुमो-कांग्रेस-राजद जबरदस्त डर गई है !
— Amar Kumar Bauri (@amarbauri) October 7, 2024
अपने तुगलकी फरमानों से अधिकारियों पर दबाव बनाकर इस योजना के बारे में महिलाओं को जन जागृत करने के उद्देश्य से उतरी भाजपा के कार्यकर्ताओं को डराने का प्रयास कर रही है ...
न भाजपा के कार्यकर्ता डरेंगे, ना सरकार बनने के… pic.twitter.com/pSVLDPIaA8
नेता प्रतिपक्ष ने दिया बयान
नेता प्रतिपक्ष अमर बाउरी ने सोशल मीडिया पर लिखा है कि गोगो दीदी योजना से झामुमो-कांग्रेस- राजद डर गए हैं. अपने तुगलकी फरमान से अधिकारियों पर दबाव बनाकर इस योजना के बारे में महिलाओं को जागृत करने के उद्देश्य से उतरे भाजपा के कार्यकर्ताओं को डराने का प्रयास कर रही है. भाजप कार्यकर्ता ना डरेंगे ना सरकार बनने के पश्चात महिलाओं को इस योजना का लाभ देने से कोई कुंठित मानसिकता रोक पाएगी. साथ ही झामुमो के कार्यकर्ता के रूप में काम कर रहे कुछ अधिकारी अपनी कार्यशैली में सुधार लाएं, ध्यान रहे समय बदलेगा, परिस्थितियां बदलेंगी, माटी-बेटी-रोटी के सम्मान में भाजपा मैदान में.
राहुल गांधी का खटाखट भूल गये क्या - प्रदीप सिन्हा
भाजपा प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा ने ईटीवी भारत को बताया कि सीएम के स्तर पर संवैधानिक संस्था के खिलाफ इस तरह की टिप्पणी करना बिल्कुल जायज नहीं है. उन्होंने आयोग के लिए के.चु.आ. शब्द का इस्तेमाल किया गया है. उनको समझना चाहिए कि केचुआ की भूमिका जमीन को उर्वर बनाने की होती है. आयोग अपने दायित्वों का पूरा निर्वहन कर रहा है. मुख्य चुनाव आयुक्त पिछले दिनों आए थे. सभी का विचार सुना गया था. भाजपा को किसी तरह का फेवर नहीं किया जा रहा है. इनको याद होना चाहिए कि लोकसभा चुनाव के पहले राहुल गांधी ने खटाखट किया था. फॉर्म भी भरवाए थे. भाजपा कोई असंवैधानिक काम नहीं कर रही है.
विधानसभा चुनाव से पहले सत्तापक्ष झारखंड मुक्ति मोर्चा के द्वारा केन्द्रीय चुनाव आयोग पर आपत्तिजनक टिप्पणी किए जाने पर भारतीय जनता पार्टी ने चिंता जताते हुए जमकर निशाना साधा है. बीजेपी मीडिया प्रभारी शिवपूजन पाठक ने सत्तारूढ़ दल जेएमएम पर निशाना साधते हुए कहा है कि शब्दों की मर्यादा मुख्यमंत्री को जरूर रखनी चाहिए. एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति संवैधानिक संस्था पर आपत्तिजनक टिप्पणी करता है तो यह बेहद ही चिंता की बात है. उन्होंने कहा कि यह सत्तापक्ष के हताशा की परिचायक है जो मान चुके हैं कि उनकी सत्ता जाने वाली है.
दरअसल, हेमंत सरकार मंईयां सम्मान योजना के जरिए महिलाओं के खाते में हर माह 1 हजार रु. जमा कर रही है. अब तक दो किस्त जारी भी हो चुका है. इस बीच भाजपा ने घोषणा की है कि अगर उसकी सरकार बनी तो गोगो-दीदी योजना के तहत महिलाओं को हर माह 2100 रु. दिए जाएंगे. इसके लिए रजिस्ट्रेशन की भी प्रक्रिया चल रही है. इसपर झामुमो लगातार सवाल खड़े कर रहा है.
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