रांचीः केंद्र सरकार और उससे जुड़ी कोयला कंपनियों पर झारखंड के बकाए 1.36 लाख करोड़ रु. के दावे को केंद्र सरकार द्वारा ठुकराए जाने के बाद राजनीति गरमा गई है. बिहार के पूर्णिया से निर्दलीय सासंद राजेश रंजन उर्फ पप्पू यादव के सवाल पर केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी ने स्पष्ट कर दिया है कि झारखंड सरकार का केंद्र सरकार के पास कोई बकाया लंबित नहीं है.
फोन पर ईटीवी भारत से बात करते हुए सांसद पप्पू यादव ने कहा कि उन्होंने इस मामले को लोकसभा में उठाया था. उन्होंने कहा कि वह केंद्र सरकार का जवाब सुनकर हैरान हैं. इसलिए जरुरी है कि झारखंड के सभी सांसद इस मामले को मुखर होकर उठाएं.
इसमें कुणाल षाड़ंगी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को संबोधित करते हुए लिखा है कि आप झारखंड की चुनौतियों से वाकिफ हैं. आप झारखंड की राज्यपाल भी रही हैं. बकाया राशि पर केंद्र सरकार का यह रुख बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. आपसे आग्रह है कि झारखंड की बकाया 1.36 लाख करोड़ की राशि को वापस दिलाएं.
हर मंच पर बकाए की बात उठाते रहे हैं सीएम हेमंत
दरअसल, मार्च 2022 में सीएम हेमंत सोरेन ने कोयला मंत्री प्रल्हाद जोशी के नाम पत्र लिखकर दावा किया था कि झारखंड का कोयला कंपनियों पर 1.36 लाख करोड़ बकाया है. सीएम के मुताबिक वॉश्ड कोल रॉयलटी मद में 2,900 करोड़, एमडीडीआर एक्ट के सेक्शन 21(5) के तहत 32,000 करोड़ और जमीन मुआवजा मद में 1,01,142 करोड़ यानी कुल 1,36,042 करोड़ रुपए का बकाया है.
चार पन्नों के पत्र में मिनरल कंसेसन रूल 1960, एमडीडीआर एक्ट और सुप्रीम कोर्ट के आदेशों का भी हवाला दिया गया था. अपने पत्र में सीएम ने आग्रह किया था कि राज्य के आर्थिक हालात को देखते हुए केंद्रीय कोयला मंत्री पहल करें और सभी कोयला कंपनियों को बकाया राशि लौटाने का निर्देश जारी करें. इसके बाद यह मामला पूरे चुनाव के दौरान उठता रहा.
2019 के चुनाव में पूर्ण बहुमत हासिल करने के बाद सीएम हेमंत सोरेन ने बकाया की वसूली के लिए कैबिनेट में प्रस्ताव लाया था. उन्होंने सरकार की मंशा साफ करते हुए कहा था कि बकाए की वसूली के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी जाएगी. इससे पहले सीएम ने प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी के नाम भी पत्र लिखा था. इसी बीच बकाए पर लोकसभा में केंद्र सरकार के जवाब से पूरा मामला उलझ गया है. चर्चा हो रही है कि आखिर कौन सच कह रहा है.
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